महावीर अग्रवाल
मंदसौर ५ जून ;अभी तक ; श्री प्रेमप्रकाश आश्रम में आचार्य सद्गुरू स्वामी टेऊँराम महाराज के चालीहा महोत्सव का आज पन्द्रहवां दिवस बुधवार को संत श्री शंभूलालजी प्रेमप्रकाशी के सानिध्य में आप संगत ने श्रद्धा उमंग एवं उत्साह के साथ मनाया।
उक्त आशय की जानकारी सेवा मण्डली के अध्यक्ष पुरुषोत्तम शिवानी ने देते हुए बताया कि प्रेम प्रकाश आश्रम के सत्संग हाल में बैठी श्रद्धालु संगत पर संत शंभूलाल ने अपने मुखारविंद से अमृतमयी वर्षा में कहा कि हमारे आचार्य स्वामी टेऊँराम जी महाराज ने श्री प्रेम प्रकाश पंथ की स्थापना सनातन धर्मोपरी मान्यता के आधार पर रखकर की, जिसमें जात-पात, ऊंच नीच से ऊपर उठकर मानव मातृ को भगवत स्वरूप में देखने की प्रेरणा दी। उसि पंथ परम्परा पर हमारे प्रेम प्रकाश पंथ आज भी अग्रसर है। आपने रामायण की चौपाई-
‘‘जात पात पूछे नहिं कोई, हरि को भजे सो हरि का होय’’
की व्याख्या करते हुए कहा कि जिस प्रकार डॉक्टर की औषधि से मरीज ठीक होता है ,उसी प्रकार सतगुरू व परमात्मा का नाम स्मरण करने वाले प्राणी के दुःख निवारण में औषधि के रूप में कार्य करता है। अर्थात गुरू के प्रति विश्वास आपको चिकित्सक के रूप में कार्य करेगा। संत श्री शंभूलाल ने आचार्य श्री टेऊँराम जी महाराज के आज से 83 वर्ष पूर्व अंतर्ध्यान के प्रसंग को सुनाते हुए उपस्थित संगत को भाव विभोर कर दिया। आपने कहा कि अविभाजित हिंदुस्तान के हैदराबाद दरबार में आचार्य श्री ने अपनी देह त्याग की तब डॉक्टरों का कहना था कि प्राण जाने के बाद भी उनके नेत्रों में रोशनी बरकरार है। आप का मृत शरीर अपने आप पद्मासन में बैठ में तब्दील हो गया और जिस गौमाता का आचार्य टेऊँराम जी महाराज दूध ग्रहण करते थे उस गाय ने भी प्राण त्याग दिये, एक पौध जो आचार्य श्री ने रोपा था जो हरा भरा होकर छाया प्रदान कर रहा था, वो वृक्ष भी अपने आप सुखकर जमीन पर गिर गया।
आपने कहा कि योगी, तपस्वी, संत, महात्मा का जन्म व प्रस्थान ब्रज की भाषा में हरी मिलन महोत्सव के समान है। अर्थात वे इस जगत में मानव मात्र का उद्धार करने हेतु आते है। इसलिये आपके चालीसा पाठ की अंतिम पंक्तियां-
‘‘अमर देश से आगमन, अमर देश प्रस्थान,
अमरापुर वाणी अमर, अमरापुर स्थान,
आप अमर चरित्र अमर आपका नाम।’’
चालीसा महोत्सव के अंतर्गत श्री प्रेम प्रकाश आश्रम में सुबह शाम भक्ति भाव के साथ सत्संग एवं सेवा प्रसाद व भण्डारों के आनंद में संगत प्रसन्न है। सेवा के अंतर्गत गुरू महाराज के साप्ताहिक अवतार दिवस शनिवार को नगर के मुख्य चौराहा पर चावल पुलाव शरबत पेयजल का वितरण भी किया जा रहा है।
सत्संग के उपरांत गुरू प्रसादी “भण्डारा” आयोजित किया गया। आभार प्रदर्शन जीवतराम सिरुमल पागानी परिवार की ओर से राजेश पागानी एवं रेखा उतवानी ने प्रकट किया।
‘‘जात पात पूछे नहिं कोई, हरि को भजे सो हरि का होय’’
की व्याख्या करते हुए कहा कि जिस प्रकार डॉक्टर की औषधि से मरीज ठीक होता है ,उसी प्रकार सतगुरू व परमात्मा का नाम स्मरण करने वाले प्राणी के दुःख निवारण में औषधि के रूप में कार्य करता है। अर्थात गुरू के प्रति विश्वास आपको चिकित्सक के रूप में कार्य करेगा। संत श्री शंभूलाल ने आचार्य श्री टेऊँराम जी महाराज के आज से 83 वर्ष पूर्व अंतर्ध्यान के प्रसंग को सुनाते हुए उपस्थित संगत को भाव विभोर कर दिया। आपने कहा कि अविभाजित हिंदुस्तान के हैदराबाद दरबार में आचार्य श्री ने अपनी देह त्याग की तब डॉक्टरों का कहना था कि प्राण जाने के बाद भी उनके नेत्रों में रोशनी बरकरार है। आप का मृत शरीर अपने आप पद्मासन में बैठ में तब्दील हो गया और जिस गौमाता का आचार्य टेऊँराम जी महाराज दूध ग्रहण करते थे उस गाय ने भी प्राण त्याग दिये, एक पौध जो आचार्य श्री ने रोपा था जो हरा भरा होकर छाया प्रदान कर रहा था, वो वृक्ष भी अपने आप सुखकर जमीन पर गिर गया।
आपने कहा कि योगी, तपस्वी, संत, महात्मा का जन्म व प्रस्थान ब्रज की भाषा में हरी मिलन महोत्सव के समान है। अर्थात वे इस जगत में मानव मात्र का उद्धार करने हेतु आते है। इसलिये आपके चालीसा पाठ की अंतिम पंक्तियां-
‘‘अमर देश से आगमन, अमर देश प्रस्थान,
अमरापुर वाणी अमर, अमरापुर स्थान,
आप अमर चरित्र अमर आपका नाम।’’
चालीसा महोत्सव के अंतर्गत श्री प्रेम प्रकाश आश्रम में सुबह शाम भक्ति भाव के साथ सत्संग एवं सेवा प्रसाद व भण्डारों के आनंद में संगत प्रसन्न है। सेवा के अंतर्गत गुरू महाराज के साप्ताहिक अवतार दिवस शनिवार को नगर के मुख्य चौराहा पर चावल पुलाव शरबत पेयजल का वितरण भी किया जा रहा है।
सत्संग के उपरांत गुरू प्रसादी “भण्डारा” आयोजित किया गया। आभार प्रदर्शन जीवतराम सिरुमल पागानी परिवार की ओर से राजेश पागानी एवं रेखा उतवानी ने प्रकट किया।


