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नक्सल सुरक्षा, पर्यटन और व्यापार का तैयार हुआ दक्षिण द्वार घने जंगल में सर्पीली सड़क वादियों में सैलानियों को कराएगी सैर

आनंद ताम्रकार

बालाघाट ७ अक्टूबर ;अभी तक ;   आज से पहले भी सड़कें बनी है और आगे भी बनती रहेंगी। लेकिन इस बारिश से पहले एक ऐसी सड़क बनकर तैयार हुई। जो नक्सल सुरक्षा और पर्यटन की दृष्टि से अनुपम हैं। यह सड़क जंगल में रहने वाले आदिवासियों के लिए जीवन रेखा के समान भी है। इस सड़क से नक्सल से सुरक्षा में पुलिस को बड़ी मदद तो मिलना तय है ही इससे ज्यादा पर्यटनरोजगारशिक्षास्वास्थ्य और व्यापार को भी नया आयाम मिला है। इस सड़क निर्माण के लिए पुलिस द्वारा आरसीपीएलडब्ल्यूईए से प्रस्ताव तैयार किया गया। इस सड़क की एक खूबी यह भी है कि ये सड़क जिले के उत्तरी क्षेत्र बैहर को दक्षिण क्षेत्र यानी किरनापुरलांजी को सीधे जोड़ दिया है। इस लिहाज से इसे जिले का दक्षिण द्वार कहा जाने लगा है। इस द्वार से गोंदियादुर्ग और राजनांदगांव सीधे तौर पर हद में आ गया है। यह सड़क दो विधानसभाओं को आपस में जोड़ती है। बैहर विधानसभा के हर्रानाला से प्रारम्भ होकर खड़ी पहाड़ी व अत्यंत दुर्गम जंगल के बीच से 16 किमी. की दूरी तय करते हुए लांजी विधानसभा के दुगलई पहुँचती है।

चुनौती भरा रहा निर्माण1200 मीटर में 8 शार्प टर्न

एमपीआरआरडीए के सहायक प्रबंधक श्री एसके शर्मा ने बताया कि आरसीपीएलडब्ल्यूईए मद से निर्मित 16 किमी. की यह सड़क बड़ी कठिन रही है। इस मार्ग में एक बड़ी और खड़ी चढ़ाई को तोड़ना इतना आसान नही था। इस मार्ग में 1200 मीटर में ही 8 शार्प टर्न है। यहां से गुजरने वाले लोगों को सूझबूझ से काम लेना होगा।

तीन प्राकृतिक झरनों और नेशनल पार्क आपस में जुड़ जाएंगे

यह सड़क महाराष्ट्र व छत्तीसगढ़ के पर्यटकों के लिए सीधा संपर्क कान्हा टाइगर नेशनल पार्क के अलावा गोदरीघोघरा और देवनदी के झरने से जुड़ जाएगा। एमपीआरआरडीए के महाप्रबंधक श्री गजेंद्र लारिया ने बताया कि सड़क निर्माण से पूर्व दुगलईभगतपुर और दो राज्यो के पर्यटकों को बैहर जाने के लिए बालाघाट की ओर से जाना पड़ता था। जो लगभग 80 किमी. दूर है। दुगलई के लोगों को अपनी ही पंचायत बिठली जाने के लिए 5.50 कोस चलकर जाना पड़ता था। या तो 80 किमी.बालाघाट की ओर से घूमकर जाना मजबूरी थी। 11 करोड़ की लागत से बनी सड़क जिले का दक्षिण द्वार हैजो बैहर से लांजीकिरनापुर व अन्य क्षेत्र को जोड़ रही है। बिठली सरपंच श्रीमती मालती उइके का कहना है कि यह सड़क इतनी महत्वपूर्ण है कि यह शिक्षास्वास्थ्य और राशन दुकानों को आपस में जोड़ रही है। साथ ही आसपास के लोगों की पहुँच किरनापुर हाट बाजार में भी आसानी हो गई है। गाड़िया चलने से रोजगार और व्यापार भी बढ़ने लगा है।

सड़क का जनसांख्यिकी महत्व

जब इस सड़क से सीधे तौर पर लाभान्वित होने वाले लोगों की जानकारी बटोरी गई तो पता चला। स्वास्थ्यशिक्षा और राशन दुकानों तक पहुँचने में इस सड़क ने एक दर्जन से अधिक गांवो को सहूलियत दी है। इस सड़क से बिठलीहर्रानालालूदसारदपाथरीआमानालाबमनीकोंगेवानीहर्राटोलामंडवामाड़ीडोंगरियालातरीकुर्रेझोडीजालदालिमोटीनवहीहिर्रीभिररी और नारंगी गांवो के लोगो का कहीं न कहीं संपर्क इसी सड़क से होने लगा है। इस सड़क से बिठली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अलावा उप स्वास्थ्य केंद्र लूदलातरीआमानाला और लिमोटी के मरीज आसानी से पहुँचने लगे है। इन स्वास्थ्य केंद्रों पर मासिक ओपीडी 1200 से अधिक है। साथ ही बिठलीलातरीपाथरीनवहीकोंगेवानीहर्रानाला और गोदरी के 10824 राशन कार्ड धारी इस सड़क का उपयोग करने लगे है। इसके अलावा करीब 150 स्कूली विधार्थियों के लिए यह सड़क उपयोगी हो रही है।

क्या कहते हैं उपयोग करने वाले नागरिक

आमानाला की माध्यमिक विद्यालय में करीब 5 वर्षो से कार्यरत प्रधानपाठक श्री कौशल पटेले का मानना है कि इस कठिन चढ़ाई के बाद इस मार्ग का उपयोग कई तरह के लोग कर रहें है। साथ ही 8 किमी.के दायरे में 4 स्कूल 2 आंगनवाड़ी आपस मे जुड़ गए है। अब भयमुक्त होकर आना जाना हो पा रहा है। आमानाला के ही किसान यशवंत धुर्वे कहते है कि व्यापारी इस मार्ग से उनके घरों से ही पिहरी झाड़ू जैसी कई सामग्री खरीदने पहुँचने लगें है। पहले उन्हें बिठलीहट्टा या गोदरी जाकर बेचना पड़ता था। अब घर बैठें रुपये मिल जाते है। कई लोग दुकानें भी लगाने लगें है। इसी तरह हर्रानाला की सुशीला पन्द्रेकौशल उइके और दीनू भलावी को इस मार्ग के बनने से राशन व स्वास्थ्य में बड़ी सुविधा मिली है

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