महावीर अग्रवाल
मंदसौर ११ जुलाई ;अभी तक ; वर्तमान में जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में डॉक्टर्स द्वारा मरीजों को अस्पताल में उपलब्ध दवाओं की बजाय बाहरी मेडिकल स्टोर्स से महंगी दवाइयाँ खरीदने हेतु बाध्य किया जा रहा है। इतना ही नहीं, अस्पतालों में उपलब्ध जाँच सुविधाओं के बावजूद मरीजों को महंगी प्राइवेट लैब में जाँच करवाने के लिए कहा जा रहा है।जो कि गैरकानूनी हे।
उक्त वक्तव्य अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत के प्रांत सह सचिव नवनीत शर्मा ने जारी कर बताया कि सरकार गरीब मरीजों को अस्पतालों में सभी तरह की दवाइयां निःशुल्क उपलब्ध करवा रही हे ताकि प्रायवेट हॉस्पिटल के भरी भरकम खर्चे से गरीब आदमी बच जाए परंतु वर्तमान में जिला अस्पताल में साठगांठ से कई डॉक्टर्स गरीब मरीजों को जानबुझकर बाहर की महंगी दवाई खरीदने को बाध्य करते हे साथ ही कई प्रकार की महंगी जांचे भी इनके द्वारा लिखी जाती हे जबकि अस्पतालों में सभी गंभीर बीमारी की दवाइयां एवं सभी तरह की जांचों की व्यवस्था सरकार द्वारा की जा चुकी हे।यह स्थिति न केवल गरीब और निम्न आयवर्ग के मरीजों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डाल रही है, बल्कि सरकारी चिकित्सा व्यवस्था की विश्वसनीयता को भी प्रभावित कर रही है। जब सरकारी अस्पतालों को पर्याप्त दवाइयाँ और जाँच सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं, तो फिर मरीजों को बाहर भेजना किस उद्देश्य से हो रहा है, यह समझ से परे है।इस तरह की प्रथा से यह संदेह उत्पन्न होता है कि कहीं कुछ डॉक्टर्स बाहरी दवा कंपनियों या प्राइवेट लैब्स के साथ गठजोड़ में तो नहीं हैं, जो चिकित्सा सेवा के नैतिक सिद्धांतों के विरुद्ध है। इससे गरीब वर्ग के लोगों का सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं से भरोसा उठता जा रहा है।
अतः मेरा जिले के कलेक्टर महोदय से अनुरोध है कि इस विषय की प्रमुखता से जांच करवाए और दोषी डॉक्टर पर सख्त कार्रवाई करे ताकि गरीब मरीजों के साथ लूटपट्टी बंद हो सके।और यदि इस पर तुरंत अंकुश न लगा तो संगठन द्वारा संबंधित व्यवस्था के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा।


