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दोनों पक्षों के बीच पत्थर को लेकर सहमति नहीं बनने से श्रीदादाजी के मंदिर का निर्माण कार्य अधर में`

`मयंक शर्मा
 खंडवा `२३ जुलाई ;अभी तक;  अवधूत संत केशवानंद याने बडे दादाजी धूनीवाले के आश्रम दादाजी धाम के नवनिर्माण का विवदित मसला बरसो से सालान तीज त्सौहारो पर चर्चा का संदर्भ बनकर रह गया हैं। इसी तरह सोमवार  को रामेश्वर दयाल जी याने छोटे सरकार के दिल्ली से खंडवा आगमन पर मसला फिर वर्चा का  केन्द्र बना।  श्रीधूनीवाले दादाजी दरबार में छोटे सरकार यहां समाधी के दर्शन करने आये े थे। कुल मिलाकर ट्रस्ट लाल पत्थरों के मंदिर निर्माण पर अड़ा है तो वहीं छोटे सरकार और उनके समर्थक संगमरमर का 84 खंभों वाला मंदिर का निर्माण चाहते हैं। छोटे सरकार द्वारा 1990 से बड़ी मात्रा में मार्बल मंदिर निर्माण के लिए बुलाया गया था, जिसे ट्रस्ट ने लेने से इनकार कर दिया था। इसके बाद से यह मार्बल शहर के अलग-अलग गोदामों में रखा हुआ है। मंदिर निर्माण को लेकर कलेक्टर अनूपकुमार सिंह ने दोनों पक्षों के आर्किटेक्ट को बुलाकर आपसी सहमति से नया मॉडल तैयार करने की पहल की थी, लेकिन यह मामला भी अधर में ही अटका हुआ है। उनकी  कोशिश थी कि छोटे सरकार और श्रीदादाजी मंदिर ट्रस्ट के बीच सामंजस्य बने।
                                        सोमवार  को  मीडिया से चर्चा के दौरान ट्रस्ट का नाम लिए बगैर छोटे सरकार ने कहा कि हमें हमेशा कहा जाता हैं कि आप बाहर के हो, इसलिए  मंदिर निर्माण के लिए संत समाज और खंडवा वाले निर्णय करेगे।  छोटे दादाजी ने कहा कि दादाजी की आज्ञा के अनुसार मंदिर का निर्माण होना चाहिये। छोटे दादाजी की आज्ञा थी कि यहां पर 84 खंबों का मंदिर बनाया जाए। उधर इस पर ट्रस्ट ने ऐसी कोई भी बात से इनकार कर दिया।
, ट्रस्टी संुभाष नागोरी  ने कहा-आज्ञा के ऐसे प्रमाण नहीं है।ट्रस्ट ने लाल पत्थरों मॉडल के अनुसार निर्माण कार्य शुरू किया था।
आपत्ति लगाए जाने के बाद खंडवा जिला प्रशासन ने 2018 से स्टे लगा दिया था। उन्होने कहा कि छोटे दादाजी ने आश्रम संचालन की सारी नियमावली बनाई। उन्होंने 1930 से 1942 तक आश्रम की व्यवस्थाएं संभाली। वर्तमान में जो मंदिर बना है वह 1970 से 75 तक निर्मित हुआ था, तब कभी ऐसी बात सामने नहीं आई कि छोटे दादाजी की इच्छा संगमरमर के मंदिर निर्माण की थी। इस बात के कोई प्रमाण भी नहीं हैं। हमने कभी छोटे सरकार को ऐसा नहीं कहा कि आप बाहर के हैं। दरबार में तो ज्यादातर श्रद्धालु बाहर से दर्शन के लिए आते हैं। गुरूपूर्णिमा पर्व पर 4.से 5 लाख से अधिक श्र0ालुओं की भीड दर साल जुंटती  है।

ज्ञातच्य है कि श्रीधूनीवाले दादाजी दरबार में गुरु पूर्णिमा के दूसरे समाधि दर्शन के लिए छोटे सरकार के आगमन पर एक बार फिर नए मंदिर के निर्माण का मुद्दा चर्चा में आया। हर बार की तरह हरिहर भवन में मंदिर निर्माण को लेकर आवाज उठी। 1970 से े मंदिर का निर्माण का  मुद्दा विवाद में है।
कुल मिलाकर  है।  छोटे सरकार ने श्रीदादाजी धाम में समाधि दर्शन करने के बाद धूनी माई में हवन-पूजन भी किया।
इस अवसर  पर  अधिवक्ता राकेश थापक ने कहा कि जब भी कोई धर्म का काम होता है, तो असुरी शक्ति रोकने का काम करती है। असुरी शक्ति रोकेगी तो क्या हम रुक जाएं। हम सब प्रण लें कि जब भी खंडवा में 84 खंभों का संगमरमर का मंदिर बनाएंगे। धर्म की स्थापना के लिए हमको आगे आना पड़ेगा और गिलहरी की भूमिका निभानी पड़ेगी। विधायक कंचन तनवे  उपस्थित नहीं हो पाईं। उनके प्रतिनिधि के रूप में उनके पति मुकेश तनवे भी उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि वह जनप्रतिनिधि और दादाजी के भक्त होने के नाते दादाजी से प्रार्थना करते हैं कि मंदिर भव्य 84 खंभों का शीघ्र बने। इसके लिए सरकार से क्या गुजारिश करना है और सरकार क्या कर सकती इस संबंध में अच्छे प्रयास करेंगे।महापौर अमृता अमर यादव ने भी कहा कि दादाजी हमारे आराध्य हैं। गुरु पूर्णिमा पर लाखों भक्त आते हैं।दादाजी मंदिर का उत्थान होगा तो शहर का विकास संभव है।

 


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