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भुजरिया पर्व को गवली ग्वाला समाज ने धूमधाम से मनाया

महावीर अग्रवाल

मंदसौर २१ अगस्त ;अभी तक ;   गवली ग्वाला समाज ने भुजरिया पर्व को बड़े हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाया। यह पर्व मुख्यतः अच्छी बारिश, समृद्ध फसल और समाज की सुख-समृद्धि की कामना के लिए मनाया जाता है। भुजरिया पर्व, जिसे कजलियों का पर्व भी कहा जाता है, श्रावण मास की पूर्णिमा के अगले दिन मनाने की परंपरा है। इस अवसर पर समाज की महिलाएं सिर पर भुजरियों की टोकरी लेकर चल समारोह में शामिल हुईं। ढोल-नगाड़ों और डीजे की धुन पर पारंपरिक गीतों के साथ नृत्य किया गया, जिसमें समाज के पुरुष भी पारंपरिक वेशभूषा में शामिल हुए।

समारोह नरसिंहपूरा हरदेवलाला मंदिर से प्रारंभ हुआ और विभिन्न मार्गों से होते हुए शिवना नदी के तट पर समाप्त हुआ। यहां भुजरियों को नदी में प्रवाहित किया गया और एक-दूसरे को शुभकामनाएं दी गईं। इस अवसर पर स्थानीय नेता और पार्षद दिव्या अनूप माहेश्वरी तथा समाज के अन्य प्रमुख लोग भी उपस्थित रहे। विनय दुबेला, अध्यक्ष मंदसौर कमर्शियल सहकारी साख संस्था, ने कहा कि भुजरिया पर्व प्रकृति प्रेम और हरियाली का उत्सव है, जो समाज के बीच एकता और समृद्धि का प्रतीक है।
भुजरिया पर्व के लिए सावन मास में गेहूं या जौ के दानों को बांस की टोकरियों में बोया जाता है। एक सप्ताह में इन दानों से पौधे निकलते हैं, जिन्हें भुजरियां कहा जाता है। श्रावण पूर्णिमा तक ये पौधे चार से छह इंच तक बढ़ जाते हैं। रक्षाबंधन के अगले दिन घरों में खीर-पूरी का भोग लगाकर पूजा की जाती है। इसके बाद सभी समाजजन एकत्र होकर चल समारोह के साथ भुजरियों को शिवना नदी में प्रवाहित करते हैं और शुभकामनाओं का आदान-प्रदान करते हैं।

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