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अवधूत संत दादाजी तपोभूमि पर मनेगा गुरुपूर्णिमा

मयंक शर्मा

खंडवा १९ जुलाई ;अभी तक; अवधूत संत केशवानन्द की तपोभूमि कहलाता है , हमेशा अपने सामने आग की धुनी रमाये रखने वाले संत की समाधि खंडवा में है। जिन्हें भक्त दादाजी धुनी वाले के नाम से याद करते है।  हर साल गुरुपूर्णिमा पर देश भर के लाखो भक्त इनके दरबार में माथा टेकने आते है।,

गुरुपूर्णिमा पर्व में शामिल होने के लिए सैकडों  भक्तजन  , सैकड़ो किलोमीटर की पैदल यात्रा करके यहाँ पहुँचते है , ा पर्व के दौरान यहां आने वाले भक्तों को चाय ,नाश्ता , विभिन्न प्रकार के पकवान के अलावा आने -जाने के लिए टेक्सी और  दवाइयां मुफ्तं मिलती है। आने वालेे आगन्तुक भक्तों की संख्या पांच लाख तक होती है।

दादाजी धाम के पटेल सेवा ट्स्ट के मदनभाई ने बताया कि  बडे दादाजी याने केंशवानंद ने अपने जीवन मे र्कई  लीलाये की , भक्तो को कई चमत्कार दिखाए , मुर्दाे को ज़िंदा तक कर दिया। बताते है की दादाजी के चमत्कारों की अनुभूति आज भी भक्तों को होती रहती है , यही वजह है की  भक्तजन नंगे पैर सैकड़ों किलोमीटर की दुरी तय करके खंडवा पहुंचे है , उनकी जुबान पर यही नाम रहता है , भज लो दादाजी का नाम , भज लो हरिहर जी का नाम ।

ट्स्ट के ही मदन ठाकरे ने कहा कि  गुरु -शिष्य परम्परा की अनोखी मिसाल सिर्फ खंडवा में देखने को मिलती है , खंडवा के दादा दरबार में बड़े दादाजी और छोटे दादाजी की समाधि है। ठाकरे ने कहा कि आज भी बड़े दादाजी को भक्तजन शिव का अवतार, और छोटे दादाजी को विष्णु का अवतार मानकर पूजा जाता है। ठाकरे बताते है की अंग्रेज सरकार ने दादाजी को  गाॅड मानते हुए , उन्हें ताम्रपत्र देकर सम्मानित किया था।, दादाजी के द्वारा किये चमत्कार विज्ञान के लिए चुनौती साबित हुए है।,

गुरुपूर्णिमा पर्व के दौरान  नगरवासी , जात -पात और धर्म का भेद मिटाकर, बाहर से आने वाले भक्तों की सेवा करते है , ऐसा नजारा और कही देखने को नहीं मिलता है।

गुरु पूर्णिमा पर खंडवा नगर में आने वाले मेहमानों का स्वागत , पूरा शहर मिलकर करता है  ,शहर में प्रवेश करते ही श्रधालुओं की आवभगत शुरू हो जाती है, इस पर्व में लोगो का सेवा भाव और हिन्दू -मुस्लिम एकता का अनोखा रूप देखने को मिलता है।.गुरुपूर्णिमा के दौरान खंडवा में  सौ से अधिक भंडारे आयोजित किये जाते है  ।

यहां पिछले 9 दशक से प्रज्जवल्ति  अखंड धूनी में मनोकामना पूर्ति के लिये सूखा नारियल अर्पित करने की पंरपरा है। हजारो नारियल अर्पित होगे। तय किया गया है कि  धूनी का तापमान 50 डिग्री तक होने पर नारियलों चढ़ाने पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा।महाराष्ट्र के जलगांव जिले के सांगवी गांव से 11 सौ लोगों का जत्था भी खंडवा पहुंचा है। भोलानंद गुरु सेवानंद आश्रम से भक्त 30 साल से नियमित  निशान लेकर आ रहे हैं।

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