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    मुनि श्री सुखसागरजी की समाधि पर आदिनाथ विहार दिगम्बर जैन मंदिरजी में हुई विनयांजलि सभा

    महावीर अग्रवाल 

    मंदसौर ८ मई ;अभी तक ;   आचार्य आदिसागरजी महाराज अंकलीकर की अंगुठी के अनमोल रत्न तपस्वी सम्राट राष्ट्रसंत आचार्य श्री सन्मतिसागरजी महाराज से दीक्षित, चतुर्थ पट्टाधीश आचार्य श्री सुनिलसागरजी महाराज के परम प्रभावक शिष्य, मौनप्रिय, तपस्वी मुनि श्री सुखसागरजी महाराज की उत्कृष्ट समाधि अतिशय क्षेत्र श्री शांतिनाथजी में हुई। विनयांजलि अनुमोदनार्थ णमोकार महामंत्र का पाठ आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिरजी में रखा गया।
                                        मंदिर समिति के संयोजक व मुनिश्री के श्रावक श्रेष्ठी श्री कोमलप्रकाश जैन पंछी ने बताया कि मुनिश्री मुलतः कुलथाना राजस्थान के निवासी थे, जहां से एक ही परिवार से सात-सात जैनेश्वरी दीक्षा धारण कर वैराग्य पथ के रथ पर आरूढ़ होकर धर्मप्रभावना करते हुए अपना मोक्ष मार्ग प्रशस्त किया। मुनिश्री सुखसागरजी महाराज की दीक्षा वर्ष 2003 में उदयपुर में हुई, तब से संघ में रहकर कठिन तपस्या करते हुए रत्नात्रय, पंचमेरूजी, सोलहकारणजी, दसलक्षण पर्व  एवं अष्ठान्हिका जी में कई उपवास की कठोरतम साधना करी, आप सदैव मौन रहकर श्रावकों को अपने वात्सल्य से पीछी से आर्शीवाद देते थे। आपका राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र आदि क्षेत्रों में विहार करते हुए दीक्षा के 18 वर्षों बाद श्रावकों की विनती पर मंदसौर पधारना हुआ।
                                     मंदसौर दिगम्बर जैन समाज को दो चातुर्मास का लाभ मिला। जिसमें कई विधान पूजन एवं आदिनाथ विहार मंदिरजी की लघु पंचकल्याणक प्रतिष्ठा भी आपके सानिध्य में संपन्न हुई। बाद में आपका विहार श्री शांतिनाथजी तीर्थ क्षेत्र पर हुआ। आपकी उत्कृष्ट समाधि 3 उपवास की संलेखना के साथ मुनिश्री शुद्धसागरजी महाराज, क्षुल्लक श्री सुमित्रसागरजी महाराज व संघ में विराजमान आर्यिका माताजी एवं क्षुल्लिका माताजी व सन्मति प्रकृत विधा अधिष्ठाता डॉ. श्री विनय भैयाजी एवं ब्रह्मचारी श्री दर्शन भैयाजी के सानिध्य में हुई।
    मुनिश्री की समाधि के अवसर पर श्री आदिनाथ विहार दिगम्बर जैन मंदिरजी में णमोकार मंत्र का पाठ कर विनयांजलि सभा आयोजित की गई। मुनिश्री के चित्र पर गृहस्थ जीवन की पुत्री श्रीमती गुणमाला जैन एवं दामाद श्री कोमलप्रकाश जैन ने दीप प्रज्जवलन किया।
    विनयांजलि सभा में श्री ए.के. हरसोला, सी.के. जैन, डॉ. प्रो. अशोक अग्रवाल, डॉ. एस.एम. जैन, शांतिलाल कुलथाना, दिलीप भोलिया, महावीर कोटड़िया ने आपके त्याग तपस्या व संयम साधना का गुणानुवाद करते हुए विनयांजलि प्रस्तुत की। विनयांजलि सभा में नंदकिशोर अग्रवाल, सतीश दोशी, सुमतिलाल जैन, शांतिलाल तहसीलदार, ओम अग्रवाल, शिखर मित्तल, सनत गांधी, अभय मांदावत, दिलीप जैन चंचल आदि समाजगण, पार्श्व महिला मण्डल व तपस्वी सेवा ग्रुप के अमित गोदावत, संजय मिण्डा, निलेश जैन आदि श्रावकगण उपस्थित थे। विनयांजलि सभा का संचालन मंदिर समिति के संयोजक जितेन्द्र दोशी ने किया, आभार सतीश दोशी ने माना।

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