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देश, किसान व देशवासियों के स्वास्थ्य के हित में जीएम फसलों को भारत में प्रवेश पर लगाये रोक ; भारतीय किसान संघ

महावीर अग्रवाल

मन्दसौर २२ नवंबर ;अभी तक ;   भारतीय किसान संघ मालवा प्रांत जिला मंदसौर द्वारा राष्ट्रव्यापी आव्हान के तहत 22 नवम्बर को   सांसद श्री सुधीर गुप्ता को ज्ञापन देकर देश हित, किसान हित, पर्यावरण हित, जैव विविधता हित व देशवासियों के स्वास्थ्य के हित में जीन फसलों भारत में प्रवेश पर रोक लगाने की मांग की।
                                           भारतीय किसान संघ मालवा प्रांत के जिलाध्यक्ष बद्रीलाल पाटीदार देहरी व जिला मंत्री राधेश्याम धाकड़ फतेहगढ़ ने बताया कि 23 जुलाई 2024 को माननीय सर्वाेच्च न्यायालय के 2 माननीय न्यायाधीशों की बेच द्वारा जी.एम. सरसों के बारे में अपने निर्णय में केन्द्र सरकार को संभवत आगामी 4 माह में सभी संपर्कित व्यक्तियों (कृषि, कृषि वैज्ञानिक, राज्य सरकारों, किसान संगठनों, उपभोक्ता संगठन आदि) से सलाह करते हुए जी.एम. फसलों के ऊपर एक राष्ट्र नीति बनाने की सलाह के बारे में हमने आपको आग्रह किया था कि कि यह सलाह की प्रक्रिया जल्द से जल्द की जाये। यह एक गंभीर मामला है। बी.टी. कपास आते हुए करीब 22 वर्ष हो गये, फिर भी जी.एम. के बारे में कोई सहमति नहीं बनी। ऐसी फसलों को हम शाकाहारी बोले अथवा मांसाहारी इसके बारे में भी कोई निर्णय नहीं हुआ है। इसका प्रसंस्कृत खाद्य को हम मांसाहारी चिन्हित करें या शाकाहारी इसके ऊपर निर्णय लेना अभी बाकी है। ऐसी फसल अलग-अलग खेत में किया जाना, इसका खरीददारी के लिए अलग व्यवस्था करना, इसके प्रसंस्करण के लिए अलग फैक्ट्रियां लगाना और लोग खायें या न खायें इसके लिए भी सोचना अभी बाकी है।इसके अलावा ये सारी फसले अपरिवर्तनीय, जैव विविधता को नष्ट करने वाले, कुपोषण को बढ़ाने वाले, पर्यावरण को नष्ट करने वाले, खाद्य को जहरीला बनाने वाले, इसकी खेती में उपयोग रासायनिक केंसर बढ़ाने वाले है। इसलिए सभी हितधारकों के साथ बात करना आवश्यक है एवं वार्ता करके राष्ट्रीय नीति बनाना आवश्यक है।
                                   कई फसलों में जीव जन्तुओं के जीन को डालकर नया जीव तैयार का खेल चल रहा है। अभी तक यह तय नहीं है कि ऐसी फसलों को फसल कहें या जीव, खाद्यान्न फसलों में यदि जीव जंतुओं का जीन डाला जाता है तो उसको शाकाहारी बोलेंगे या मांसाहारी यह भी तय नहीं है।
                                     जैसे की आप अवगत है कि किसी भी जी.एम. फसल में अभी तक अधिक उपजाऊ वाले जीन का उपयोग नहीं हुआ है और झूठामूठा इसको अधिक उपजाऊ वाला बोलना एक वैज्ञानिक धोखा जैसा है। फिर भी इसके पक्ष में आवाज उठाना, भीडतंत्र तैयार करना, वैज्ञानिकों को इसके बारे में चर्चा करने के ऊपर प्रतिबंध लगाना एक बड़े षडयंत्र की ओर इसारा कर रहा है। सभी जानते है कि आज तक किसी भी जी.एम. फसल में अधिक उपजाऊ वाले जींस का उपयोग नहीं हुआ है। तब भी झूठमूठ इसको अधिक उपजाऊ बोलना एक वैज्ञानिक धोखा जैसा है।  मल्टीनेशनल कंपनियां एवं उनके साथ भारत में उनके स्लीपर सेल के समान कार्य करने वाले एवं भारत को कमजोर करने की सोच रखने वाले देश, ये सभी मिलकर ऐसा दुश्चक्र चला रहे है, जिससे विश्व में भारत की कृषि क्षेत्र में जो थाथी है उस पर आघात कर सके और जी.एम. बीजों के माध्यम से ये भारत की बीज स्वायत्तता को नष्ट कर सके।
                                भारतीय किसान संघ मालवा प्रांत ने कहा कि अमेरिका में जीएम उत्पादों का 80 प्रतिशत जानवरों को खिलाते है। 20 प्रतिशत इथेनॉल बनाते है। हमारे देश में जीएम खाद्यान की अनुमति नहीं है व जीएम खाद्यान्न आयात के उपर प्रतिबंध लगा हुआ है तब भी ये लोग गैर कानूनी कार्य के साथ खड़े होकर हमें आयाततीत जीएम खाद्य तेल खा रहे है ऐसी गैर कानूनी बयानबाजी करते रहते है। कपास की सभी जैव विविधता बी.टी. कपास खा चुका है। सांसद श्री गुप्ता से मांग की कि आप इस मामले को संसद में उठाकर जी.एम. फसलों को भारत में प्रवेश पर रोक लगाने हेतु प्रभारी कदम उठावे।
                                    इस अवसर जिला अध्यक्ष बद्रीलाल पाटीदार देहरी, गरोठ जिला अध्यक्ष कृपालसिंह, जिला मंत्री राधेश्याम ठन्ना फतेहगढ़, जिला कार्यालय मंत्री प्रीतिपालसिंह बेहपुर, जिला सदस्य मदनसिंह चांदाखेड़ी, दलौदा तहसील अध्यक्ष देवराम पाटीदार एलची, मंदसौर तहसील अध्यक्ष रामकिशन धनगर धमनार, मल्हारगढ़ तहसील अध्यक्ष अनिल पाटीदार लुनाहेड़ा, दलौदा तहसील उपाध्यक्ष कन्हैयालाल कुमावत सेमलिया हीरा, दलौदा तहसील सदस्य रणछोड़लाल पाटीदार देहरी सहित बड़ी संख्या में किसान बन्धु उपस्थित थे।

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