More
    Homeप्रदेशये तो सच है कि भगवान है, मगर फिर भी अंजान है,...

    ये तो सच है कि भगवान है, मगर फिर भी अंजान है, दशपुर रंगमंच ने आयोजित की सूरों से सजी संगीत संध्या

    महावीर अग्रवाल 

    मन्दसौर १२ जून ;अभी तक ;   नगर की सांस्कृतिक संस्था दशपुर रंगमंच मंदसौर द्वारा होटल डायमण्ड में सूरों से सजी संगीत संध्या का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. प्रदीप चेलावत द्वारा की गई।
                                     कार्यक्रम की शुरूआत आबिद भाई के गीत ‘‘गर तुम भुला न दोंगे सपने यह सच ही होंगे’’ से की गई। आकांक्षा पोखरना ने माता-पिता की वंदना करते हुए गीत ‘‘ये तो सच है कि भगवान है, मगर फिर भी अंजान है’’ गाया। लोकेन्द्र पाण्डे ने ‘‘धीरे-धीरे से मेरी जिंदगी में आना’’ गाया। डॉ. महेश शर्मा ने ‘‘धीरे-धीरे प्यार को बढ़ाना है’’ गीत प्रस्तुत किया।
                                       सतीश सोनी ने गीत ‘‘चुपके-चुपके दो दिल मिल रहे है’’ सुनाया। श्याम गुप्ता ने सदाबहार गीत ‘‘पल-पल दिल के पास तुम रहती हो’’ प्रस्तुत किया। राजा सोनी ने गीत ‘‘छोटे-छोटे भाईयों के बड़े भैया’’ सुनाकर तालियां बटोरी। राजकुमार अग्रवाल ने ‘‘आपके जिनके करीब होते है, वो बड़े खुशनसीब होते है’’ सुनाया।
    आशीष मराठा ने अपने ही अंदाज में ‘‘चांद छूपा बादल में’’ सुनाकर दाद बटोरी। मुन्ना बेटरी ने अपनी कविताओं से हास्य व्यंगों की झड़ी लगाई। कवि धु्रव जैन ने अपनी रचनाओं को पठन किया।
    दशपुर रंगमंच के संस्थापक अभय मेहता एवं ललिता मेहता ने युगल गीत ‘‘ओ मेरे सनम-ओ मेरे सनम दो जिस्म मगर एक जान है हम’’ सुनाया।
    इस अवसर पर अभय मेहता एवं ललिता मेहता को विवाह वर्षगांठ की शुभकामनाएं डॉ. सुरेश जैन, डॉ. गोविन्द छापरवाल, प्रदीप कीमती, राजेश रघुवंशी, उषा अग्रवाल सहित अनेक स्नेहीजनों ने दी। संचालन सतीश सोनी ने किया व आभार ललिता मेहता ने माना।

    LEAVE A REPLY

    Please enter your comment!
    Please enter your name here

    Must Read

    spot_imgspot_img