आनद ताम्रकार
बालाघाट ६ जून ;अभी तक ; मप्र पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम, 1993 की धारा-36/40 सहपठित धारा 92 मध्यप्रदेश के तहत् जनपद पंचायत क्षेत्र के.01 के निर्वाचन क्षेत्र का एक मामला जिला दंडाधिकारी प्रकरण प्रचलित था। इस मामलें में गुरुवार को जिला दंडाधिकारी श्री मृणाल मीना ने निर्णय दिया है।
ज्ञात हो कि आलेझरी के जितेंद्र सिंह पिता दर्शन सिंह ने जनपद पंचायत वारासिवनी के पद पर हुआ निर्वाचन को अवैध एवं शून्य घोषित करते हुए पद से पृथक किये जाने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया गया है। इनके द्वारा मुख्य रूप से उल्लेख किया गया है कि वर्ष 2022 में मध्यप्रदेश शासन द्वारा त्रि-स्तरीय पंचायत चुनावों की घोषणा के पश्चात जनपद पंचायत वारासिवनी के क्षेत्र क्रमांक 01 से अनावेदिका श्रीमती माया उड़के पति श्री दिनेश कुमार उड्के निवासी ग्राम नांदगांव, पोस्ट कीचेवाही, तहसील वारासिवनी जिला बालाघाट द्वारा नाम निर्देशन पत्र प्रस्तुत किया गया। मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम के अंतर्गत निर्धारित प्रावधानों के अनुसार कलेक्टर जिला बालाघाट द्वारा निर्वाचन क्षेत्रवार आरक्षण संबंधी अधिसूचना जारी की गई, जिसके अनुसार जनपद पंचायत वारासिवनी के क्षेत्र क्रमांक 01 को अनुसूचित जनजाति (महिला) वर्ग के लिए आरक्षित पोषित किया गया। आवेदन में यह आरोपित किया गया है कि अनावेदिका द्वारा रिटर्निंग अधिकारी को नाम निर्देशन पत्र के साथ आवश्यक जाति प्रमाण-पत्र संलग्र नहीं किया गया, अपित्तु एक झूठे शपथ-पत्र के माध्यम से स्वयं को अनुसूचित जनजाति वर्ग का सदस्य दर्शाते हुए चुनाव में भाग लिया गया तथा विजय प्राप्त की गई। इस संदर्भ में यह निवेदन किया गया है कि क्षेत्र क्रमांक 01, जनपद पंचायत वारासिवनी के सदस्य के रूप में तथा उस आधार पर अध्यक्ष, जनपद पंचायत वारासिवनी के रूप में अनावेदिका का निर्वाचन अमान्य एवं शून्य घोषित किया जाए।
जिला कलेक्टर व दंडाधिकारी श्री मीना ने मप्र पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम, 1993 की धारा 36(2) (क) के प्रावधानों के अनुसार अनावेदिका उक्त पद धारण करने के लिए पात्र नहीं माना। न्यायालय यह घोषित करता है कि अनावेदिका श्रीमती माया उड़के का निर्वाचन जनपद पंचायत वारासिवनी के क्षेत्र क्रमांक 01 के सदस्य के रूप में एवं तत्पश्चात अध्यक्ष, जनपद पंचायत वारासिवनी, जिला बालाघाट के पद पर विधिसम्मत अर्हताओं के अभाववश मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम, 1993 की धारा 36(3) के अंतर्गत निर्हरता के कारण अमान्य एवं शून्य घोषित किया जाता है। तदनुसार उक्त पदों को आदेश पारित होने की तिथि से रिक्त घोषित किया जाता है। साथ ही संबंधित प्राधिकारी को निर्देशित किया जाता है कि वह इन रिक्तियों के परिप्रेक्ष्य में पंचायत निर्वाचन नियमों के अंतर्गत आवश्यक वैधानिक कार्यवाही संपादित करें।