प्रदेश

किशोरियों का विवाह 18 वर्ष पूर्व हो जाने से उनके शारीरिक और मानसिक विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ता है

महावीर अग्रवाल 

मन्दसौर २३ नवंबर ;अभी तक ;   जेंडर के आधार पर अधिकारों का, विकास के अवसरों का, और संसाधनों पर असमान पहुंच का मुख्य कारण समाज के हानिकारक सामाजिक मानदंड है जिसके फलस्वरुप समाज का एक वर्ग बालिकाएं/महिलाएं शिक्षा और रोजगार के अवसरों से विकास की मुख्य धारा से पीछे रह गई। बालिकाओं को भी शिक्षित, कुशल और आत्मनिर्भर बनाने के लिए हानिकारक सामाजिक मानदंडों को तोड़ना आवश्यक हो जाता है।
                                    यह बात महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आयोजित मल्हारगढ़ परियोजना की सेक्टर सुपरवाइजर और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण में भोपाल से आई श्रीमती इंदू सारस्वत ने कही। श्रीमती सारस्वत द्वारा जनपद पंचायत मल्हारगढ़ के सभागार में बाल एवं महिला हितैषी पंचायतों के निर्माण के मुद्दों पर कार्यशाला को संबोधित करते हुए जेंडर असमानता और हानिकारक सामाजिक मानदंडो पर चर्चा करते हुए बताया की किशोरियों का विवाह समय से पूर्व (कानून द्वारा निर्धारित बालिकाओं की आयु 18 वर्ष) हो जाने से उनकी शारीरिक और मानसिक विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ता है साथ ही वह शिक्षा, खेल, कौशल विकास, आजीविका आदि के अवसरों से वंचित रह जाती हैं।
                                         प्रशिक्षण में ममता हेल्थ इंस्टीट्यूट फॉर मदर एंड चाइल्ड के जिला समन्वयक ने बताया कि महिलाओं की पहचान उनके जेंडर के आधार पर किए गए कार्यों के विभाजन से होती है उन्हें बहुतायत घरेलू और लोगों की देखभाल से संबंधित कार्य दिए गए हैं इससे हमारे संविधान की मूल भावना सभी को समान अधिकार, समान अवसर प्रभावित होते हैं। बाल विकास परियोजना अधिकारी श्री संतोष शर्मा ने बताया कि यह प्रशिक्षण जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में  ममता/ यूनिसेफ के सहयोग से ग्राम पंचायतों को बाल एवं महिला हितैषी बनाने के उद्देश्य किये जा रहे हैं इसके पूर्व पंचायत सचिव, सरपंच आजीविका मिशन की सीआरपी के प्रशिक्षण हो चुके हैं आगामी दिनों हम शिक्षकों का भी प्रशिक्षण करेंगे।प्रशिक्षण में सेक्टर पर्यवेक्षक आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, वन स्टाप सेंटर के पदाधिकारी के साथ परियोजना अधिकारी भी उपस्थित रहे।

Related Articles

Back to top button