आशुतोष पुरोहित
खरगोन 3 जुलाई ;अभी तक ; मध्य प्रदेश के खरगोन जिला मुख्यालय पर यूरिया खाद की कथित परेशानी को लेकर किसान अपने परिवार के साथ सुबह से लग रहे हैं।
सहकारी सोसाइटी में यूरिया खाद नही मिलने से परेशान किसान खाद की तीन बोरी के लिये जिला मुख्यालय पर राज्य सहकारी विपणन संघ के जिला कार्यालय में खाद के लिये किसान अपने परिवार के साथ रात से ही कतार में लग जाते है। खास बात यह है की घर का कामकाज छोडकर महिलाऐ और काॅलेज में पढने वाली युवतीयां पढाई छोडकर रात में ही खाद लेने पहुंच जाती है। तीन बोरी खाद के लिये आधार कार्ड सहित आवश्यक दस्तावेजो की खाद के टोकन लेने के लिये अनोखी लाईन लगती है।
पत्थर के नीचे दस्तावेज रखकर किसान और उनके परिजन टोकन के लिये लाईन लगाते है। ग्रामीण क्षेत्र में सोसाइटी में खाद नही मिलने पर सैकडो किसान परिवार सहित करीब 50 से 60 किलोमीटर दूर से रात में ही विपणन संघ के कार्यालय पहुंच जाते है। खाद का गोदाम सुबह 11 बजे ऑफिस समय में खुलता है। लेकिन विपणन संघ कार्यालय के गोदाम के बहार मुख्य गेट पर ताला खुलने के पहले ही देर रात में ही किसान, उनके परिवार की महिलाऐ, काॅलेज में पढने वाली युवतीयो भीड पहुंच जाती है।
खाद के लिये परेशान किसान परिवार राज्य सहकारी विपणन संघ कार्यालय का गेट खुलने के पहले पास में टूटी दिवार कूदकर पहुंचते है।
खरगोन के कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर एसएस राजपूत ने पत्रकारों को बताया कि जिले में करीब 4.20 लाख हैकटेयर रकबे में खरीफ फसलों की बोवनी प्रस्तावित है। इसमें मुख्य रूप से सोयाबीन 1.12 लाख ,मक्का 70000 और कपास 1.90 लाख हैक्टेयर शामिल है। उन्होंने बताया कि यूरिया की सप्लाई लगातार जारी है, और किसान इकट्ठे न ले जाकर आवश्यकता के अनुसार इसे ले जाएं।
उन्होंने बताया कि महिलाओं और स्टूडेंट को ऋण पुस्तिका के साथ आने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि खाद का वितरण पीओएस सिस्टम से हो रहा है।
उन्होंने बताया कि बोवनी के समय डीएपी खाद की आवश्यकता होती है लेकिन हमने पिछले वर्ष और इस बार कमी के विकल्प के तौर पर कॉम्प्लेक्स फर्टिलाइजर उपलब्ध कराए हैं ।और ग्रामीणों को संगोष्ठी, ग्राम पंचायत व अन्य माध्यमों से समझाइश बीती है। उन्होंने बताया कि काम्प्लेक्स फर्टिलाइजर में सभी तत्व उपलब्ध हैं जिससे अच्छी उत्पादकता भी मिलती है।
अधिकृत जानकारी के अनुसार खरीफ फसल के लिए 172600 मैट्रिक टैंक उर्वरक की मांग है और फिलहाल 62014 मेट्रिक टन उपलब्धता है। फसल के रास्ते में 0.77% की वृद्धि भी हुई है।