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स्थानकवासी जैन समाज ने संवत्सरी पर्व मनाया, जैन दिवाकर स्वाध्याय भवन में हुआ धर्म सभा का आयोजन

महावीर अग्रवाल 

 मंदसौर  ८ सितम्बर ;अभी तक ;   स्थानकवासी जैन समाज के द्वारा पर्वाधिराज पर्युषण पर्व के आठवें व अंतिम दिवस संवत्सरी पर्व मनाया गया। स्थानकवासी  समाज के श्रावक श्राविकाओं के द्वारा पर्युषण पर्व के अंतिम दिवस 36 घंटे का उपवास करते हुए सवत्सरी पर्व की धर्म आराधना की गई ।
                                    नई आबादी शास्त्री कॉलोनी स्थित श्री जैन दिवाकर स्वाध्याय भवन में चार्तुमास हेतु विराजित प. पू. जैन साध्वी श्री रमणीककुंवर म.सा., साध्वी श्री चन्दना श्री जी म.सा., साध्वी श्री लाभोदया म. सा., साध्वी श्री जिज्ञासा जी म. सा. आदि ठाणा 4 की पावन प्रेरणा व निश्रा में श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ मंदसौर व श्री साधु मार्गी  शांतक्रांति जैन श्रावक संघ मंदसौर से जुड़े सैकड़ों परिवारों के श्रावक श्राविकाओ ने स्थानकवासी जैन समाज की परंपरा अनुसार 36 घंटे का उपवास रखते हुए रविवार को अपना पूरा समय पोषध, सामायिक, प्रतिक्रमण स्वाध्याय करते हुए व्यतीत किया और संवत्सरी पर्व पर अद्भुत धर्म साधना की ।
                            सायंकाल दोनों श्री संघो से जुड़े स्थानको पर सामूहिक प्रतिक्रमण हुआ इसमें बड़ी संख्या में श्रावक श्राविकाओ ने अलग-अलग स्थान पर भागीदारी करते हुए वर्ष भर में जाने अनजाने में हुए पापकर्म के लिए एक दूसरे से क्षमा याचना की।
                             प्रातःकाल 9 से 10रू30 बजे तक रविवार को संवत्सरी पर्व के उपलक्ष में साध्वी श्री रमणीक कुंवर जी म. सा. की पावन निश्रा में विशेष धर्मसभा हुई । जिसमें आपने कहा कि पर्यूषण पर्व हमें अपने आत्म कल्याण की चिंता करने की प्रेरणा देते हैं। हम शरीर की चिंता तो रोज ही करते हैं पर्युषण पर्व हमें सिखाते हैं की शरीर  कि नहीं आत्मा के कल्याण की चिंता करो । हम कई भवों से एक शरीर से दूसरे शरीर में भटक रहे हैं हमें जन्म मरण के इस बंधन से मुक्त होना है तो हमें आत्म कल्याण के मार्ग पर अग्रसर होना पड़ेगा तभी हमें मोक्ष प्राप्त होगा। आपने कहा कि धर्म से पुरुषार्थ किए बिना आत्मा का कल्याण नहीं होगा यदि आत्मा का कल्याण करना है तो अपने कर्म बंधनों को तोड़ना होगा । अपने कर्मों की निर्जला करनी होगी। प्रभु महावीर ने पर्युषण पर्व की धर्म आराधना करने का जो मार्ग हमें बताया है हम उसे समझ और अपने आत्म कल्याण के मार्ग की ओर अग्रसर होवे।
                               साध्वी श्री चंदना श्रीजी म.सा. ने कहा कि जिस प्रकार उत्तम फसल पाने के लिए किसान को खेती बाड़ी में मेहनत करना पड़ती है उसी प्रकार आत्म कल्याण के लिए धर्म में पुरुषार्थ करना आवश्यक है यदि धर्म में पुरुषार्थ करोगे तो पुण्य कर्म का संचय अपने आप हो जाएगा और आत्म कल्याण का जो मनुष्य का लक्ष्य है वह पूर्ण हो जाएगा। आटा चक्की में वह गेहूं का दाना पीसने से बच जाता है जो पाट की चपेट में नहीं आते हुवे मध्य भाग में स्थित कील का सहारा ले लेता है । उसी प्रकार हम भी जन्म मरण के दोनों पाटो में पीस रहे हैं। जो व्यक्ति धर्म में लगा रहता है उसका धर्म के प्रभाव के कारण बाल भी बांका नहीं होता है इसलिए धर्म में पुरुषार्थ करो। धर्म सभा में साध्वी श्री लाभोदया जी व श्री जिज्ञासा जी म.सा. ने भी विचार रखें। विधायक विपिन जैन एवं श्रीसंघ अध्यक्ष अशोक उकावत ने भी अपने विचार रखे। संचालक पवन जैन (एच. एम.) ने किया।

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