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    आचार्य श्री निपुणरत्नसूरिश्वरजी म.सा. का नई पौषधशाला जनकूपुरा में हुआ आगमन

    महावीर अग्रवाल 

    मन्दसौर ७ जुलाई ;अभी तक ;   सोमवार को जनकूपुरा नई पौषधशाला में एक दिवसीय प्रवचन हेतु आचार्य श्री निपुणरत्नसूरिश्वरजी म.सा., पन्यासप्रवर श्री राजरत्न म.सा., साध्वी श्री गीतार्थ रेखा श्रीजी म.सा. आदि ठाणा 9 का आगमन हुआ। आचार्यश्री एवं साधु साध्वियों के आगमन पर जैन श्वेताम्बर चतुर्थ स्तुति श्रीसंघ मंदसौर के द्वारा उनकी भव्य अगवानी की गई। आचार्यश्री के आगमन पर श्रीसंघ के द्वारा जीवागंज स्थित राजेन्द्र विलास से चल समारोह निकाला गया। ढोल के साथ निकले इस चल समारोह में बड़ी संख्या में जनकुपुरा क्षेत्र के जैन समाज के श्रावक श्राविकाये शामिल हुए। जीवागंज से प्रारंभ होकर यह चल समारोह भूरिया महादेव मंदिर गली, श्री अजीतनाथ मंदिर, गणपति चौक, बड़ा चौक, धनकुट्टा गली, श्री पद्मावति मंदिर होते हुए नई पौषधशाला भवन पहुंचा। मार्ग में कई स्थानों पर आचार्यश्री की अगवानी की गई। मार्ग में जैन समाज के श्रावक श्राविकाओं ने अक्षत (चावल) से गहुलिया की। अन्य समाजों के धर्मालुजनों ने भी अपने निवास स्थान के बाहर आकर आचार्यश्री एवं अन्य जैन साधु साध्वियों के दर्शन वंदन का धर्मलाभ लिया। नई पौषधशाला भवन में आचार्य श्री ने धर्मसभा में अपने व्याख्यान में कहा कि चातुर्मास 9 जुलाई से प्रारंभ हो रहा है यह चातुर्मास पूरे चार माह अर्थात कार्तिक चतुर्दशी तक है इसलिये चातुर्मास के चार माह हमें मिले है हम उस समय का पूरा सदुपयोग करे तथा जहां भी संतों साध्वियों के चातुर्मास हो रहे है वहां पहुंचकर प्रतिदिन व्याख्यान, प्रतिक्रमण में शामिल होकर अपने जीवन को धन्य बनाये। चातुर्मास का समय धर्म आराधना के लिये उत्तम माना गया है। इस अवधि में व्यापार व्यवसाय कम होता है। इसलिये व्यापारी वर्ग को इस अवधि का पूरा लाभ लेना चाहिये। आपने कहा कि वर्षावास में अठायी, मासखमण की तपस्या भी सहज रूप से हो जाती है। आयम्बिल व्रत के लिये भी यह समय उत्तम है, इसलिये अपने को वर्षावास में धर्मआराधना तप तपस्या से जोड़े और जीवन को पापमुक्त बनाते हुए पुण्य कार्य में लगाये।
    पन्यास प्रवर श्री राजरत्न म.सा. ने कहा कि मानव जीवन में हम धर्म एवं धन दोनों में से धर्म को ज्यादा महत्व दे क्योंकि मृत्यु के बाद धन यही रह जायेगा केवल धर्म ही साथ जायेगा। इसलिये जीवन का विजन धन कमाना नहीं धर्म करना होना चाहिये। आपने कहा कि हम भगवान महावीर के अनुयायी है हमें पाप का त्याग करना चाहिये और पुण्य कर्म के बड़े ऐसे कर्म करने चाहिये। जीवन में हम मर्यादित आचरण करें तथा पापकर्म से सदैव दूर रहे ताकि आत्मा की दुर्गति से बच सके।
    ये धर्मालुजन हुए शामिल- धर्मसभा व चल समारोह में जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंध अध्यक्ष विजय सुराणा, पूर्व अध्यक्ष कमल कोठारी, चतुर्थ स्तुति श्रीसंघ अध्यक्ष जितेन्द्र (जीतुभाई) जैन घड़ीवाले, अर्पित डोसी, शांतिलाल डोसी, कांतिलाल दुग्गड़, गणपति चौक, सौरभ डोसी, जिनेन्द्र डोसी, अमित जैन, दिलीप डोसी, नवीन पोरवाल, विरेन्द्र कर्नावट, पत्रकार संजय भाटी भी उपस्थित थे।
    9 जुलाई से प्रतिदिन प्रवचन रूपचांद आराधना भवन में होंगे- श्री केसरिया आदिनाथ श्रीसंघ्ज्ञ अध्यक्ष दिलीप डांगी ने बताया कि 9 जुलाई बुधवार से वर्षावास की शुरूआत हो रही है। 9 जुलाई से आचार्य श्री एवं सभी साधु साध्वीगण रूपचांद आराधना चौधरी कॉलोनी में विराजेंगे। इस दौरान प्रतिदिन प्रातः 9 से 10 बजे तक संतों के प्रवचन होंगे। प्रतिदिन सायंकाल 7 बजे उपरांत आचार्य श्री के सानिध्य में यहां प्रतिक्रमण भी होगा। धर्मालुजन प्रवचन एवं प्रतिक्रमण दोनों में नियत समय व स्थान पर आकर सहभागिता करें व धर्मलाभ ले।

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