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दशहरा से भव्यता के साथ अंतर्राष्ट्रीय शरद पूर्णिमा महोत्सव का होगा शुभारंभ

दीपक शर्मा

पन्ना १० अक्टूबर ;अभी तक ;  प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी अंतर्राष्ट्रीय शरद पूर्णिमा महोत्सव पद्मावतीपुरी धाम, पन्ना में धूम धाम तथा भव्यता के साथ मनाया जायेगा। कार्यक्रम को लेकर मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारीयों द्वारा पत्रकारो को विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि 12 अक्टूबर दशहरा से दस दिवसीय महोत्सव का शुभारंभ हो जाएगा। जो लगातार 22 अक्टूबर पंचमी तक चलेगा। 17 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा का महोत्सव रात्रि को भव्यता के साथ मनाया जाएगा। रात्रि श्री बंगलाजी से श्रीजी की सवारी ब्रह्म चबूतरे से श्री रास मंडल जी में लाई जाएगी। रातभर महारास का उल्लास चलेगा, ब्रह्म चबूतरे में स्थापित श्री रास मंडल जी में पांच दिनों तक रुकेगी सवारी।

इस दौरान पांच दिन तक गरबा सहित विविध धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। शरद पूनम की चांदनी रात में महामति प्राणनाथ जी का सौंदर्य देखते ही बनता है। शरद पूर्णिमा 17 अक्टुबर 2024 को जब चांद पूरा खिला होगा तभी ब्रह्म चबूतरे पर बने बंगलाजी मंदिर से श्रीजी की सवारी को हजारों सुन्दरसाथ नाचते-गाते, गरबा खेलते हुए रास मंडल में पधराएंगे। ’रास उत्सव का सभी करेंगे अमृत पान’ प्रणामी धर्मावलंबी रास उत्सव का आनंद लेते हुए भक्ति रस के अमृत का पान करेंगे।

समारोह में वर्ष में एक बार ही बंगलाजी मंदिर से अखंड रास के रचइया की सवारी धूमधाम से रास मंडल में पधराई जाती है। जहां पांच दिनों तक श्रीजी का वास रहता है और रात दिन सुंदरसाथ भक्तिरस में सरवोर  रहेगें। पन्ना जिले में अंतर्राष्ट्रीय शरद पूर्णिमा महोत्सव कई वर्षों से धूमधाम के साथ मनाया जाता आ रहा है। महोत्सव में देश-विदेश से हजारों सुंदरसाथ आते हैं।

ज्ञात हो कि महामति प्राणनाथ जी ने संवत् 1740 में खेजड़ा मंदिर परिसर में बुंदेलखंड की रक्षा के लिए महाराजा छत्रसाल को विजयादशमी के दिन वरदानी तलवार सौंपी थी और वीरा उठाकर संकल्प कराया था कि जब तक जीतकर नहीं आओगे तब तक मैं यहीं ठहरुंगा। परिणाम यह रहा कि महाराजा छत्रसाल ने पूरे बुन्देलखंड पर विजय प्राप्त कर ली और अपना साम्राज्य स्थापित कर पन्ना को राजधानी बनाया था। ’चार सौ साल पुरानी परंपरा अभी तक चल रही’ पवित्र नगरी पन्ना में अंतर्राष्ट्रीय शरद पूर्णिमा महोत्सव के आयोजन को 400 साल से अधिक हो चुके हैं।

