आनंद ताम्रकार
बालाघाट ११ जुलाई ;अभी तक ; जिले की वारासिवनी तहसील के मेंहदीवाड़ा ग्राम के निवासी राधेष्याम बुरडे को फर्जी जाति प्रमाण पत्र का उपयोग कर सरकारी नौकरी हासिल करने का दोशी पाये जाने पर 7 साल का सश्रम कारावास एवं जुर्माना अदा ना करने पर एक वर्श का अतिरिक्त सश्रम कारावास भुगताने का फैसला सतना के नवम अपर सत्र न्यायाधीष षषिकांत वर्मा की अदालत में सुनाया गया है।
यह मामला वर्ष 2009 से 2017 के बीच का है जब राधेश्याम बुरडे ने अनुसूचित जनजाति का सदस्य ना होते हुये भी फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर सहायक ग्रेड 3 के पद पर नियुक्ति प्राप्त की थी। इस मामले की शिकायत विजय कुमार नागर सतना द्वारा शिकायत दर्ज कराई थी।
अभियोजन के अनुसार राधेश्याम बुरडे कुटरचित जाति प्रमाण पत्र का उपयोग कर स्वयं को अनुसूचित जनजाति का बताकर शासकीय सेवा में शामिल हुआ था। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया की अभियुक्त द्वारा भारतीय दण्ड संहिता की धारा 420 धोखाधड़ी 467,466 और 471 का अपराध करना पाया गया है।


