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    मास्टर प्लान एवं एनटीजी न्यायालय के आदेश के विपरीत जारी की गई अनुमतियां निरस्त की जावे, सामाजिक कार्यकर्ता ने प्रदीप कुमार गुप्ता ने कलेक्टर से की मांग

    महावीर अग्रवाल

    मन्दसौर ४ मार्च ;अभी तक ;   सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप कुमार गुप्ता द्वारा जिला कलेक्टर को पत्र देकर मास्टर प्लान एवं माननीय एनजीटी न्यायालय द्वारा ओए 70/2022 में पारित आदेश दिनांक 19/04/2024 के विपरीत जारी की गई कस्बा मन्दसौर स्थित भूमि सर्वे क्रमांक क्रमशः 123, 124/2, 122/2, 125/1, 127, 128/1. 128/2, 99/1, 99/2, 200/1, 200/2, 200/3/1, 200/3/2 एवं 200/4 के सम्बन्ध में जारी कॉलोनी विकास एवं स्थापना अनुमति निरस्त करने की मांग की है।
    श्री गुप्ता ने इस संबंध में जिला कलेक्टर द्वारा दी गई अनुमति आदेश क्रमांक 1710/ आर.टी.सी./ कॉलोनी / 2024 मंदसौर दिनांक 18/07/2024, अनुमति आदेश क्रमांक 1712 / आर.टी.सी. / कॉलोनी/2024 मंदसौर दिनांक 18/07/2024. अनुमति आदेश क्रमांक 1708 / आर.टी.सी./ कॉलोनी/2024 मंदसौर दिनांक 18/07/2024 एवं अनुमति आदेश क्रमांक 1282 / आर.टी.सी. / कॉलोनी/2024 मंदसौर दिनांक 7/06/2024 का संदर्भ भी दिया है।
    श्री गुप्ता ने आवेदन में निम्न बिन्दूओं का उल्लेख किया है कि –
    1- यह कि संदर्भित पत्रों के माध्यम से कस्बा मन्दसौर स्थित भूमि सर्वे क्रमांक क्रमशः 123, 124/2, 122/2, 125/1, 127, 128/1, 128/2, 99/1,99/2, 200/1,200/2, 200/3/1,200/3/2 एवं 200/4 पर कॉलोनी विकास की अनुमति विधि विरूद्ध जारी हो गई है। वर्तमान में मन्दसौर नगर हेतु मन्दसौर विकास योजना 2011 लागू व प्रभावशील है एवं विषयाकित सारे सर्वे कंमाक मास्टर प्लान 2011 के अनुसार तेलिया तालाब के डूब क्षेत्र व हरित क्षेत्र में आते है। यह उल्लेखनीय है कि नवीन प्रस्तावित मास्टर प्लान (मन्दसौर विकास योजना (प्रारूप) 2035 को मन्दसौर शहर के विभिन्न जागरूक नागरिकों एवं स्वयं नगरपालिका परिषद् मन्दसौर की आपत्तियों के प्रकाश में निरस्त किया जा चुका है एवं नये सिरे से मास्टर प्लान का प्रस्ताव प्रस्तुत करने हेतु शासन के आदेश हो चुके है। उक्त स्थिति में नवीन मास्टर प्लान 2035 जो वर्तमान में अस्तित्वहीन है उसके प्रकाश में वर्तमान प्रचलित मास्टर प्लान में आ रहे हरित क्षेत्र एवं डूब क्षेत्र में किसी भी प्रकार से कॉलोनी विकास की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
