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समाज में सिनेमा की महत्वपूर्ण भूमिका-कुलगुरु प्रो. सुरेश

मोहम्मद सईद
भोपाल 3 सितंबर अभी तक। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के सिनेमा अध्ययन विभाग द्वारा सोमवार को फिल्म पत्रकारिता: विविध आयाम पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। लता मंगेशकर सभागार में आयोजित व्याख्यान के मुख्य वक्ता वरिष्ठ फिल्म समीक्षक अजीत राय थे, जबकि अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो.(डॉ.) केजी. सुरेश ने की। इस मौके पर सिनेमा अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. पवित्र श्रीवास्तव ने विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. सुरेश और मुख्य वक्ता श्री राय का स्वागत किया।
                               कुलगुरु प्रो.सुरेश ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि समाज में सिनेमा की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि संचार के सबसे शक्तिशाली माध्यम के रूप में सिनेमा में सामाजिक परिवर्तन लाने की सबसे ज्यादा क्षमता है। प्रो. सुरेश ने गर्व के साथ उल्लेख किया कि एमसीयू भारत का पहला संस्थान है, जिसने फिल्म पत्रकारिता पर एक पाठ्यक्रम शुरू किया है। उन्होंने कहा कि कि यह पाठ्यक्रम आमतौर पर पेज 3 पर पाए जाने वाले सेलिब्रिटी गॉसिप में लिप्त होने के बजाय फिल्मों का विश्लेषण करने की कठोर प्रक्रिया पर केंद्रित है ।
                                वरिष्ठ फिल्म समीक्षक अजीत राय ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि सिनेमा एक अर्जित कला है, जो समाज को अपने बारे में शिक्षित करती है। उन्होंने देखा कि फिल्म पत्रकारिता का परिदृश्य काफी विकसित हुआ है, पारंपरिक पत्रकारिता से प्रभावशाली-संचालित सामग्री में बदलाव बहुत से बदलाव आए है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि जहाँ एक समय में पीआर एजेंसियाँ अस्तित्व में नहीं थीं, वहीं आज, हर सेलिब्रिटी की अपनी पीआर टीम है, जो समाचार पत्रों और पत्रिकाओं को खबर देते हैं । श्री राय ने लाईट एंड साउंड, हॉलीवुड रिपोर्टर, डेटलाइन और वैरायटी जैसी पत्रिकाओं के बारे में छात्रों को बताया।
                              श्री राय ने कांस, बर्लिन, सनडांस और बुसान जैसे प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों के बारे में भी बात की, उन्होंने उन भारतीय युवाओं की भी प्रशंसा की जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी वृत्तचित्रों का निर्माण कर रहे हैं। हालाँकि, उन्होंने सिनेमा उद्योग के सामने आने वाली चुनौतियों, जैसे टिकट की कीमतों पर उच्च मनोरंजन कर और महत्वाकांक्षी फिल्म निर्माताओं के लिए वित्तीय सहायता की कमी पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने फिल्म प्रमोशन के बढ़ते खर्च का भी जिक्र किया, जो नए फिल्म निर्माताओं के लिए बड़ी बाधाएँ खड़ी करता है। कार्यक्रम के अंत में सिनेमा विभाग के सीनियर असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. गजेंद्र अवास्या ने सभी का आभार किया। इस मौके पर विभाग के छात्र और अन्य शिक्षक मौजूद रहे ।

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