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    शिक्षा को व्यावसायीकरण ना हो इसके लिए सरकार प्रयासरत – राज्यमंत्री मजूमदार  

    महावीर अग्रवाल

    मंदसौर २१ मार्च ;अभी तक ;   शिक्षा को समाज का आधार स्तंभ माना जाता है, लेकिन हाल के वर्षों में यह एक व्यवसायिक उद्योग बनता जा रहा है। कतिपय विद्यालय और शिक्षण संस्थान अब शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ अधिक से अधिक मुनाफा कमाने की मानसिकता से भी प्रेरित दिखाई दे रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप विद्यार्थियों और अभिभावकों को कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इस गंभीर विषय को लेकर सांसद सुधीर गुप्ता ने लोकसभा मंे प्रश्न किया।

    प्रश्नकाल के दौरान सांसद सुधीर गुप्ता ने कहा कि शिक्षा के बढ़ते व्यावसायीकरण के कारण महाविद्यालयों और कोचिंग संस्थानों के बीच मिली भगत दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है । यह एक गंभीर विषय है और सरकार ने इस संबंध में कोई संसदीय समिति गठित की है और क्या समिति ने अपना प्रतिवेदन सरकार को सौंप दिया है। सरकार का कोचिंग संस्थानों के साथ मिली भगत करके गलत काम करने वाले और छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करने वाले महाविद्यालयों की मान्यता रद्द करने का विचार है।

    प्रश्न के जवाब में शिक्षा मंत्रालय में राज्य मंत्री डॉ. सुकान्त मजूमदार ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी 2020) में अन्य बातों के साथ-साथ अधिगम हेतु योगात्मक मूल्यांकन, जो प्रचलित श्कोचिंग संस्कृतिश् को प्रोत्साहित करता है, की बजाय नियमित रचनात्मक मूल्यांकन पर ध्यान केंद्रित करने का अनुबंध किया गया है। इसमें रटकर सीखने और परीक्षा-उन्मुख अध्ययन की तुलना में वैचारिक समझ पर अधिक बल दिया गया है।

    उन्होने बताया कि अनियमित कोचिंग सेंटरों और बढ़ते व्यावसायीकरण की समस्या पर अंकुश लगाने के लिए, शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को 16 जनवरी 2024 को कोचिंग सेंटर के विनियमन के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं, ताकि उचित कानूनी ढांचे के माध्यम से उन पर विचार किया जा सके और उन्हें अपनाया जा सके। सचिव, उच्चतर शिक्षा विभाग के स्तर पर दिनांक 16.07.2024 के पत्र के माध्यम से राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के साथ इस पर अनुवर्ती कार्रवाई की गई है।

    इसी के साथ ही दिशा-निर्देशों में कोचिंग सेंटरों को अभिभावकों/छात्रों को कोचिंग सेंटर में दाखिला दिलाने के लिए रैंक या अच्छे अंकों का भ्रामक वादा या गारंटी देने से प्रतिबंधित किया गया है। दिशा निर्देशों में यह भी प्रावधान है कि पाठ्यक्रम/पाठ्यचर्या हेतु लिया जाने वाला शुल्क सही और यथोचित होगा। किसी भी परिस्थिति में पाठ्यक्रम की अवधि के दौरान शुल्क में वृद्धि नहीं की जाएगी। सरल निकासी नीति और आनुपातिक आधार पर शुल्क वापसी की जाएगी। इसमें कोचिंग सेंटर के पंजीकरण को रद्द करने सहित जुर्माना लगाने का प्रावधान भी किया गया है, यदि प्राधिकारियों को पता चलता है कि उसने दिशानिर्देशों के किसी नियम या शर्त का उल्लंघन किया है, इसके अतिरिक्त कानून का उल्लंघन करने के लिए कोई अन्य कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है।

    कोचिंग सेंटर पर छात्रों की निर्भरता कम करने के लिए, जेईई और एनईईटी जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उच्च गुणवत्तापूर्ण सामग्री उपलब्ध कराने के साथ-साथ छात्रों के लिए ऑनलाइन मूल्यांकन मॉड्यूल प्रदान करने हेतु साथी मंच का शुभारंभ किया गया है। यह वेब प्लेटफ़ॉर्म, मोबाइल एप्लिकेशन, यूट्यूब लाइव सत्रों और डीटीएच चौनलों का उपयोग करके सेवाओं की आपूर्ति करता है। शिक्षार्थियों के लिए विभिन्न शीर्षकों और विषयों पर 10,000 घंटे से अधिक की अधिगम सामग्री उपलब्ध है।

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