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प्रदेश के निजी विश्व विद्यालयों के वॉइस चांसलरों को हटाये जाने की तैयारी

आनंद ताम्रकार

बालाघाट २५ सितम्बर ;अभी तक ;  मध्य प्रदेश में वर्तमान समय में 53 निजी विश्वविद्यालय कार्यरत है जिनमें से 32 निजी विश्वविद्यालयों के वॉइस चांसलरों की नियुक्तियां नियमानुसार नही की गई है। इसमें बालाघाट भी शामिल है।
इन निजी विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा अनुदान आयोग के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है उच्च शिक्षा अनुदान आयोग के अनुसार वाइस चांसलर की नियुक्ति के लिये जो मापदण्ड निर्धारित है उसके अनुसार वाइस चांसलर की नियुक्ति के लिये 10 साल का प्रोफेसर के पद पर कार्य करने का अनुभव आवश्यक है।

22 निजी विश्वविद्यालय में जो वाइस चांसलर है उनके पास 10 साल प्रोफेसर के रूप में पढ़ाने का अनुभव नहीं है। कुछ वाइस चांसलर तो ऐसे बन गये है जिन्होने कभी भी प्रोफेसर के पद पर काम ही नहीं किया उनका कोई एकेडमिक रिकार्ड नही है उन्होंने विश्वविद्यालय खुद बनाया और स्वयं उसके वाइस चांसलर बन गये।

उच्च शिक्षा अनुदान आयोग यूजीसी ने प्रदेश में स्थित भोपाल के 8, इंदौर के 8, सिहोर के 3, ग्वालियर के 2 तथा विदिशा,रायसेन,सतना,खण्डवा,शिवपुरी,दमोह,छिंदवाडा, मंदसौर,बालाघाट तथा सागर के 1-1 निजी विश्वविद्यालय के वॉइस चांसलर को हटाने के आदेश दिये गये है।शासन स्तर पर आदेश जारी हो चुके है।
यह उल्लेखनीय है कि बालाघाट जिले में मात्र एक ही निजी विश्वविद्यालय है।

शासन द्वारा जारी किये गये आदेश का परिपालन सुनिश्चित किये जाने की दिशा में उहापोह,असमंजस की स्थिति बनी हुई है की कुछ वॉइस चांसलरों की राजनेताओं से निकटता होना बताया गया है।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार जिन नियमों के आधार पर यह कार्यवाही की गई है वहा पहले से ही सुनिश्चित है लेकिन उच्च शिक्षा विभाग ने इनका परिपालन सुनिश्चित नहीं किया। अब देखना होगा की शासन स्तर पर जारी किये गये इस आदेश का प्रभावी क्रियान्वयन होता है या नही।

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