आनंद ताम्रकार
बालाघाट २१ फरवरी ;अभी तक ; दिल्ली अदालत ने मध्य प्रदेश के पूर्व विधायक किशोर समरिते को सितंबर 2022 में संसद को उड़ाने की धमकी देने के लिए दोषी ठहराया है। जिससे पूर्व विधायक किशोर समरिते की मुश्किले बढ़ सकती है। हालांकि, विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने उन्हें विस्फोटकों के कब्जे और जीवन को खतरे में डालने या इसके माध्यम से चोट पहुंचाने के आरोपों से बरी कर दिया।
अदालत ने कहा कि एक पार्सल में पाए गए पदार्थ की जांच पर, जिसे उन्होंने कथित तौर पर राज्यसभा के महासचिव के कार्यालय में भेजा था, वह विस्फोट का कारण बनने के लिए उनकी क्षमता के संदर्भ में हानिरहित निकला। जबकि विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धारा 5 (ए) के तहत प्रभार के लेख (विस्फोटक पदार्थ के माध्यम से जीवन को खतरे में डालना), और विस्फोटक अधिनियम की धारा 9 बी (1) (बी) (किसी भी विस्फोटक का निर्माण, आयात या निर्यात), साबित नहीं हुआ, फिर भी यह स्थापित किया गया है कि आरोपी ने भारत की संसद को उड़ाने के खतरे के साथ एक पत्र भेजा, अगर उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया।
अदालत ने 18 फरवरी को दिए फैसले में कहा है कि अदालत ने उसे आईपीसी की धारा 506 भाग दो (मारने या गंभीर रूप से चोट पहुंचाने की धमकी) के तहत दोषी ठहराया, जिसमें सात साल की अधिकतम सजा का प्रावधान है। इस मामले में न्यायाधीश 27 फरवरी को सजा पर दलीलें सुनेंगे।
मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के लांजी पूर्व विधायक समरीट ने संसद को उड़ाने की धमकी दी और 16 सितंबर, 2022 को राज्यसभा अधिकारी को कुछ मांगों और एक संदिग्ध पदार्थ के साथ खतरे का पत्र भेजा था।
दरअसल, जिले के लांजी से समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक रहे हैं। जो बाद में बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गए थे। जिन्होंने सितंबर 2022 में देश की संसद को उड़ाने की धमकी दी थी। पूर्व विधायक ने धमकी दी थी कि अगर उसकी 70 मांगें नहीं मानी गईं तो वह 30 सितंबर को संसद भवन को उड़ा देगें। नपूर्व विधाायक किशोर समरीते ने क्षेत्र की समस्याओं का हल नहीं निकलने पर स्पीकर को पत्र लिखकर धमकी दी थी।
पूर्व विधायक समरिते ने एक पैकेज संसद को भेजा था। जिसमें धमकी भरा पत्र, कुछ झंडे, संविधान की एक प्रति और कुछ जिलेटिन की छड़ें थीं। जिसके बाद संसद मार्ग पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कर मामले की जांच शुरू की थी।