बताया जाता है कि शरद पूर्णिमा महोत्सव का पहला कार्यक्रम संवत् 1740 में हुआ था। तब महामति प्राणनाथ ने 5 हजार सुंदरसाथ के साथ पूनम की चांदनी रात में अखंड रास के दर्शन कराए थे। चार सौ साल के लंबे सफर में यह महोत्सव नित नई उंचाइयों को छूता जा रहा है। अब भारत के अलावा, ब्रिटेन,नेपाल कनाडा और अमेरिका सहित विश्व के कई देशों से सुंदरसाथ यहां पहुंच रहे हैं। हर साल सुंदरसाथ के स्वागत के लिए पवित्र नगरी पन्ना पांवड़े बिछाए रहती है। ’1961 से ट्रस्ट नें सम्हाला सेवाकार्य’ प्राणनाथ मंदिर ट्रस्ट की स्थापना वर्ष 1961 में लाली शर्मा के प्रयासों से हुई थी। तब वे ट्रस्ट के वाइस चेयरमैन बने थे। इसके बाद प्राणनाथ ट्रस्ट ही गुंबटजी, बंगलाजी, गुरु मंदिर, बाईजू राज मंदिर, खेजड़ा मंदिर और चौपड़ा मंदिर आदि का रख-रखाव कर रहा है। जब ट्रस्ट नहीं था तब यहां आयोजन में आने वाले लोगों के लिए हर प्रकार की व्यवस्था करने में काफी परेशानी होती थी। ट्रस्ट बनने के बाद व्यवस्थाओं में सुधार हुआ है। श्रद्धालुओं के लिए ट्रस्ट की ओर से आवास व्यवस्था का विस्तार किया गय है। आज यहां आने वाले ज्यादातार श्रद्धालुओं को ट्रस्ट अपने धर्मशालाओं, आवास गृहों आदि में ठहराता है। यहां चलने वाले लंगर में हर दिन हजारों लोग प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं। मुख्य रूप से पंडित खेमराज जी महाराज, राकेश कुमार शर्मा सचिव, तिलक राज शर्मा उपाध्यक्ष, चंद्रकांत कृष्ण त्रिपाठी ट्रस्टी, दिनेश कुमार शर्मा ट्रस्टी, अमरेश शर्मा ट्रस्टी, मनोज कुमार शर्मा प्रबंधक श्री 108 प्राणनाथ जी मंदिर ट्रस्टआशीष शर्मा उप प्रबंधक दस दिवसीय शरद महोत्सव कार्यक्रम -2024’ 12 अक्टूबर, विजयादशमी (दशहरा) श्री खेजड़ा मन्दिर से सायं 4 बजे से रात्रि 8 बजे तक मंचीय कार्यक्रम, परंपरानुसार प्रातरू स्मरणीय महाराजा श्री छत्रसाल जू देव के वंशज पन्ना नरेश को पान वीरा एवं तलवार भेंट। 13 एवं 14 अक्टूबर मंचीय कार्यक्रम ब्रम्ह चबूतरे पर प्रातरू से रात्रि तक प्रवचन, वाणी गायन, भजन, रामत, गरवा, रास आदि विविध आत्म प्रेरक कार्यक्रम। 15 अक्टूबर श्री जी की सवारी (शोभायात्रा) श्री जी की सवारी श्री खेजड़ा मंदिर से सायं 4 बजे प्रारंभ होकर रात्रि 12 बजे श्री प्राणनाथ जी मंदिर पहुँचेगी। 16 अक्टूबर सद्गुरु प्रगटन निजानंद सद्गुरु धनी श्री देवचन्द्र जी प्रगटन महोत्सव रात्रि 8 से 11.30 तक मंचीय कार्यक्रम रात्रि 12 बजे प्राकट्योत्सव होगा। 17 अक्टूबर, शरद पूर्णिमा महोत्सव प्रातरू से लेकर रात्रि पर्यन्त मंचीय कार्यक्रम, रास, गरवा आदि रात्रि 12 बजे श्रीजी की शोभायात्रा श्री बंगलाजी से निकलकर रासमंडल में सुशोभित होगी। सम्पूर्ण रात्रि जागरण। 18 अक्टूबर से 20 अक्टूबर तक विविध कार्यक्रम प्रतिदिन ध्यान, श्री परमधाम चितवनी, विराट दर्शन, वाणी चर्चा, वाणी-गायन, प्रवचन एवं विभिन्न आत्म-प्रेरक सांस्कृतिक कार्यक्रम। 21 अक्टूबर, रास की जागरण रास की जागरण-गरबा, रामत, झीलना 22 अक्टूबर, पंचमी श्रीजी की शोभा यात्रा श्री रास-मण्डल से निकलकर श्री बंगला जी में पुनः सुशोभित होगी।

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