    2-यह कि एनजीटी राष्ट्रीय हरित ट्रिब्यूनल भोपाल द्वारा ओए कंमाक 70/2022 अभयकुमार अकोलकर विरूद्ध मध्यप्रदेश शासन व अन्य में दिनांक 19/04/2024 को पारित आदेश में बिन्दु क्रमांक 22 (।।) में स्पष्ट रूप से आदेशित एवं निर्देशित किया है कि कलेक्टर मन्दसौर निर्धारित 3 माह की अवधि में डायरेक्टर टाउन एण्ड कन्ट्री प्लानिंग डिपाटमेन्ट एवं राज्य शासन से अनुमोदन लेकर तेलिया तालाब के सम्बन्ध में कमेटी द्वारा प्रस्तुत फील्ड बुक के आधार पर आवश्यक कार्यवाही करते हुए नोटिफिकेशन जारी करे। माननीय एनजीटी कोर्ट के आदेश के पालन में आज दिनांक तक कोई नोटिफिकेशन तेलिया तालाब के क्षेत्र के सम्बन्ध में जारी / प्रकाशित नहीं हुआ है। नोटिफिकेशन के अभाव में विषयांकित सर्वे कंमाको पर जारी संदर्भित कॉलोनी विकास अनुमतियां माननीय एनजीटी न्यायालय के आदेश के विपरीत एवं आदेश की घोर अवमानना होकर तत्काल प्रभाव से निरस्तनीय है। जब तक यह अनुमतियां निरस्त नही होती है तब तक निरन्तर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एक्ट 2010 की धारा 26 एवं 28 का उल्लघंन हो रहा है जो कि सजा एवं जुर्माने से दण्डनीय है।
    3-यह कि टी.एन.सी.पी. नीमच द्वारा वेध एवं अनुमोदित नक्क्षों के विपरित तेलिया तालाब के समीप डूब क्षेत्र व हरित क्षेत्र में आने वाले कई सारे भूमि सर्वे कंमाकों कंमशः 123, 124/2, 122/2, 125/1, 127. 128/1, 128/2, 99/1, 99/2, 200/1, 200/2, 200/3/1. 200/3/2 एवं 200/4 में विधि विरूद्ध एवं अनुमोदित नक्क्षों के विपरित डूब क्षेत्र व हरित क्षेत्र में अनुमतियां जारी कर दी गई थी। जब इस सम्बन्ध में विभिन्न समाचार पत्रों में इस घोटालें की खबरें प्रकाशित हुई तो खाना पुर्ति हेतु टी.एन.सी.पी. नीमच ने केवल भूमि सर्वे कंमाक 123 व 124/2 के कुछ भाग के सम्बन्ध में जारी अनुमति उनके संशोधित आदेश एमडीआरएलपी04092420574 दि. 27/11/2024 द्वारा निरस्त कर दी एवं शेष बड़े भू भाग की अनुमति निरस्त नही करते हुए उन्हे यथावत् रखा है।
    4-यह कि प्रस्तावित मास्टर प्लान 2035 में तालाब की जगह छोड़कर धारा 19 (2) का प्रकाशन टीएनसीपी विभाग द्वारा किया गया था। जिसमें यह सारा क्षेत्र ग्रीन बेल्ट में दर्शित है। तालाब क्षेत्र के समीप स्थित ग्रीन बेल्ट का निर्धारण कराऐ बगैर ही तालाब क्षेत्र व ग्रीन बेल्ट में संदर्भित अनुमतिया जारी हो गई है जो तालाब जलिय क्षेत्र एवं ग्गग्रीन बेल्ट के हितों के विपरित है।
    4-यह कि कई सारे दस्तावेजों, प्रमाणित तथ्यों व अनुमोदित नक्क्षों से स्पष्ट हो जाता है कि यह चारों संदर्भित अनुमतिया पूरी तरीके से विधि विरूद्ध हरिक्षेत्र व तालाब की डूब भूमि पर जारी हो गई है एवं तेलिया तालाब के जल संरक्षण व उसके आस-पास के हरित क्षेत्र को बचानें के लिए व माननीय राष्ट्रीय हरित अधिकारण भोपाल द्वारा दिए गए निर्णय दिनांक 19/04/2024 के पालन में यह अनुमतिया तुरन्त निरस्त की जाना अत्यन्त आवश्यक है नही तो न सिर्फ तेलिया तालाब जैसी शहर की मुख्य जल संरचना को व हरित क्षेत्र को हानि पहुंच रही है बल्कि इस क्षेत्र में इस विधि विरूद्ध अनुमत कालोनियों के कारण यह क्षेत्र अत्यधिक प्रदूषित क्षेत्र तो बनेगा ही माननीय एन.जी.टी. कोर्ट की अवमानना भी लगातार हो रही है।
