महावीर अग्रवाल
मन्दसौर १७ अप्रैल ;अभी तक ; श्री णमोकार महामंत्र साधना केन्द्र बही पार्श्वनाथ चौपाटी पर चल रहे पाँच दिवसीय श्री नंदीश्वर द्वीप जिन बिम्ब पंचकल्याणक महोत्सव गजरथ एवं विश्व शांति महायज्ञ के आयोजन के दूसरे दिन जन्म कल्याणक महोत्सव पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्य श्री वर्धमान सागरजी महाराज ने कहा तीर्थंकर प्रभु का जन्म अंतिम जन्म है। वे संयम धारण करके मोक्ष प्राप्त करेंगे। अनादिकाल से अब तक भरत ऐरावत व विदेह क्षेत्र में तीर्थंकरों का जन्म होता है, शास्त्रों में ये जानकारियां अमिट है।
आचार्य श्री ने बताया कि तीर्थंकर बालक के प्रथम दर्शन का सौभाग्य शचि इन्द्राणि को मिलता है। बालक के अतिशय रूप को देखने के लिए हमारे नैत्र सक्षम नहीं है। हम भी हमारा जीवन त्याग व संयम भरा बनाए क्योंकि पुण्य अर्जन के लिए बीज रूप में व्रतों को धारण करना पड़ता है।
प्रातःकाल पंचकल्याणक विधान पूजन हुई। पश्चात मंचीय कार्यक्रम में सौधर्म इन्द्र का आसन कम्पायमान हुआ तो सौधर्मइन्द्र ने अवधि ज्ञान से जाना कि तीर्थंकर बालक का जन्म हुआ है। उसी समय वह तीर्थंकर को नमस्कार कर हर्षपूर्वक नृत्य करने लगते हैं तब शचि इन्द्राणी के पूछने पर बताते हैं कि अयोध्या नगरी में तीर्थंकर का अवतरण हुआ है। धनपति कुबेर को आमंत्रित किया जाता है। सौधर्म और कुबेर इन्द्र तीर्थंकर के पिता महाराजा नाभिराय को भेंट देते हैं। शचि इन्द्राणी माता मरुदेवी के प्रसूति गृह में जाकर मायावी बालक को सुलाकर तीर्थंकर बालक को ले आती है। तीनों लोकों में खुशियां छा जाती है!बालक को ऐरावत हाथी पर ले जाकर पाण्डुक शिला पर अभिषेक किया जाता है। कुबेर द्वारा रत्नों की वृष्टि की जाती है। प्रथम अभिषेक का सौभाग्य श्री गुलाबचंद शाह भीलवाड़ा को प्राप्त हुआ। द्वितीय अभिषेक के लाभार्थी श्री विजयेन्द्र कुमार मनीष सेठी, सौरभ गौरव बड़जात्या, डॉ. मनसुखलाल संजय गांधी तथा आशीष छाबडा जयपुर को प्राप्त हुआ। अन्य श्रावकों ने भी बड़ी संख्या में लाभ प्राप्त करते हुए तीर्थंकर बालक का अभिषेक किया। प्रतिष्ठाचार्य बाल ब्रहाचारी संजय भैया मुरैना तथा तथा सह प्रतिष्ठाचार्यों के निर्देशन में मंत्रोच्चार के साथ विधि विधान से तीर्थंकर बालकों को वस्त्राभूषण धारण करवाए गए। जन्म कल्याणक का विशाल जुलुस निकाला गया। जिसमें सभी इन्द्र जन्म की खुशियों में नाचते गाते चल रहे थे। रात्रि में पालना झुलाना, बाल क्रिड़ा, महाआरती आदि आयोजन हुए।
पंचकल्याणक महोत्सव समिति के अध्यक्ष श्री शांतिलाल बड़जात्या ने बताया साधना केन्द्र पर यह चौथा पंचकल्याणक उत्सव है। इस उत्सव से समाजजनों में खासा उत्साह है। प्रथम बार चौबीस माता पिता बनकर प्रत्येक तीर्थंकर बालक की प्राण प्रतिष्ठा के लिए तैयारियां की जा रही। ऐसा अनूठा और अद्भुत आयोजन पूरे मंदसौर नीमच तथा आसपास के क्षेत्रों में प्रथम बार आयोजित हो रहा है। प्रातः 6 बजे से रात्रि 11 बजे तक महोत्सव की क्रियाएं चल रही है। एयर कंडीशनर डोम में हजारों श्रद्धालु बैठकर पंचकल्याणक महोत्सव का आनंद लेते हुए पुण्य वृद्धि कर रहे हैं।
महोत्सव समिति की मीडिया प्रभारी डॉ. चंदा भरत कोठारी ने बताया आज 18 अप्रैल शुक्रवार को प्रातः 6 बजे से जाप्य अभिषेक शांतिधारा, जन्मकल्याणक पूजन व प्रवचन आदि होंगे। दोपहर 12 बजे से आदिकुमार का विवाह संस्कार, युवराज आदिकुमार का राज्याभिषेक, मुकुटबद्ध राजाओं द्वारा भेंट, षटकर्म उपदेश, नीलांजना नृत्य, वैराग्य दर्शन, भरत बाहुबली का राजतिलक दीक्षा विधि तथा शाम 7 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।
पंचकल्याणक महोत्सव समिति के अध्यक्ष श्री शांतिलाल बड़जात्या ने बताया साधना केन्द्र पर यह चौथा पंचकल्याणक उत्सव है। इस उत्सव से समाजजनों में खासा उत्साह है। प्रथम बार चौबीस माता पिता बनकर प्रत्येक तीर्थंकर बालक की प्राण प्रतिष्ठा के लिए तैयारियां की जा रही। ऐसा अनूठा और अद्भुत आयोजन पूरे मंदसौर नीमच तथा आसपास के क्षेत्रों में प्रथम बार आयोजित हो रहा है। प्रातः 6 बजे से रात्रि 11 बजे तक महोत्सव की क्रियाएं चल रही है। एयर कंडीशनर डोम में हजारों श्रद्धालु बैठकर पंचकल्याणक महोत्सव का आनंद लेते हुए पुण्य वृद्धि कर रहे हैं।
महोत्सव समिति की मीडिया प्रभारी डॉ. चंदा भरत कोठारी ने बताया आज 18 अप्रैल शुक्रवार को प्रातः 6 बजे से जाप्य अभिषेक शांतिधारा, जन्मकल्याणक पूजन व प्रवचन आदि होंगे। दोपहर 12 बजे से आदिकुमार का विवाह संस्कार, युवराज आदिकुमार का राज्याभिषेक, मुकुटबद्ध राजाओं द्वारा भेंट, षटकर्म उपदेश, नीलांजना नृत्य, वैराग्य दर्शन, भरत बाहुबली का राजतिलक दीक्षा विधि तथा शाम 7 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।