दीपक शर्मा
पन्ना १५ फरवरी ;अभी तक ; विगत 30 जनवरी को सिमरिया थाना अन्तर्गत पुरैना के पास स्थित जेके सेम प्लांट में बडा हादसा हुआ था, जिसमें चार मजदूरो की मौत हो गई थी तथा दो दर्जन से अधिक मजदूर बुरी तरह से घायल हो गयें थें, उक्त मामले को लेकर पूरे प्रदेश में बबाल मचा था, तत्काल में शासन प्रशासन द्वारा जांच के आदेश दिये गये थें, कमिश्नर सागर संभाग वीरेन्द्र सिंह रावत द्वारा छह सदस्यीय समिति गठित कर मामले की निश्पक्ष जांच करने का आदेश दिया था,
उक्त समिति में अपर कलेक्टर नीलाम्बर मिश्रा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आरतीस सिंह, सहायक श्रम आयुक्त, तकनीकी अधिकारी के रूप में पीआईयू लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री सहित आधा दर्जन अधिकारीयों की टीम गठित की गई थी, किस प्रकार से यह बड़ा हादसा घटित हुआ टीम द्वारा पन्द्रह दिवस के अन्दर मामले की जांच रिपोर्ट देने की बात कही गई थी, लेकिन पन्द्रह दिवस से अधिक समय हो जाने के बावजूद संबंधित समिति द्वारा अभी तक पूर्ण रूपेण जांच भी नही की गई और न ही मामले की जांच रिपोर्ट बनाई गई, संबंधित जांच समिति के अधिकारी कुछ भी बोलने से इंकार कर रहें है। कंपनी प्रबंधन द्वारा म्रतको को 18-18 लाख रूपये की राशि मुआवजे के रूप में दी गई है, तथा निर्माण कार्य कराने वाले आउट सोर्स कंपनी के तीन कर्मचारीयो के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया था, लेकिन कंपनी प्रबंधन के अधिकारीयों पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
गत दिवस जेके सेम प्लांट का मध्य प्रदेश विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष अमंग सिंघार द्वारा भी 13 फरवरी को प्लांट का भ्रमण किया गया तथा दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने की मांग की गई थी। लेकिन संबंधित मामले में सरकार तथा जिला प्रशासन गंभीर नहीं है, और न ही मामले की जांच स्पष्ट रूप से कराकर कार्यवाही करने के प्रति संवेदनशील है। प्रशासन तथा पुलिस जेके सेम कंपनी का पिट्टू बना हुआ है आम जनता से उन्हे कोई लेना देना नहीं है, इससे स्पष्ट होता है कि संबंधित मामले मे लीपापोती करते हुए मामले को रफा दफा कर दिया जायेगा।