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हिन्दू धर्म की रक्षा हेतु भगवान श्री झूलेलाल का अवतरण हुआ था – स्वामी भगतप्रकाश महाराज
महावीर अग्रवाल
मंदसौर २२ नवंबर ;अभी तक ; श्री प्रेमप्रकाश धर्मपीठ के पंचम पीठाधीश्वर सतगुरू स्वामी भगतप्रकाशजी महाराज अपने संत मंडल के साथ सिन्धी समाज की आन ,बान ओर शान श्री झूलेलाल सिन्धु महल में पधार कर श्री झूलेलाल धाम मंदिर में भगवान श्री झूलेलाल के दर्शन व मंत्रोच्चारण के साथ पूजा अर्चना कर पुष्प माला एवं पखर (शाल श्रीफल) पहनाकर की।
इस आशय कि जानकारी नंदू आडवाणी ने देते हुए बताया कि इस पावन अवसर पर श्री झूलेलाल सिन्धु महल के पुरूषोत्तम शिवानी, नन्दू आडवानी, वासुदेव खैमानी, पूज्य सिंधी भाईबंध पंचायत के अध्यक्ष वासुदेव सेवानी, गिरीश भगतानी, रमेश लवाणी,दयाराम जैसवानी, ब्रजलाल नैनवानी, मनोहर नैनवानी, ताराचंद जैसवानी सहित उपस्थित समाज जनों ने आपश्री का वंदना कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
इस खुशनुमा व भक्ति भाव से परिपूर्ण व सकारात्मक वातावरण में आयोजित सत्संग समारोह में सतगुरू स्वामी भगतप्रकाशजी महाराज ने अपने मुखारविंद से अमृतमयी वाणी में कहा कि दुनिया में आदि काल से अत्यन्त ही प्राचीन सभ्यता है । हिन्दू धर्म की रक्षा हेतु भगवान श्री झूलेलालजी का अवतार हुआ था। और भगवान श्री झूलेलाल ने हिन्दू धर्म की रक्षा की। आपश्री ने कहा कि सिन्धी समाज हृदय से सभी धर्मों एवं संत महात्माओं का सम्मान करता हो , किन्तु हमारे सिन्धी समाज का इष्टदेव एक भगवान श्री झूलेलाल है।
भगवान श्री झूलेलाल ने ही हिन्दू धर्म की रक्षा की है।
भगवान श्री झूलेलाल ने ही हिन्दू धर्म की रक्षा की है।
सतगुरू स्वामी भगतप्रकाशजी महाराज ने श्री झूलेलाल सिन्धु महल के निर्माण व सोच की प्रशंसा करते हुए श्री नरेश भावनानी समिति के सदस्यों सेवाधारियों पर आशीर्वाद अपने इस भजन के माध्यम से प्रदान किया-
‘‘सुख हुजन सल सेवाधारी
सेवा जिनखे प्यारी मैं वारी जावाष्!
आपश्री ने संगत की खुशहाली, एवं सुख समृद्धि का पल्लव
आशवंदी गुर तो दरि आई, तुम बिन ठौर न काई ।
तूं हरि दाता तूं हरि माता, मेरी आश पुजाईं।
पाइ पल्लउ मैं पेर पियादी, आयसि हेत मंझाई।
तन मन धन अरदास करे मैं, मांगत नामु सनेही ।
नाम तुम्हारा साबुन करिसां, धोसां पाप सभेई ।
कहे टेऊँ गुर लोक तीन में, आवागमन मिटाईं ।
पाकर आशीर्वाद प्रदान किया।
अंत में सतगुरू संत मण्डल एवं संगत का आभार प्रदर्शन बृजलाल नैनवानी व वासुदेव सेवानी ने प्रकट किया।
‘‘सुख हुजन सल सेवाधारी
सेवा जिनखे प्यारी मैं वारी जावाष्!
आपश्री ने संगत की खुशहाली, एवं सुख समृद्धि का पल्लव
आशवंदी गुर तो दरि आई, तुम बिन ठौर न काई ।
तूं हरि दाता तूं हरि माता, मेरी आश पुजाईं।
पाइ पल्लउ मैं पेर पियादी, आयसि हेत मंझाई।
तन मन धन अरदास करे मैं, मांगत नामु सनेही ।
नाम तुम्हारा साबुन करिसां, धोसां पाप सभेई ।
कहे टेऊँ गुर लोक तीन में, आवागमन मिटाईं ।
पाकर आशीर्वाद प्रदान किया।
अंत में सतगुरू संत मण्डल एवं संगत का आभार प्रदर्शन बृजलाल नैनवानी व वासुदेव सेवानी ने प्रकट किया।