-रमेशचन्द्र चन्द्रे
मंदसौर ३ मार्च ;अभी तक ; रावण के पास अथाह संपदा एवं सोने की लंका थी तथा धन का देवता स्वयं कुबेर उसका बंदी था। इसी प्रकार भगवान श्री राम के राज्य में सूर्यास्त नहीं होता था, क्योंकि संपूर्ण पृथ्वी पर उनका शासन था। दैत्य राजा बलि, तीनों लोकों का स्वामी था और हिरणाक्ष्य नाम का राक्षस संपूर्ण पृथ्वी को ही रसातल में गया था।
इसी पृथ्वी के लिए कौरव- पांडव सहित अनेक राजा महाराजाओं के बीच में भयानक हिंसक युद्ध हुए किंतु एक भी ‘माई का लाल’ इस पृथ्वी की एक इंच भूमि भी अपनी छाती पर बांधकर नहीं ले जा सका ।
किंतु वर्तमान युग में अवैधानिक तरीकों से भूमि को क्रय करने, उस पर कब्जा करने तथा सार्वजनिक भूखंडों के फर्जी कागज बनाकर उस पर आधिपत्य करने की घटनाएं बढ़ती जा रही है।
इसमें भू- माफिया तथा ब्लैक मनी वाले धन्ना सेठ, अपने चहेते राजनेताओं की सहायता से इस खेल को बड़ी ही सरलता के साथ से खेल रहे हैं।
हमारा देश एक लोकतांत्रिक राष्ट्र है किंतु यहां सरपंच से लेकर विधायक, सांसद, मंत्री अथवा अन्य स्वशासी संस्थानों में पद प्राप्त करते ही इनमें भूमि खरीदने की होड मच जाती है तथा देखते ही देखते एक फटीचर नेता करोड़ों- अरबों का मालिक बन जाता है।
‘बेचारे’ समाचार पत्र, विपक्ष और जनता उनके विरुद्ध चिल्लाती रहती है, किंतु यह बेशर्म भू-माफिया एवं नेता इन आरोपों को सिगरेट के धुएं की तरह उड़ा देते हैं।
ऐसे नेता भी देखें जाते हैं, जिनकी अगली पीढी इस जमीन का सुख भोगने के लिए है ही नहीं किंतु इनकी विस्तारवादी नीति इन नेताओं को लोक कल्याण के रास्ते से भटका रही है और आजकल भारत के अनेक राजनेता इसी भटकाव के शिकार है।
अथाह संपदा होने के बाद भी अधिकांश नेता अपनी जेब से जनकल्याण के लिए कुछ नहीं देते बल्कि या तो सरकार से जुगाड़ करते हैं अथवा व्यापारियों और उद्योगपतियों का गला दबाते हैं। इनके हर सामाजिक, धार्मिक काम के पीछे एक गहरा मंसूबा होता है। इसलिए अपने पूर्वजों के इतिहास एवं देवताओं सहित राक्षसों के अंत को पहचानिए, यह जमीन किसी के बाप की नहीं और यह दौलत स्वर्ग या नरक में नहीं चलती।
हमारे अच्छे बुरे कर्म ही हमारे साथ जाते हैं और पीछे छोड़ जाते हैं यश-अपयश अथवा कीर्ति या अपकीर्ति जो हमारी शव यात्रा के पीछे चलती है तथा उठावने में मृतक व्यक्ति के चित्र के सामने पुष्पांजलि करने की शैली से प्रकट हो ही जाती है। किंतु दुर्भाग्य है कि मृतक व्यक्ति इसको देख नहीं पाता परन्तुु उसकी आत्मा अवश्य ही महसूस करती होगी।


