प्रदेश

मृत्यु के पूर्व धर्मालुजन धर्म से जुड़े, धार्मिक क्रियाकलापों में ध्यान लगाये-योग रूचि विजयजी म.सा.

महावीर अग्रवाल

मंदसौर २६ सितम्बर ;अभी तक ;   प्रत्येक मनुष्य को चाहिये कि वह मृत्यु के बाद अपने भव को सुधारने का प्रयास करे। मृत्यु के पूर्व मानव को ऐसा कर्म करना चाहिये कि उसका पूरा ध्यान धर्म आराधना में लगा रहे। मृत्यु के पूर्व नवकार के जाप गिने, अपने को सांसारिक मोह से विरक्त कर ले। यथासंभव ऐसा कोई कर्म नहीं करे जिससे पापकर्म का बंध होता हो।

उक्त उद्गार प.पू. जैन संत श्री योगरूचिविजयजी म.सा. ने कहे। आपने गुरूवार को नईआबादी स्थित आराधना भवन मंदिर हॉल में आयोजित धर्मसभा में कहा कि जब भी आपको लगे की मृत्यु निकट है तो जिस भगवान या ईष्ट देव को आप मानते हो उसका फोटो अपने कक्ष में लगा दो और उसका ध्यान करो। आपने कहा कि मृत्यु के बाद किसी के नाम पर कोई दान पुण्य करने से उस आत्मा को कोई लाभ नहीं है। मृत्यु के पूर्व यदि व्यक्ति को अपनी गति सुधारनी है तो अपने हाथों से दान पुण्य करें। इसी से उसकी गति सुधरेगी। मनुष्य को यदि स्वामी वात्सल्य या सामूहिक भोज देना है तो जीवित रहते ही करा दे। आजकल जीवित महोत्सव की परम्परा भी शुरू हो गई है। हमें ऐसा करने का अवसर मिले तो जरूर करना ही चाहिए।

Related Articles

Back to top button