प्रदेश

एस.डी.एम. नागवंशी को दोहरा प्रभार, देने से जिला मुख्यालय की व्यवस्था लड़खड़ाई आम आदमी परेशान

दीपक शर्मा

पन्ना १९ जुलाई ;अभी तक; पन्ना अनुविभाग एवं अजयगढ अनुविभाग का प्रभार संजय नागवंशी को कलेक्टर द्वारा सौपे जाने से अजयगढ़ एवं पन्ना की व्यवस्था लड़खडा गई है। क्योकि उनके द्वारा दोनो स्थानो पर पर्याप्त समय नही दिया जा रहा है। जिससे आम जनता के कार्य प्रभावित हो रहें है। इसके साथ ही एसडीएम के पास जबलपुर पेशी एवं अन्य कार्य भी होते है। जबकी जिला मुख्यालय में जिला मुख्यालय का प्रभार एक ही व्यक्ति को मिलना चाहीए। जिससे वह विधिवत रूप से कार्य कर सकें।

ज्ञात हो कि कलेक्टर कार्यालय में संयुक्त कलेक्टर कुशल सिंह गौतम भी पदस्थ है, क्योकि उन्हे अजयगढ़ से हटाकर पन्ना में अटैच किया गया है, उनको भी एसडीएम का प्रभार दिया जा सकता है। लेकिन जिला कलेक्टर सुरेश कुमार की क्या मंशा है यह वहीं समझ सकते है।

बीते माह प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सरकारी कार्यालयों में अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए दिन में 10 बजे से 06 बजे तक का समय उपस्थित हेतु निर्धारित भले कर दिया लेकिन 90 प्रतिशत अधिकारी, कर्मचारियों द्वारा पालन नहीं हो रहा है। क्योंकि अधिकारियों सहित कर्मचारियों के लिए प्रदेश के मुखिया का कोई ख़ौफ नहीं है।

इस दिशा में बताते चलें कि एस.डी.एम. पन्ना श्री नागवंशी एक पहले ऐसे अधिकारी हैं जो कर्तव्यनिष्ठ हैं मगर यह पूर्ण रूपेण कार्यालय में पांच दिन नहीं बैठ पाते क्योंकि दो दिन इन्हें अजयगढ़ का प्रभार देखना पड़ता है, बाकी तीन दिन इन्हें पन्ना कार्यालय के लिए शेष बचते हैं, किन्तु इन्हें बहुत कम इन तीन दिनों में भी कार्यालय में बैठने का समय नहीं मिल पाता क्योंकि इनकी जिला प्रशासन की ओर से बीच-बीच में जबलपुर पेशी करने में ड्यूटी लगा दी जाती है। इस तरह जिनके काम अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय से संबंधित रहते हैं तो वह ग़रीब विचारे भटकते रहते हैं। जबकि कुछ डिप्टी कलेक्टरों के पास कोई अधिक काम नहीं तो उन्हें भी तो जबलपुर पेशी करने जिला प्रशासन के द्वारा भेजा जा सकता है। उन्हे एसडीएम का प्रभार भी दिया जा सकता है। जिससे प्रशासनिक व्यवस्था सही ढंग से संचालित हो सकें। परन्तु जिला कलेक्टर की मंशा का समझ मे नहीं आ रहा कि आखिर वह किस प्रकार से जिले का संचालन करना चाहते है। ज्ञात हो कि वैसे भी वर्तमान समय मे पन्ना जिले की प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त है, आम आदमी भारी परेशान है, कोई भी समस्या लेकर पंहुचता है इसका निराकरण नहीं होता है। जिम्मेवार जन प्रतिनिधी तथा विपक्ष भी खामोशी की मुद्रा में है।

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