प्रदेश

निर्वाचन ड्यूटी में लगे लोक सेवकों का हो सामूहिक बीमा

महावीर अग्रवाल 

मंदसौर २६ अक्टूबर ;अभी तक;  सर्व शिक्षक संघ जिला शाखा मंदसौर ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी म.प्र. निर्वाचन आयोग एवं कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी जिला मंदसौर को पत्र लिखकर जबसे आयोग की आचार संहिता लागू हुई है निर्वाचन में संलग्न शासकीय लोकसेवकों का सामूहिक बीमा किये जाने एवं गंभीर बीमारी से ग्रस्त लोक सेवकों के आवेदनों पर गंभीरता से विचार करने की मांग की है।

                                             सर्वशिक्षक संघ ने अपने पत्र में लिखा है कि मध्यप्रदेश के लोक सेवकों का म.प्र. शासन सामूहिक बीमा करता है ताकि कोई भी लोक सेवक परिवार किसी भी आकस्मिक दुर्घटना से पीड़ीत नहीं हो। दिनांक 10 अक्टूबर से आदर्श आचार संहिता लागू हो चुकी है एतदर्थ प्रत्येक लोक सेवक राज्य निर्वाचन आयोग के यहाँ प्रतिनियुक्ति पर है इसलिये किसी भी भावी संकट से निपटने के लिये लोक सेवकों का राज्य निर्वाचन आयोग को बीमा करवाना चाहिये। संघ ने मप्र विधानसभा निर्वाचन 2018 में भी श्री सुधीर जोशी गणक शासकीय महाविद्यालय मंदसौर का अधिसूचना जारी होने के पश्चात निर्वाचन सामग्री लेते समय मृत्यु हो गयी थी ऐसा कभी भी किसी भी लोकसेवक के साथ संभव है और उससे परिवार को राहत प्रदान करना आयोग के क्षेत्राधिकार में है इसलिये एक आदर्श नियोक्ता के अनुरूप अपनी भूमिका का सफल संचालन हेतु निर्वाचन आयोग अपनी आदर्श भूमिका निभा रहा होगा लेकिन अभी तक किसी भी समाचार पत्र में यह स्पष्ट नहीं हुआ है और न कोई आदेश के देखने को मिला है । साथ ही बिमारियों से पीड़ित लोक सेवकों की ड्यूटी लगी  है, 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोकसेवकों, कोविड 2019 से प्रभावित तथा उसके बाद की बिमारियों से पिड़ीत कर्मचारियों की ड्यूटी लगी है। आवेदन पत्र लेने की प्रक्रिया का भी सरलीकरण हो।
                                 संघ के प्रांतीय संरक्षक रामकृष्ण नवाल, प्रांतीय उपाध्यक्ष दिलीप कुमार सांखला, संभागीय उपाध्यक्ष आशीष बंसल, महिला प्रकोष्ठ संभाग उज्जैन की संभागीय अध्यक्ष श्रीमती निवेदिता नाहर, अध्यक्ष जिला मंदसौर जयेश नागर, जिला उपाध्यक्ष मनीष पारिख, महिला जिला उपाध्यक्ष सरिता अग्निहोत्री, जिला कोषाध्यक्ष सुरेश गुप्ता, जिला सहसचिव अंशुल धनोतिया, राजेन्द्र शर्मा व्याख्याता, प्रकोष्ठ के संयोजक विष्णुकुमार सोनी, जिला प्रवक्ता जगदीश काला, राधेश्याम सेठिया आदि ने अपना कर्तव्य समझते हुए यह पत्र लिखकर मांग की है।

 

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