दीपक शर्मा
पन्ना १४ जुलाई ;अभी तक ; वन विभाग अजयगढ़ के अंतर्गत दमचुआ बीट अंतर्गत राहुनिया के जंगल में लाखों रुपये की लागत से निर्मित तालाब पहली ही बारिश में ध्वस्त हो गया, जिससे विभाग के भ्रष्टाचार और लापरवाही की पोल खुल गई है। यह तालाब अप्रैल 2025 में बनाया गया था, लेकिन इसकी गुणवत्ता इतनी खराब थी कि यह पहली बारिश का दबाव भी सहन नहीं कर सका।स्थानीय लोगो ने बताया कि तालाब के निर्माण में निम्न गुणवत्ता की सामग्री का उपयोग किया गया, जिसके चलते यह बारिश के पानी के साथ बह गया। ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग के बीटगार्ड रामनरेश राजपूत व डिप्टी रेंजर मुकेश मिश्रा के द्वारा निर्माण कार्य में धन का दुरुपयोग किया। इस तालाब का उद्देश्य जंगल में वन्यजीवों के लिए जल उपलब्ध कराना और आसपास के किसानों के जानवरो की आवश्यकताओं को पूरा करना था, लेकिन अब यह पूरी तरह बर्बाद हो चुका है।
लोगो ने कहा, “लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी तालाब एक बारिश भी नहीं झेल सका। यह वन विभाग की लापरवाही और भ्रष्टाचार का स्पष्ट प्रमाण है।” एक अन्य रहवासी ने बताया कि निर्माण के दौरान कोई उचित निगरानी नहीं की गई, और मनमाने ढंग से काम किया। ओर बताया गया है कि वन विभाग की खकरी में लगे पत्थरो का इस्तेमाल तालाब में किया गया है
वन विभाग के अधिकारियों से जब इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने मामले की जांच का आश्वासन दिया।
रेंजर ने कहा, “हमें तालाब के टूटने की जानकारी मिली है। हम इसकी जांच कर रहे हैं, और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।” हालांकि, लोगो का कहना है कि यह केवल खानापूर्ति है, और पहले भी ऐसे मामलों में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।यह घटना वन विभाग के तालाब निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार का एक और उदाहरण है। पहले भी कई खबरें सामने आ चुकी हैं, जहां वन विभाग द्वारा बनाए गए तालाब या तो पानी रोकने में असफल रहे या भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए। विशेषज्ञों का कहना है कि बिना सामुदायिक भागीदारी और उचित निगरानी के ऐसे प्रोजेक्ट्स का सफल होना मुश्किल है प्रशासन से मांग की है कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच हो, और दोषी अधिकारियों व ठेकेदारों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए। साथ ही, तालाब के पुनर्निर्माण के लिए पारदर्शी प्रक्रिया अपनाने की मांग भी उठ रही है।