    5-यह कि आज से काफी वर्षों पूर्व वर्ष 2002 में तत्कालिन जिला कलेक्टर मन्दसौर श्रीमान हीरालाल त्रिवेदी सा. ने तेलिया तालाब क्षेत्र में सर्वे नम्बर 207, 208, 209 इत्यादि में कॉलोनी के निर्माण कार्यों पर इस कारण से रोक लगाई थी कि इन सर्वे कंमाको में मिट्टी का भराव करके तालाब का डूब क्षेत्र खत्म किया जा रहा है जबकि यह सर्वे नम्बर विषयांकित सर्वे कंमाको के मुकाबले तेलिया तालाब से अपेक्षाकृत काफी दूर स्थित है। संदर्भित अनुमति आदेशों में कॉलोनी हेतु अनुमत सर्वे कंमाक 200, 123, 124 आदि तेलिया तालाब व सर्वे कंमाक 207, 208 आदि के बीच में स्थित होकर तेलिया तालाब के काफी नजदिक है एवं तालाब के डूब क्षेत्र व हरित क्षेत्र में आते है। इस क्षेत्र पर कॉलोनी के निर्माण की अनुमति जारी की गई है जो नियम विरूद्ध है।
    6- यह कि मन्दसौर नगर पालिका को यह तालाब, जल संसाधन विभाग ने समस्त दस्तावेजों के साथ पत्र कंमाक 1599/का./11-12/मन्दसौर दिनांक 5/05/2011 को हैंडओवर कर दिया था। तालाब को हैंडओवर करते वक्त जो दस्तावेज और सर्वे नम्बर की जो सूची जल संसाधन विभाग ने नगर पालिका को सौपी थी, कॉलोनी हेतु अनुमत विषयाकित सर्वे नम्बर उक्त सूची में डूब क्षेत्र में आते है। इन विषयांकित सर्वे नम्बरों पर पर्यावरण एवं तालाब के जल क्षेत्र के हितों के विपरित विषयांकित सर्वे कंमाको पर अनुमतिया जारी कर दी गई है जो विधि विरूद्ध होकर निरस्त होने योग्य है।
    7-यह कि इस मामले में एनजीटी कोर्ट ने जब अपना फैसला ही नही सुनाया था उससे पूर्व कॉलोनी की अनुमति देना सदेह के घेरे में आता है। टीएनसी को कैसे पता चला कि निर्णय यही होने वाला है। इसके साथ ही एनजीटी कोर्ट में जो ड्रोन नक्क्षा प्रस्तुत है उसमें विषयांकित सर्वे नम्बर की भूमियां 4 से 5 फीट पानी भराव होकर डूब क्षेत्र में दर्शित है। भूमाफियां इन भूमियों में 4 से 5 फीट भराव करके तालाब को समाप्त करते हुए तेजी से कॉलोनी का कार्य कर रहे है।
    8-यह कि टीएनसी विभाग द्वारा 2002-2011 का मास्टर प्लान बनाया गया था। तब विभाग द्वारा राजस्व मानचित्र के पैनलों पर सारे नम्बरों को उकारा गया था। जिसमें यह तालाब की स्थिति बताई गयी थी कि तालाब की सीमा कितनी रहेगी लेकिन एनजीटी कोर्ट ने टीएनसी विभाग द्वारा उस अधिकृत  नक्शा  के स्थान पर एक अनाधिकृत एवं बगैर अनुमोदित डिजिटल नक्शा पेश किया गया जिसमें तालाब की स्थिति विधिवत् नकें से भिन्न है यह डिजिटल नक्क्षा उस समय का नही था जब मास्टर प्लान 2011 बना था उस वक्त पैनलों पर नशे की स्थिति उकेरी जाती थी। सर्वे नम्बर वाले पैनलों को नहीं बताया गया।
    9- यह कि मास्टर प्लान 2011 के तारतम्य में जो तीन कॉलोनी की अनुमतिया टीएनसी विभाग द्वारा दी गई है उसमें शर्तों में अलग-अलग निर्धारण किया गया है। मसलन सर्वे नम्बर 200 में वेटलेड 2010 का उल्लेख किया गया है जबकि वेटलेड 2010 इस तालाब क्षेत्र में लागू नही है और जल संसाधन विभाग से एनओसी नहीं ली गई है ना ही नगर पालिका से एनओसी ली गई है जब कि नियम अनुसार तालाब क्षेत्र के आस-पास जो भी कॉलोनी की स्वीकृति दी जाती है उसके पूर्व जल संसाधन विभाग और नगर पालिका से एनओसी लिया जाना अत्यधिक आवश्यक होना है।
