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वारासिवनी नगर पालिका द्वारा नजूल भूमि अस्थाई लीज पर आवंटित की लेकिन लीजधारियों ने पक्का निर्माण कर दुकानें भवन बनाकर बढ़ी कीमत लेकर बेंच दिए

आनंद ताम्रकार

बालाघाट ११ सितम्बर ;अभी  तक ;  जिले के वारासिवनी नगर में शासन द्वारा नगर पालिका परिषद की देखरेख में शासकीय नजूल भूमि दी गई थी लेकिन परिषद पदाधिकारी एवं कर्मचारी,अधिकारियों द्वारा भू माफियाओं के साथ मिलकर शासन से अनुमति प्राप्त किये बिना 1 वर्ष की अस्थाई लीज पर आवंटित कर दी गई आवंटित भूमि पर लीज धारी ने पक्का बहुमंजिला दुकान/भवन का निर्माण कर उसे लाखों रुपये में बेच दिया है।

वहीं इस कारगुजारी के चलते नगर पालिका एवं शासकीय नजूल के खाते में एक भी रूपये जमा नही हुये इस की आड़ में परिषद और अधिकारी अवैध रकम वसूलने में जुटे हुये है।

ताजा मामला नेहरू चौक से परशुराम चौक के मध्य बनाये गये अवैध शापिंग काम्प्लेक्स का है जो नगर पालिका के लीज रजिस्टर में ब्लाक नंबर 4/29, 1350वर्गफीट जो हरिराम कीकोमल तनवानी राहुल हरिराम तनवानी वारासिवनी के नाम पर दर्ज है जिसका नामातंरण वर्ष 2021 में प्रशासक काल में किया गया था।
इस निर्माण कार्य के संबंध में निर्माण कार्य की स्वीकृति एवं उपयंत्री द्वारा स्थल निरीक्षण की रिपोर्ट एवं बिना स्वीकृति के किये गये निर्माण कार्य के संबंध में की गई कार्यवाही की जानकारी सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगे जाने पर लोक सूचना अधिकारी द्वारा पत्र क्रमांक 2746/23-24 दिनांक 23 अगस्त 2024 को आवेदनकर्ता को अवगत कराया गया है की चाही गई जानकारी निरंक है।
अधिकारिक तौर पर प्राप्त जानकारी के अनुसार जिस भूमि पर शापिंग काम्प्लेक्स बनाया गया है वह राजस्व प्रलेखों में शासकीय नजूल भूमि के रूप में नजूल सीट क्रमांक 9 डी में दर्ज है।
यह उल्लेखनीय है की उक्त नजूल भूमि का निर्धारण,अंतरण आज दिनांक तक नगर पालिका परिषद के पक्ष में नही किया गया है।
इस तरह के अवैध निर्माण किये जाने का एक प्रकरण जो माननीय कलेक्टर महोदय के न्यायालय में विचाराधीन है सुनवाई के दौरान पूर्व कलेक्टर श्री गिरीश कुमार मिश्रा ने मुख्य नगर पालिका अधिकारी से पूछा था की जो शासकीय जमीन नगर पालिका द्वारा लीज पर आवंटित कर दी गई है उसके संबंध में क्या शासन से परिषद द्वारा अनुमति प्राप्त की गई है जिस पर मुख्य नगर पालिका अधिकारी द्वारा कोई जवाब नही दिया गया।

पूर्व कलेक्टर श्री मिश्रा ने नगर पालिका परिषद वारासिवनी द्वारा मलबा बिक्री के नाम पर किये गये नामांतरण की जांच के लिए 3 सदस्यीय जांच दल का गठन किया था जिसमें अनुविभागीय अधिकारी,तहसीलदार एवं नजूल अधिकारी को समाविष्ट किया गया था। लेकिन उक्त आदेश पर अमल ना किये जाने के कारण कलेक्टर श्री मीणा ने 5 सितम्बर को हुई सुनवाई के दौरान पूर्व में घोषित जांच दल द्वारा 15 दिवस के भीतर जांच कर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिये है।

नजूल भूमि पर अवैध निर्माण किये जाने के संबंध में अनुविभागीय अधिकारी वारासिवनी एवं तहसीलदार वारासिवनी को लिखित शिकायत प्रस्तुत किये जाने के बावजूद उन्होने अवैध निर्माण के संबध में ना तो कोई जांच की ना ही निर्माण कार्य रोकने के संबंध में कोई कार्यवाही।

इस प्रकार वारासिवनी नगर में सरकारी नजूल भूमि पर नगर पालिका द्वारा अस्थाई लीज आवंटन कर दी गई जिस पर लीजधारियों ने पक्का निर्माण कर दुकानें भवन बना ली और उनको 40 लाख से लेकर 1 करोड रूपये में बिक्री किये जाने की जानकारी मिली है।

शिकायत किये जाने पर नगर पालिका द्वारा अवैध निर्माण करने वालों को मात्र नोटिस भेजकर कागजी खानापूर्ति की जा रही है। इस प्रकार नगर पालिका परिषद और राजस्व विभाग के अधिकारियों की संलिप्तता के चलते शासकीय जमीन की अफरा तफरी कर पैसा कमाने का खुला रोजगार वारासिवनी नगर में चल रहा है।

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