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आत्मविश्वास से भरा वक्ता हर मंजिल पा जाता – डॉ आरती जैन

महावीर अग्रवाल
  मन्दसौर १० जुलाई ;अभी तक;  प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस राजीव गांधी गवर्नमेंट पीजी कॉलेज मंदसौर (म.प्र.),में अंग्रेजी विभाग एवं सार्थक सोशल वेलफेयर सोसाइटी मंदसौर द्वारा “एडवांस्ड कम्युनिकेशन स्किल्स :  स्पीक विद कॉन्फिडेंस” वेबीनार का आयोजन किया गया ।
                             इस वेबीनार की प्रमुख वक्ता  डॉ आरती जैन  थी ।कार्यक्रम के स्वागत उद्बोधन देते हुए अंग्रेजी विभाग की विभाग अध्यक्ष डॉ वीणा सिंह ने संचार कौशल के महत्व पर प्रकाश डाला और वर्तमान समय में संचार कौशल, व्यक्तित्व विकास का परिचायक है यह बताया।
                             तत्पश्चात महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ बी आर नलवाया ने अपने उद्बोधन में कहा की संचार कौशल आज की महती आवश्यकता है । प्रत्येक व्यक्ति को इस कौशल को विकसित करने पर ध्यान देना चाहिए। इस तरह की गतिविधियां विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में सहायक होती हैं और उन्होंने अंग्रेजी विभाग को अपनी नवाचार परक गतिविधियों के लिए शुभकामनाएं प्रदान की। तत्पश्चात अपने व्यक्तित्व की तरह ही ऊर्जावान अपने व्याख्यान में डॉ आरती जैन ने  विद्यार्थियों को बताया की
                                संचार का संबंध केवल मौखिक संचार से ही नहीं बल्कि आपकी अभिव्यक्ति से भी होता है। साथ ही संचार कौशल का भी पूर्ण ज्ञान आवश्यक है। ज्ञान प्राप्त करने के लिए पढ़ने को अपनी आदत बनाएं। जीवनियाँ, आत्मकथाएँ, समाचार पत्र और पत्रिकाएँ पढ़ें। अगले की भाषा पर पकड़ होनी चाहिए, बिना झिझक अपनी बात रखनी चाहिए. ज्ञान और भाषा आत्मविश्वास बनाने में मदद करते हैं। एक अच्छे वक्ता को एक अच्छा श्रोता भी होना चाहिए।
 सामने वाले व्यक्ति की बात सुने फिर अपनी बात रखें.
दर्शकों के साथ हमेशा आँख का संपर्क बनाए रखें। मैं आपको देख रहा हूं, मैं आपकी उपस्थिति को महत्व देता हूं और मैं आपसे सीधे बात कर रहा हूं . इससे आपको यह मदद मिलेगी कि अगर आपकी भाषा पर पकड़ नहीं  भी होगी तब भी आप अपनी बात सही तरीके से रख पाएंगे .
 जब भी आप कहीं वक्त के रूप में जाएं तो नोट्स ले कर ना जाएं .पूरक शब्दों का प्रयोग न करें. इससे पता चलता है कि आप घबराये हुए हैं। अपनी जागरूकता बढ़ाकर पूरक शब्दों का प्रयोग बंद करें। ऐसा करने के लिए सबसे पहले आप अभ्यास करें और इसे रिकॉर्ड करें, इसे देखें और देखें कि आप फिलर शब्दों का उपयोग कहां कर रहे हैं। पूरक शब्दों का उपयोग करने के बजाय रुकें, सांस लें और फिर से शुरू करें। अपनी तुलना स्वयं से करें.आराम से और साफ़ बोलें .आप क्या कह रहे हैं वह जरूरी नहीं है कैसे कह रहे हैं वह जरूरी है, आप जो कहना चाह रहे हैं वह आप कैसे कहते हैं. हर शब्द जो आप बोलते है उसे साफ और सही तरह से बोले .प्रोजेक्ट योर वॉइस :- जहां भी आप बोल रहे हैं वहां सभी आपको ठीक से सुन पा रहे हैं या नहीं। आप सिर्फ बोलने के लिए नहीं सुने जाने के लिए आए हैं।अपने डायाफ्राम से बोलें, गले से नहीं। इसे विकसित करने के लिए श्वास संबंधी व्यायाम करें।
 जब आप इस तरह से बोलते है तो आप यह समझे कि आप यह निश्चित कर रहे है कि आप सुने जा रहे है।गैर-मौखिक संचार विकसित करने का प्रयास करें:- शारीरिक भाषा, चेहरे के भाव और हाथ के इशारे हमें एक मानक प्रस्तुति को एक यादगार प्रस्तुति बनाने में मदद करते हैं। सकारात्मक और आत्मविश्वासपूर्ण भाव हमारी प्रस्तुति को यादगार बनाते हैं।सकारात्मक और आत्मविश्वासपूर्ण भाव विकसित करने के लिए किसी को यूट्यूब चैनल पर टेड टॉक्स देखना चाहिए जहां हम बहुत सारे वक्ता देख सकते हैं.मुस्कुराना याद रखें:- न केवल चेहरे पर बल्कि इसे अपनी आंखों में भी दिखाएं। मुस्कुराहट के साथ जाने वाला संदेश दिखाता है कि आपकी बात कितनी प्रासंगिक है, आप कितने सुलभ हैं। आपकी मुस्कुराहट आपके संदेश को श्रोता तक पहुंचाएगी और आपको उनके साथ सही ढंग से जुड़ने में मदद करेगी। मुस्कुराहट के साथ बातचीत शुरू करें . बात पर जोर देना है अगर तो कुछ देर रुक कर बोले ,जैसे कि मोदी जी के बोलने का तरीका .यह पॉज हमें यह मदद करता है कि हम समझ सके की हम जो बोल रहे हैं वह सही बोल रहे हैं या नही.
सक्रिय श्रवण पर काम करें. पूरी तरह से प्रस्तुत  रहे .नोट्स बनाएं कुछ भी सुनाने के  बाद.प्रासंगिक बात करें और अच्छे उदाहरण केस स्टडीज कहानियां . शब्दावली पर अभ्यास करें उसे समृद्ध बनाएं जिससे भाषा बेहतर होगी .अभ्यास उच्चारण करे, किसी भी शब्द को कैसे बोलना है उसका अभ्यास करें . फिडबैक लेना जरूरी है इस से होगा यह कि अगली बार आपको कहां ध्यान रखना है वहां आपको याद रहेगा, आपकी बात सही तरह से सुनी जा रही है या नहीं उसका पता चलेगा.प्रक्षेपण से डरो मत, अपनी आवाज़ को नियंत्रित करो
उदाहरण के लिए अमिताभ बच्चन को देखे उन्हें हर जगह से ना ही सुनने को मिला था उन्हें ऑल इंडिया रेडियो ने आवाज के कारण रिजेक्ट किया था उन्होंने अपनी आवाज में बदलाव लाकर अपनी वाणी पर संयम रखकर तक दुनिया के जाने-माने वक्ता  बन गए हैं.
धन्यवाद ज्ञापन विभाग के ही प्रोफेसर सचिन शर्मा द्वारा किया गया.कार्यक्रम में विभाग के  प्रोफेसर प्रो दीप्ति शक्तावत , प्रो ध्यूती मिश्रा एवं विद्यार्थी शामिल हुए कार्यक्रम का संचालन बीए द्वितीय वर्ष के विद्यार्थी अर्पित परमार ने किया.

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