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आईएएस में चयनित होने तथा स्थानांतरण के आदेष निकले फर्जी, बलात्कार के अपराध में दर्ज एफआईआर निरस्त करवाने करवाने हाईकोर्ट में पेष किये थे दस्तावेज

सिद्धार्थ पांडेय
 जबलपुर ४ अक्टूबर ;अभी तक ;   बलात्कार के अपराध को दर्ज एफआईआर को झूठा बताते हुए उसे निरस्त किये जाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। याचिकाकर्ता की तरफ से दस्तावेज प्रस्तुत करते हुए कहा गया था कि वह आईएएस अधिकारी है और उसका स्थानांतरण मध्य प्रदेष में हुआ था। हाईकोर्ट ने पेष किये गये दस्तावेज की जांच के आदेष जारी किये थे। हाईकोर्ट जस्टिस विषाल घगट की एकलपीठ के समक्ष प्रस्तुत की गयी जांच रिपोर्ट में कहा गया कि प्रस्तुत किये गये दस्तावेज फर्जी है। एकलपीठ ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखने के आदेष जारी किये है।

नरसिंहपुर निवासी वीर सिंह राजपूत की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि साल 2023 में महिला थाने में अनावेदिका ने बलात्कार की झूठी रिपोर्ट दर्ज करवाई है। याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने सिविल सर्विस परीक्षा उत्तीर्ण किये जाने के दस्तावेज प्रस्तुत किये गये। याचिकाकर्ता की तरफ से पेश दस्तावेज में बताया गया था कि उसने साल 2019 में सिविल सर्विस परीक्षा उत्तीर्ण की है। वर्तमान में वह प्रोविजन नियुक्ति पर है। उसका तबादला जम्मू-कश्मीर से मध्य प्रदेश हुआ है और आईपीएस के रूप में नियुक्ति हुई है। प्रकरण के कारण उसका भविष्य खतरे में है।

                                          पीड़ित की तरफ से याचिकाकर्ता की तरफ से पेश किये गये दस्तावेज को फर्जी बताते हुए कहा गया कि पिछले दो वर्षाे की सूची में वीर सिंह राजपूत नाम का कोई अधिकारी चयनित नहीं हुआ है। न्यायालय की सहानुभूति पाने याचिकाकर्ता की तरफ से ऐसा किया गया है। याचिकाकर्ता की तरफ से पेश आपत्ति को गंभीरता से लेते हुए एकलपीठ ने सरकार को 15 दिनों में दस्तावेजों की जांच कर रिपोर्ट पेष करने के आदेष जारी किये थे।
                                        गुरुवार को पेष की गयी रिपोर्ट में बताया गया कि कहा गया था कि दस्तावेजों के संबंध में जानकारी प्राप्त करते केन्द्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग से जानकारी प्राप्त की गयी थी। प्राप्त जानकारी का  याचिकाकर्ता द्वारा पेष की गये दस्तावेज उक्त विभाग द्वारा जारी नहीं किये गये है। प्रस्तुत दस्तावेज फर्जी लग रहे है। जांच रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लेते हुए एकलपीठ ने फैसला सुरक्षित रखने का आदेष जारी किये है। पीड़ित हस्तक्षेपकर्ता की तरफ से अधिवक्ता मोहम्मद अली तथा अधिवक्ता अभिमन्यु सिंह ने पैरवी की।

 


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