पंकज त्रिपाठी को फिल्म मिमी के लिए मिला नेशनल अवॉर्ड:पिता को अवॉर्ड समर्पित कर बोले- ‘बाबूजी होते तो बहुत खुश होते, ये देश का सम्मान’
बॉलीवुड एक्टर पंकज त्रिपाठी को फिल्म मिमी के लिए 69वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड में बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का अवॉर्ड मिला है। दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित हुए इस अवॉर्ड में उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अवॉर्ड देकर सम्मानित किया। इस बड़ी उपलब्धि पर पंकज त्रिपाठी ने दैनिक भास्कर से एक्सक्लूसिव बात की और अपना आभार व्यक्त किया है। अवॉर्ड पिता को समर्पित करते हुए उन्होंने कहा है कि उनकी ये जर्नी उन बच्चों के लिए है, जो छोटी जगह या बंद कमरों में बैठकर सपने देखते हैं।
पढ़िए उनसे हुई बातचीत का प्रमुख अंश-
सवाल- दूसरी बार नेशनल अवॉर्ड जीतने पर क्या कहना चाहेंगे?
पंकज त्रिपाठी- विनम्र हूं, कृतज्ञ हूं। मेहनत और ईमानदारी से अपने काम में लगे रहो, तो कुछ भी संभव है, वही हुआ है। मैं बरसों से ईमानदारी के साथ अपने काम में लगा हुआ हूं, उसी का फल है। बाबू जी अगर होते तो बहुत खुश होते। उन्हें नेशनल अवॉर्ड बहुत पसंद था, क्योंकि ये देश का सम्मान है। उन्हीं को ये अवॉर्ड समर्पित है। मेरी जर्नी, मेरी यात्रा उन बच्चों के लिए जो किसी बंद कमरे में, कहीं भी छोटी जगह में सपने देख रहे होंगे। वो सपने देखें और हर रोज परिश्रम करें, सब कुछ संभव है। मेरी यात्रा यही है।
सवाल- अपनी इस जर्नी में सबसे बड़ी ताकत किसे मानते हैं?
पंकज त्रिपाठी- बहुत सारे लोग हैं, कोई एक इंसान नहीं है। उसमें मां-बाप हैं, शिक्षक हैं, गुरु हैं, परिवार है, दोस्त हैं, राइटर हैं, डायरेक्टर हैं, लंबी लिस्ट है। किसी भी व्यक्ति की जर्नी में बहुत लोगों का योगदान होता है।
सवाल- कोई तमन्ना बाकी है, जो आप शेयर कर सकें?
पंकज त्रिपाठी- नहीं, कोई तमन्ना बाकी नहीं है। ईश्वर ने इतना दिया है, आभारी हूं ईश्वर का। मैं उतना ही स्तब्ध हूं। ईमानदारी से मेहनत करूंगा और अच्छी फिल्मों का हिस्सा बनना चाहता था, खुशकिस्मती से इस साल जो भी फिल्में थीं सब सुंदर कहानियां हैं, अच्छी कहानियां हैं। उन्हीं के इंतजार में हूं। मेरी खड़क सिंह आएगी, बहुत सुंदर फिल्म है। अटल जी की बायोपिक (मैं अटल हूं) भी कमाल बनी है, मैंने फर्स्ट कट देख लिया है। मैं उनके इंतजार में हूं। जिन लोगों के साथ चाहा था, उनके साथ काम कर रहा हूं, पूरी ईमानदारी से। ये और विनम्र बनाता है।
सवाल- कभी सोचा था कि फिल्म का सबसे बड़ा सम्मान मिलेगा?
पंकज त्रिपाठी- बिल्कुल नहीं सोचा था। मैं बस ईमानदारी से काम करता गया। सोचा कुछ भी नहीं था। जो कुछ मिला वो अप्रत्याशित है मेरे लिए भी। मैं उसके लिए आभारी हूं, विनम्र हूं।
सवाल- आपकी ईमानदारी का राज क्या है?
पंकज त्रिपाठी- पता नहीं, शायद परवरिश। हम जिस भूमि से, जिस दुनिया से आते हैं, वो इसका कारण हो सकती है।
अपनी बात खत्म करते हुए पंकज त्रिपाठी ने दैनिक भास्कर के रीडर्स के लिए कहा, सभी दर्शकों को आभार, नेशनल फिल्म अवॉर्ड के ऑडिटोरियम में जो भी मिल रहा था कह रहा था कि आपकी कामयाबी पर्सनल लगती है। दर्शकों से इस तरह जुड़ना बहुत रेयर है, मैं सिर्फ ऑनस्क्रीन ही नहीं बल्कि ऑफस्क्रीन आचरण में भी जुड़ा हूं। उन सभी दर्शकों का आभार।