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    शासकीय उचित मूल्य की दुकान से बीते माह 2 लाख रुपये मूल्य का 74 बोरी गेहुं और 44 बोरी चावल की चोरी

    आनंद ताम्रकार

    बालाघाट 15 फरवरी ;अभी तक ;  आदिवासी बैहर तहसील क्षेत्र में स्थित सरकारी राशन दुकानों से सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत खाद्यान्न वितरण का काम महज कागजों में दिखा कर खाद्यान्न की कालाबाजारी तो नही की जा रही है। ऐसी आशंका गढी थाना क्षेत्र के अंतर्गत शासकीय उचित मूल्य की दुकान से बीते माह 2 लाख रुपये मूल्य का 74 बोरी गेहुं और 44 बोरी चावल की चोरी हो गई है। इसके चलते हितग्राहियों को जनवरी तथा फरवरी माह का राशन नही वितरित हो पाया।

    राशन दुकान से खाद्यान्न की चोरी का यह मामला 9 फरवरी को बैहर एसडीएम श्री अर्पित गुप्ता द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के संबंध में ली जा रही बैठक में चर्चा के दौरान प्रकाश में आया। आनन फानन में 60 क्विंटल राशन चोरी का प्रकरण दर्ज कराया गया और पुलिस जांच में जुट गई।

    इस मामले के उजागर होने पर एसडीएम श्री गुप्ता ने सेल्समेन को हटा दिया और संस्था के प्रबंधक को कारण बताओं नोटिस दिया गया है। ग्राम डुडवा की राशन दुकान में हुई चोरी को लेकर तरह तरह की बाते की जा रही है और वहीं इस मामले में सेल्समेन की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। यह आश्चर्य का विषय है की राशन दुकान से हुई चोरी की घटना के 15 दिनों बाद तक किसी को भी इसकी भनक नही लगी।

    बैहर में 9 फरवरी को आयोजित बैठक से लगभग 15 से 20 पूर्व चोरी होने का अनुमान लगाया जा रहा है 74 बोरी गेंहु, 44 बोरी चावल की चोरी को सेल्समेन और प्रबंधक ने छुपाने का प्रयास क्यों किया और वरिष्ठ अधिकारी को इसकी सूचना तत्समय क्यों नहीं दी गई यह जांच का विषय है।

    खाद्यान्न के चोरी हो जाने के कारण हितग्राही और उपभोक्ता को 2 माह का राशन नही मिल पाया और इस संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों ने 2 माह के राशन की व्यवस्था कर उपभोक्ताओं में वितरित करने की कोई कार्यवाही अब तक नहीं की गई आखिर क्यों? यह जानकारी मिली है की एसडीएम श्री गुप्ता ने जब प्रबंधक से चोरी के संबंध में सवाल किये तो वह कोई संतोषजनक जवाब नही दे पाये। वहीं सेल्समैन बैठक में मौजूद नहीं था। सेल्समेन और प्रबंधक ने राशन चोरी हो जाने की सूचना एसडीएम को आखिर क्यों नही दी।

    यह भी आशंका व्यक्त की जा रही है की हितग्राहियों को वितरित किये जाने वाला खाद्यान्न की कालाबाजारी कर उसे चोरी होने का कारण बताकर सफाई दी जा रही है।
    आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में राशन की कालाबाजारी किये जाने का यह पहला मामला नहीं है अगर सरसर्री जांच की जाए तो अनेक संस्थाओं में राशन के फर्जी वितरण के मामले उजागर हो जायेगें।

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