    10-यह कि तेलिया तालाब को लेकर एनजीटी कोर्ट ने जो भी फैसला दिया है उसे सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया गया है और सुप्रीम कोर्ट से नोटिस भी इश्यू हो गए है ऐसे में इस तालाब क्षेत्र में जो निर्माण कार्य कॉलोनी के रूप में हो रहे है वह पूरी तरह से अवैध है उसे तत्काल रोकना चाहिए क्योंकि जब तक सुप्रीम कोर्ट और मामले में अपना फैसला नहीं दे देता है यहां पर निर्माण कार्य होना जनहित में नहीं है।
    11- तेलिया तालाब के क्षेत्र का निर्धारण करने को लेकर स्वयं मध्यप्रदेश शासन ने भोपाल में टीनएसी विभाग में हेड ऑफिस को पत्र लिखा है। और जिला कलेक्टर द्वारा राजस्व मानचित्र पर सर्वे नम्बर सहित तेलिया तालाब का क्षेत्र निर्धारण करना अभी बाकी है। ऐसी स्थिति में इस क्षेत्र में जो कालोनियों कट रही है उसे मंजूरी रोका जाना जरूरी है।
    12- टीएनसी विभाग में यहां पूछा जाना चाहिए कि तेलिया तालाब का निर्धारण करने के लिए उसने मास्टर प्लान 2022 में किस मेप का उपयोग किया था। और किस आधार पर तेलिया तालाब का क्षेत्र में कॉलोनी को मंजूरी दी जा रही है। एक और तो पर्यावरण बचाने के लिए काम हो रहे है वही हरित क्षेत्र में एक के बाद एक कॉलोनी काटकर विभाग क्या कर रहा है यह देख जाना चाहिए।
    13- यह कि टीएनसी विभाग की तेलिया तालाब को लेकर पहले ही संदिग्ध भूमिका रही है। जल संसाधन विभाग द्वारा विभिन्न पत्राचार किए गए है जिसमें साफ तौर से यह पता चलता है कि तेलिया तालाब क्षेत्र में पूर्व से ही कॉलोनी में अनुमतियां दी गई है।
    14- यह कि विषयांकित सर्वे कंमाको के सम्बन्ध में जारी की गई विकास अनुमति निरस्त नहीं किए जाने पर एवं इन भूमियों पर विकसित होने वाली कॉलोनियों में नागरिकों द्वारा भूखण्ड क्रय कर लिए जाने के बाद जब एनजीटी कोर्ट के आदेश के पालन में तेलिया तालाब के वास्तविक डूब क्षेत्र के सम्बन्ध में विधिवत नोटिफिकेशन जारी होगा तब निश्चित रूप से इन अनुचित कॉलोनियों के प्लॉट/भूखण्ड डूब क्षेत्र में निकलेगें व मन्दसौर शहर के नागरिकों की मेहनत की कमाई का रूपया तेलिया तालाब की गहराई में डूब जाएगा। अनुमति निरस्त कर मन्दसौर शहर के नागरिको के साथ होने वाली लुट व धोखाधाड़ी रोकी जा सकती है।
    15- यह कि मन्दसौर शहर की आबादी दिन प्रतिदिन बढती जा रही है ऐसे में शहर की भविष्य की जल आपूर्ति को ध्यान में रखते हुए तेलिया तालाब के जलिय क्षेत्र एवं हरित क्षेत्र का संरक्षण अत्यतं आवश्यक है।
    श्री गुप्ता ने मांग की कि संदर्भित अनुमति आदेश तत्काल प्रभाव से 1 सप्ताह में निरस्त की जाये।

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