महावीर अग्रवाल
मन्दसौर १२ मार्च ;अभी तक ; श्री 1008 आदिनाथ पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में अष्टान्हिका पर्व में चल रहे 8 दिवसीय श्री सिद्धचक्र मण्डल विधान महोत्सव के अर्न्तगत आयोजित हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम में रात्रि में मैना सुन्दरी नाटिका की प्रस्तुति समाजजनों द्वारा दी गई। राजस्थान से आए कलाकार सुरेश जैन के निर्देशन में भव्य नाटिका प्रस्तुत हुई।
यह जानकारी देते हुए मीडिया प्रभारी डॉ. चंदा भरत कोठारी ने बताया राजा पुहुपाल की पुत्री मैना सुंदरी ने जब पिता से कहा कि मुझे सब कुछ अपने भाग्य व अपने कर्मों से मिल रहा है, आपके कारण नहीं। तब राजा पुहुपाल ने क्रोधित होकर मैना सुन्दरी का विवाह कुष्ठ रोगी युवक श्रीपाल से कर दिया कि तेरे भाग्य में कोढी ही लिखा है। तब भी राजकुमारी मैना सुंदरी ने कोढी पति को स्वीकार किया और सिद्धचक्र विधान की पूजन रचाकर, जिनेन्द्र अभिषेक के गंधोदक से कोढी पति श्रीपाल व सात सौ कोढ़ियों पर छिटक कर उनका रोग दूर किया। सिद्ध भक्ति के प्रभाव से मैना के पति की काया स्वर्ण समान उज्जवल हो गई। तब राजा पुहुपाल ने अपनी पुत्री से क्षमा मांगी और यह माना कि संसार में प्रत्येक जीव अपने भाग्य व कर्मों के अधीन है। पूरी नाटिका को विस्तार के साथ चरितार्थ किया गया।
नाटिका में सर्वश्री डॉ. राजकुमार बाकलीवाल, भरत कुमार कोठारी, हैप्पी पाटनी, लता बाकलीवाल, डॉ. चंदा कोठारी, नुपुर पाटनी, नैना बाकलीवाल, किरण रावका आदि ने विभिन्न पात्रों की भूमिका निभाते हुए नाटिका को जीवन्त रूप में प्रस्तुत किया है। प्रारंभ में मंगलाचरण नृत्य धृति और वृद्धि पाटनी ने किया।
श्री सुरेश कुमार पाटनी की ओर से सभी को पुरस्कार दिए गए। पं. श्री विजय कुमार गांधी ने भी संबोधित किया।
इस अवसर पर सर्वश्री रमेश बक्षी, जितेन्द्र दोशी, विनोद जैन कुचड़ौद, दिनेश डोसी, जयन्तिलाल जुवा, सुनील जैन, जितेन्द्र पंड्या, कीर्ति सेठी, संजय गंगवाल, डॉ अशोक अग्रवाल, संजय कोठारी, उमेश जैन, प्रदीप पाटनी, अमित पाटनी, रमेश पंचोली आदि बडी संख्या में समाजजन उपस्थित थे।
यह जानकारी देते हुए मीडिया प्रभारी डॉ. चंदा भरत कोठारी ने बताया राजा पुहुपाल की पुत्री मैना सुंदरी ने जब पिता से कहा कि मुझे सब कुछ अपने भाग्य व अपने कर्मों से मिल रहा है, आपके कारण नहीं। तब राजा पुहुपाल ने क्रोधित होकर मैना सुन्दरी का विवाह कुष्ठ रोगी युवक श्रीपाल से कर दिया कि तेरे भाग्य में कोढी ही लिखा है। तब भी राजकुमारी मैना सुंदरी ने कोढी पति को स्वीकार किया और सिद्धचक्र विधान की पूजन रचाकर, जिनेन्द्र अभिषेक के गंधोदक से कोढी पति श्रीपाल व सात सौ कोढ़ियों पर छिटक कर उनका रोग दूर किया। सिद्ध भक्ति के प्रभाव से मैना के पति की काया स्वर्ण समान उज्जवल हो गई। तब राजा पुहुपाल ने अपनी पुत्री से क्षमा मांगी और यह माना कि संसार में प्रत्येक जीव अपने भाग्य व कर्मों के अधीन है। पूरी नाटिका को विस्तार के साथ चरितार्थ किया गया।
नाटिका में सर्वश्री डॉ. राजकुमार बाकलीवाल, भरत कुमार कोठारी, हैप्पी पाटनी, लता बाकलीवाल, डॉ. चंदा कोठारी, नुपुर पाटनी, नैना बाकलीवाल, किरण रावका आदि ने विभिन्न पात्रों की भूमिका निभाते हुए नाटिका को जीवन्त रूप में प्रस्तुत किया है। प्रारंभ में मंगलाचरण नृत्य धृति और वृद्धि पाटनी ने किया।
श्री सुरेश कुमार पाटनी की ओर से सभी को पुरस्कार दिए गए। पं. श्री विजय कुमार गांधी ने भी संबोधित किया।
इस अवसर पर सर्वश्री रमेश बक्षी, जितेन्द्र दोशी, विनोद जैन कुचड़ौद, दिनेश डोसी, जयन्तिलाल जुवा, सुनील जैन, जितेन्द्र पंड्या, कीर्ति सेठी, संजय गंगवाल, डॉ अशोक अग्रवाल, संजय कोठारी, उमेश जैन, प्रदीप पाटनी, अमित पाटनी, रमेश पंचोली आदि बडी संख्या में समाजजन उपस्थित थे।