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लोभ के कारण धर्म आराधना का फल नहीं मिलता, लोभ से बचे-साध्वी रमणीककुंवरजी म.सा

महावीर अग्रवाल
मंदसौर २८ सितम्बर ;अभी तक ;   अधिकांश मनुष्य लोभ की कामना को लेकर धर्म आराधना करते है। लोभ की प्रवृत्ति मनुष्य को उसकी धर्म आराधना का फल नहीं मिलने देती है। जब भी हम कोई मंदिर या धर्मस्थान पर जाते है तो धन सम्पत्ति परिवार का सुख या पुत्र कामना के लिये प्रार्थना करते है यह हमारे लोभ की प्रवृत्ति है मनुष्य को अपनी लोभ की प्रवृत्ति से बचना चाहिये।
                           उक्त उद्गार परम पूज्य जैन साध्वी श्री रमणीककुंवरजी म.सा. ने नईआबादी शास्त्री कॉलोनी के जैन दिवाकर स्वाध्याय भवन में कहे। आपने शनिवार को यहां धर्मसभा में कहा कि हम लोभ की प्रवृत्ति को छोड़कर ही धर्म करे तथा प्रभु भक्ति में संलग्न होवे तथा दान पुण्य करे। संचालन पवन जैन एचएम ने किया।
                                भक्ति में प्रदर्शन नहीं करें- साध्वीजी ने कहा कि प्रभु भक्ति में सादगी होना चाहिये न कि धन वैभव सम्पत्ति का अनावश्यक प्रदर्शन। आपने भक्ति में अनावश्यक प्रदर्शन पर कहा कि भक्ति अंतर आत्मा की विषय वस्तु है न कि बाहर की। हम प्रभु भक्ति मन से करे प्रदर्शन से नहीं। आपने इस अवसर पर प्रभु महावीर के अनुयायी दशाभद्र राजा का वृतान्त भी बताया। जिन्होनंे  पहले तो धन वैभव का प्रदर्शन किया लेकिन बाद में धन वैभव को छोड़ संयम ग्रहण कर लिया। उस राजा की भक्ति को देख इन्द्र ने भी पूरे मनोभाव से उसकी भक्ति भावना से अनुमोदना की।
8 अक्टूबर को केसर कुंवरजी म.सा. की 34वीं पुण्यतिथि पर सामूहिक एकासने- साध्वी श्री केसरकुंवरजी म.सा. की 34वीं पुयतिथि दिनांक 8 अक्टूबर को सामूहिक एकासना दिवस के रूप में मनाई जायेगी। इस अवसर पर शासकीय एकासने का आयोजन लाभार्थियों द्वारा होगा जो भी धर्मालुजन एकासने करना चाहते है वे 6 अक्टूबर तक साध्वी श्री चंदनाश्रीजी या श्रीसंघ को नाम लिखावे।
8 नवम्बर को धर्ममुनिजी म.सा. की 50वीं दीक्षा दिवस मनेगा- 8 नवम्बर को तपस्वी जैन संत श्री धर्ममुनिजी म.सा. का 50वां दीक्षा दिवस सामूहिक एकासना दिवस के रूप में मनाया जायेगां धर्मालुजन के द्वारा 5-5 सामायिक कर एकासने किये जायेंगे। धर्मालुजन सामूहिक एकासने करने का धर्मलाभ ले।

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