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    बरगवां रेंज के ओड़गड़ी बीट में दुर्घटा देवी मंदिर के समीप जंगल में लगी भीषण आग, माड़ा क्षेत्र में आग पर पाया काबू

    एस पी वर्मा
    सिंगरौली ६ अप्रैल ;अभी तक ;   जिले के वनों में इन दिनों आगजनी की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है। जबकि वन विभाग अमला दावा करता है कि वन क्षेत्र में अवैध उत्खनन, जंगलों की कटाई व आगजनी की घटनाओं पर पूरी तरह से काबू में है। लेकिन वन अधिकारियों का यह दावा धरातल पर कम कागजों में ज्यादा है। इसका जीता जागता उदाहरण वन परिक्षेत्र माड़ा एवं बरगवां हैं। जहां धू-धूकर जंगल जल रहा है।
                                          गौरतलब है कि जिले की जंगलों में आगजनी की घटनाएं लगातार बढ़ रही है। एक सप्ताह पूर्व वन परिक्षेत्र सरई के पूर्वी रेंज के जमगड़ी जंगल में भीषण आग ली थी। जहां दूसरे दिन किसी तरह वन अमले की टीम ने आग पर काबू पाया था। वही माड़ा रेंज के ढेका, कोयलखूॅथ, असनी व रौंदी, बहेरी, सुलयारी, माड़ा, धरी समेत अन्य कई गांव के आसपास के जंगल में पिछले दो दिन से आग ध-धक रही थी। जब चारों तरफ धुआं ही धुआं नजर आने लगा।
                                           ग्रामीणों के द्वारा इसकी जानकारी वन परिक्षेत्र माड़ा के मैदानी अमले को दिया। जहां आज दिन रविवार  को वन अमले की टीम ने आग पर काबू पाने के लिए जद्दोजहद शुरू कर दिया है। कड़ी मसक्कत के बाद आग पर किसी तरह नियंत्रण पाया है। लेकिन अभी भी आग नही बुझी है।
                                        यहां बताते चले कि माड़ा रेंज में करीब 8 किलोमीटर दूरी तक आग फैल चुकी थी। जहां लाखों रूपये कीमत के बेशकीमती छोटे-बड़े पेड़-पौधों के साथ-साथ जड़ीबुटियों के जल कर खाक होने की संभावना जताई जा रही है। साथ ही जंगल के जानवर जंगल छोड़ कर इधर-उधर भागते रहे। वन परिक्षेत्राधिकारी माड़ा का दावा है कि आग पर काबू पा लिया गया है। छोटे-छोटे स्थानों पर आग लगी है। वही नियंत्रण में है। इधर वन परिक्षेत्र बरगवां के बीट ओड़गड़ी स्थित दुर्घटा देवी मंदिर के ईर्दगिर्द जंगल में आस दिन रविवार की सुबह आग फैल गई थी। जहां आग धीरे-धीरे बेकाबू होकर पेड़-पौधों को अपने चपेट में ले लिया है। फिलहाल यहां के जंगल में भी आग पर काबू पाने का दावा किया जा रहा है। लेकिन लगातार जंगलों में लग रही आग एक चिन्ता का विषय बनता जा रहा है। साथ ही वन अधिकारियों के कार्यप्रणाली पर भी तरह-तरह की चर्चाएं की जाने लगी है।
    आग कैसे लगी रही स्पष्ट नही, तरह-तरह के कयास
                                     जिले के वनों में आग कैसे लग रही है। इसको लेकर तरह-तरह के कयास लगायें जा रहे हैं। वन परिक्षेत्राधिकारियों का कहना है कि महुआ का फूल बिनने वाले ग्रामीणों के द्वारा पतझड़ों के साफ-सफाई करते समय आग लगा दी जाती है। वही वन कर्मी यह भी बताते हैं कि मवेशियों को चराने वाले चरवाहे आगजनी की घटना को अंजाम दे रहे हैं। जबकि महुआ फूल गिरने का काम लगभग 50 प्रतिशत पूरा हो गया। आग कैसे लग रही है स्पष्ट नही है।
    अमिलिया घाटी का जंगल भी आग के चपेट में
                                         जानकारी के अनुसार बंधौरा के समीप अमिलिया घाटी के जंगल में आग लगी हुई है। जहां जंगल धू-धूकर जल रहा है। बताया जा रहा है कि आग धीरे-धीरे बेकाबू होकर फैलती जा रही है। जिससे पेड़-पौधों को भी भारी संख्या में जल कर नष्ट होने की संभावना से इंकार नही किया जा सकता है। अमिलिया घाटी वन परिक्षेत्र बैढ़न एवं पूर्व सरई का बॉर्डर है। जहां आग धीरे-धीरे बेकाबू हो रही है। जबकि यहां बताते चले कि यदि रेंज के किसी जंगल में आग लगती है तो वन विभाग के अमले के मोबाईल पर मैसेज आ जाता है और यह मैसेज देहरादून के बेवसाईट से मैसेज गूगल के माध्यम से इंडिकेट करने लगता है। लेकिन चर्चा है कि वन अधिकारी अभी इस आगजनी की घटना से अछुते हैं।
    इनका कहना:-
                                               हाँ कल जंगल में आग लगी थी। महुआ के फूल को बिनने वाले आग लगाये थे। आग पर काबू पा लिया गया है। स्थिति सामान्य है।
    हर्षित मिश्रा
    वन परिक्षेत्राधिकारी, माड़ा

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