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    मध्यप्रदेश जनअभियान परिषद का समृद्धि योजना अंतर्गत स्वैच्छिक संगठनों का एक दिवसीय प्रशिक्षण कृषि विज्ञान केंद्र मंदसौर मे संपन्न

    महावीर अग्रवाल 

    मंदसौर २१ फरवरी ;अभी तक ;   मध्यप्रदेश जनअभियान परिषद शासन एवं समाज के बीच सेतु का काम कर रहा हैं। मध्यप्रदेश जनअभियान परिषद का गठन 1996 में किया गया था। जिसका विस्तृत स्वरूप उदय प्रशिक्षण के साथ 2007 में हुआ। इसके साथ ही वर्ष 2008 में प्रारंभ प्रशिक्षण के साथ जिला एवं विकासखंड मुख्यालय पर कार्यकताओ की नियुक्त हुई।

    उपरोक्त विचार मध्यप्रदेश जनअभियान परिषद जिला मंदसौर द्वारा समृद्धि योजना अंतर्गत स्वैच्छिक संगठनों के प्रशिक्षण में शुक्रवार को कृषि विज्ञान केंद्र मंदसौर में संभाग समन्वयक उज्जैन श्री शिवप्रसाद मालवीय ने व्यक्त किये। संभाग समन्वयक श्री शिवप्रसाद मालवीय ने कहा कि मध्यप्रदेश जनअभियान परिषद समाज को जागरूकता करने के साथ ही शासन की योजनाओं को आम जनता तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इसके साथ ही सामाजिक संस्थाओ के नीति निर्धारण में भी मध्यप्रदेश जनअभियान परिषद की अहम भूमिका रही है। मध्‍यप्रदेश शासन भी चाहता है की मध्यप्रदेश जनअभियान परिषद में ही सभी सामाजिक संस्थाओ का पंजीयन हो और शासकीय विभागों मे अलग-अलग पंजीयन की आवश्यकता नही हो।

    संभाग समन्वयक श्री मालवीय द्वारा मध्यप्रदेश जनअभियान परिषद की कार्यकारिणी के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए मध्यप्रदेश जनअभियान परिषद की प्रस्फुटन, नवांकुर, सृजन ,दृष्टि ,संवाद, समृद्धि एवं विस्तार योजना के बारे में विस्तृत जानकारी दी।

    प्रशिक्षण का शुभारंभ मां सरस्वती  के चित्र पर माल्‍यार्पण एवं दीप प्रज्वलित के साथ संभाग समन्वयक श्री शिवप्रसाद मालवीय,डॉ जी एस चुंडावत कृषि विज्ञान केंद्र प्रभारी, वैज्ञानिक डॉक्टर एसपी त्रिपाठी,जिला समन्वयक तृप्ती वैरागी,जिला समन्वयक प्रेमसिह चोहान,एनआरएलएम जिला प्रबंधक नदीम त्यागी ,हेमंत गौड़,विकासखंड समन्वयक अर्चना भट्ट ,नारायणसिंह निनामा ने किया।

    प्रशिक्षण में निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के बारे में जानकारी देते हुए जिला प्रबंधक आईबीसीबी एनआरएलएम श्री नदीम त्यागी ने बताया कि हमारे धर्म ग्रंथो में दान देने की परम्पराएं प्राचीन समय से प्रचलित है। सभी धर्म समुदाय में दान देना पुण्य माना गया है । श्री नदीम त्यागी ने बताया की शासन के 135 एक्ट अनुसार 5 करोड़ की कंपनी या एक करोड़ से अधिक वित्तीय वर्ष में लाभ कमाने वाली कंपनियों को दो प्रतिशत सीएसआर सामाजिक संस्थाओं को दिया जाता है। जिससे वह समाज की निचले स्तर पर काम करने वाले लोगों को सक्षम बना पाए, प्रदेश मे ऐसी अनेक संस्थाएं है जो इस प्रकार से कंपनियों से दान लेकर कार्यरत हैं। श्री त्यागी ने बताया कि भुखमरी, गरीबी, कुपोषण,पर्यावरण एवं महिला सशक्तिकरण पर काम करने वाली संस्थाओं को कंपनियां सीएसआर फंड प्रदान करती हैं।

    स्वैच्छिक संगठनों के पंजीयन एवं प्रबंधन व संरचना के बारे में विकासखंड समन्वयक जनपद पंचायत सीतामऊ श्री हेमंत गोङ ने बताया कि सामाजिक संस्थाओं एवं टृस्ट का पंजीयन अलग-अलग एक्ट में किया जाता है । जिससे वह समाज में जागरूकता के साथ ही आमजन को शासन की योजनाओं से जोड़ पाए। सामाजिक संस्थाओं कै पंजीयन के बाद आयकर से भी दानदाताओं को छूट मिलती है। सामाजिक संस्थाएं हमेशा समाज में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए अग्रणी रही है।

    मुल्यांकन एवं अनुश्रवण के बारे जानकारी देते हुए श्रीमति अर्चना भट्ट ने बताया की प्रत्येक संस्था को निरंतर मुल्यांकन करना चाहिए। साथ ही व्यक्तिगत मुल्यांकन भी होना चाहिए। सामाजिक अंकेक्षण के बारे मे जानकारी दी गई। कार्यक्रम का सफल संचालन अर्चना भट्ट द्वारा किया गया।अंत में आभार जिला समन्वयक तृप्ती वैरागी द्वारा माना गया। प्रशिक्षण में जिले की समस्त सामाजिक संस्थाओं के पदाधिकारी ,कार्यक्रम समन्वयक उपस्थित हुए। अतं मे सभी प्रतिभागियो को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। यह जानकारी हरिओम गंधर्व ने दी।

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