आनंद ताम्रकार। बालाघाट
जिले की वारासिवनी कृषि उपज मंडी में वर्ष 2010-11 की अवधि में हुये कूपन घोटाले का मामला प्रकाश जैसे से ही आया प्रशासन एक्शन में आया गया है। एसडीएम एवं कृषि उपज मंडी के भारसाधक अधिकारी आर आर पाण्डे ने मंडी सचिव को कूपन घोटाले से संबंधित फाईल तत्काल प्रस्तुत करने के निर्देश दिये है।
यह उल्लेखनीय है यह कूपन घोटाला तत्कालीन मंडी सचिव अर्चना ठाकुर के कार्यकाल में घटित हुआ है उन्हीं के हस्ताक्षर से भुगतान पत्र का अनुमोदन हुआ और चेक जारी कर भुगतान किया गया।
इस मामले का चौकाने वाला यह तथ्य है की मंडी बोर्ड द्वारा मंडी सचिव एवं मंडी समिति के पदाधिकारी एवं मंडी में कार्यरत कर्मचारी जिन्होने कूपन जारी किये उनके विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई एवं मंडी सचिव अर्चना ठाकुर को बचाने के उद्देश्य से साईं राम भोजनालय के प्रोप्राइटर विवेक ऐडे से अनियमित भुगतान के जरिये 10 लाख 40 हजार रुपये की राशि तत्काल वसूले जाने के निर्देश मंडी बोर्ड द्वारा जारी हुये है।
यह उल्लेखनीय है की कूपन घोटाले के दौरान 23 व्हाउचर्स के माध्यम से 2 अप्रैल 2010 से लेकर 7 जनवरी 2011 की अवधि में भुगतान किया गया जिसमें से व्हाउचर क्रमांक 1/260 दिनांक 8/09/2010 को 3 लाख 10 हजार 910 रुपये का भुगतान किया जाना बताया गया है। जो सबसे अधिक राशि है।
7 अप्रैल 2010 से 5 मई 2010 की अवधि में 17407 भोजन कूपन जारी होना बताया गया है जो ठेके की अवधि में सर्वाधिक संख्या है। इस अवधि में जारी अनुबंध पत्रों की संख्या निरंक बताई गई है।
इतने महत्वपूर्ण दस्तावेजी साक्ष्य होने के बावजूद मंडी बोर्ड मंडी सचिव सहित अन्य संलिप्त लोगों के खिलाफ किसी तरह की कार्यवाही ना किया जाना संदेह पैदा करता है।
मंडी प्रांगण में स्थित भोजनालय के जिस कमरे में भोजन कराया जाता था उस कमरे में केवल 20 से 25 व्यक्तियों की बैठने की क्षमता है इसके बावजूद एक ही दिन में 2 से 3 हजार किसानों की संख्या भोजन कूपन के नाम पर बताई है।
यह भी जानकारी प्राप्त हुई है की कूपन घोटाले की फाइल में से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज गायब कर दिये गये है।
प्रशासन की कार्यवाही से ठेकेदार से वसूली जाने वाली राशि एवं संलिप्त लोगों के विरुद्ध क्या कार्यवाही की जायेगी इसकी प्रतीक्षा है।


