अरुण त्रिपाठी
रतलाम 12 फरवरी ;अभी तक ; दस साल पहले फर्जी तरीके से साले की जगह जीजा द्वारा परीक्षा देने के मामले में न्यायालय ने रतलाम जिले के ग्राम पंचेड निवासी गोपाल जाट पिता भरतलाल जाट और ग्राम कंसेर निवासी उसके जीजा देवकरण चैधरी पिता शिवनारायण चैधरी को दोषसिद्ध करार दिया है। दोनो को भादंवि की धारा 419 में दो-दो वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है और एक-एक हजार रुपये का जुर्माना भी किया गया है।
सहायक जिला अभियोजन अधिकारी भूपेन्द्र कुमार सांगते ने बताया कि जावरा की प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट जावरा हर्षिता पिपरेवार ने आरोपी जीजा-साले को दंडित किया है। उनके अनुसार 15 जून 2015 को शासकीय उच्चतर माध्यमिक स्कूल कालूखेडा में भोज मुक्त विश्वविद्यालय की बीए प्रथम वर्ष के आधार पाठ्यक्रम विषय की परीक्षा थी। इसमें परीक्षार्थी गोपाल जाट निवासी पंचेड को परीक्षा में शामिल होना था, लेकिन गोपाल के स्थान पर उसका जीजा देवकरण चैधरी निवासी ग्राम कंसेर परीक्षा दे रहा था। पर्यवेक्षक कालुराम परिहार ने जब उपस्थिति पत्रक पर हस्ताक्षर कराते समय प्रवेश पत्र के फोटो का मिलान किया, तो उनमें मिलान नहीं हुआ। इसकी सूचना तत्काल केन्द्राध्यक्ष संजना चैहान ( प्राचार्य शासकीय उच्चतर माध्यमिक स्कूल कालूखेडा) को दी गई। केन्द्राध्यक्ष ने परीक्षा कक्ष में पहुंचकर जांच की, तो परीक्षार्थी गोपाल के स्थान पर उसका जीजा देवकरण उत्तर पुस्तिका में प्रश्न हल करते पाया गया। पूछताछ करने पर देवकरण ने गोपाल के स्थान पर परीक्षा देना कबूल लिया। इस पर कालूखेड़ा थाने पर गोपाल व देवकरण के खिलाफ रिपोर्ट की गई थी।