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हिन्दुओ में विचारों की क्रांति जगाने १६० किमी चल पड़े  बागेश्वर वाले  बाबा 

रवीन्द्र व्यास 

                                            बुंदेलखंड से ही १८५७ के पहले  आजादी की चिंगारी फूटी थी  , यह बुंदेलखंड ही है जहा के महराजा छत्रसाल ने मुगलों को करारी शिकस्त दी थी | अब उसी बुंदेलखंड से हिंदुत्व को जगाने का अभियान एक युवा  बाबा कर रहा है। मंच छोड़ अब मैदान में आकर धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री हिंदू एकता पद यात्रा कर रहे हैं । पुष्य नक्षत्र में गुरुवार 21 नव  से  शुरू यह चेतना पद यात्रा  160  किलोमीटर दूर ओरछा रामराजा सरकार के मंदिर मे २९ नवम्बर को यात्रा का  समापन होगा   पदयात्रा को लेकर उनका  संकल्प  बहुत बडा है जब तक वह हिंदुओं को जगा नहीं देंगे तब तक यात्रा करते रहेंगे | उनकी इस यात्रा में लाखों हिन्दू सड़क पर उनके साथ कंधे से कंधे मिलकर चल रहा है |  हालंकि देश के कुछ मौलाना  इस यात्रा को बंद कराने की मांग भी कर रहे हैं |

                                          देश के जाने माने संत अनिरुद्धाचार्य जी कहते हैं कि  देश में आजादी के बाद पहली बार बुंदेलखंड से देश बचाने और सनातन हिन्दू राष्ट्र के लिए इतनी विशाल पद यात्रा निकाली जा रही है। उन्होंने  सभी से धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री द्वारा शुरू की गई एकता यात्रा को समर्थन की अपील की। उन्होंने उदाहरण देकर यह भी समझाया कि अगर सनातन कमजोर होगा तो इसका असर सिर्फ हिन्दुओ ही नहीं बल्कि ,सिख, जैन ,बौद्ध धर्म के मानने वालों पर भी पड़ेगा |

                             

                                            बीते  तीन दशकों में भारत में  सनातन और हिंदुत्व की राजनीति देश में मजबूत हुई है | इसे मजबूती भी ऐसे ही नहीं मिली है इसके पीछे बाकायदा एक वैचारिक संघर्ष और संगठन ,और साधु संतों का   योगदान माना जाता है |   समाज में हिंदुत्व के प्रति बढ़ती स्वीकारता को लेकर  देश के कुछ लोगों के मन की बेचैनी भी देखने को मिली | इसके बाद उन्होंने   एक नया खेल देश- प्रदेश में शुरू किया , सनातनियों को जाति और वर्ग में बाटने का | आये दिन कोई ना कोई नेता हिन्दुओं की धार्मिक आस्था पर चोट पहुंचाने का दुःसाहस करता है | यही कारण है कि सनातनियों की धर्म संसद से लेकर  बाबा बैरागी मैदान में आ गए | और अब वे जाति ,सम्प्रदाय से परे समस्त हिन्दू के एकीककरण  के सम्बन्ध बनाने की बात कह रहे हैं | उनके इस एकीकरण अभियान से जातीय जनगड़ना की मांग कर हिन्दुओं को विभाजित करने वालों को जरूर आघात पहुंच रहा है |

कैसे हिंदुओं को जगाने निकले हैं : 

                                         _कौन से सोए हुए हिंदुओं को जगाने निकल रहे हैं बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र  कृष्ण शास्त्री कहते हैं _ जो श्रद्धा के 36 टुकड़े होने पर भी मौन है ? रामायण की जलती प्रतियां  देखकर भी जो मौन है ?   2005 तक वक्त बोर्ड के पास सिर्फ कुछ हजार एकड़ जमीन थी आज लाखों एकड़ जमीन है पर एक शब्द नहीं निकला |  500 साल से राम मंदिर के लिए जो हिंदू कोर्ट में लड़ रहा | भगवान कृष्ण को जन्म भूमि पर बैठने नहीं दिया जा रहा | बहराइच में गोली मार दी जाती है |  कोलकाता की डॉक्टर बेटी को रेप कर मार दिया जाता है |  गजवा ए हिंद सुनकर भी जो चुप है | जिन्होंने आदर्श और हेमराज जैसे बच्चों को मार दिया हिंदुओं के मुंह से चूं  तक की  आवाज नहीं निकली देश में ऐसे सोए हुए हिंदुओं को कौन जगाएगा || 

हम तो सर पर कफ़न बाँध कर निकले हैं 

                                              धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री हिन्दुओं में   जात पात को मिटाने , भेदभाव को दूर करने  और इसे  भारत का सबसे बड़ा कैंसर रोग बता रहे हैं | वे इस बात पर भी अपनी सहमति जताते हैं कि मंदिरों में पुजारी भी किसी भी जाति के बनाये जा सकते हैं | अब चूंकि यह निर्णय पीठ के शंकराचार्य ही ले सकते इसलिए उनसे बात करेंगे। देश में पूर्व में भी जातियां थी पर जातिवाद नहीं था |  देश में क्यों यह है क्योंकि यह एक तरह का स्किल डेवलपमेंट की व्यवस्था थी | उनकी इस बात से देश के अनेकों संत सहमति जताते हैं |   राजनीति चमकाने के लिए जातियां नहीं है देश में || इसलिए हम कहते हैं कि देश में सिर्फ दो जातियां बने एक अमीर की एक गरीब की | अनिरुद्धाचार्य जैसे संत ने   साफ़ कहा कि देश को वोट के लोभियों ने जात  पात में बांटा है |

                                            बांग्लादेश में हिन्दुओं की दुर्दशा ने उन्हें विचलित किया और वे अब तो करो या मरो की बारी  है  क्योंकि भारत पर संकट भारी है जैसी बात कहने को मजबूर हुए | हम भारत के लोगों को हिंदुओं को बांग्लादेश जैसा जलता हुआ बिखरता हुआ नहीं देख सकते। हम हिंदुओं को एक करने निकले हैं।

हिन्दुओ अगर खदेड़े जाओगे तो कहाँ जाओगे 
                                          संत अनिरुद्धाचार्य कहते हैं कि  बांग्लादेश का हाल देख रहे हो, बँगला देश से हिन्दू खदेड़े गए ,  पाकिस्तान से ,अफगानिस्तान से खदेड़े गए | अब अगर ऐसी ही स्थिति रही और हम सोते रहे तो ,भारत से खदेड़े गए तो कहाँ जाओगे |? सनातन संस्कृति के लिए  महाराज जी बब्बर शेर है|   सनातन धर्म से ही  अच्छे भारत औरसनातन  राष्ट्र का निर्माण होगा, सदियों बाद कोई चाणक्य सामने आया है जिसने  सारी दुनिया में  भारत का ,सनातन का ध्वज  फहराया है | सनातन संस्कृति सुरक्षित है तो देश सुरक्षित है दुनिया सुरक्षित हैं अगर यही गड़बड़ हो गई तो सारी दुनिया में  गड़बड़ हो जाएगा |

किसने कानून बनाकर सनातन को कमजोर किया : 

दरअसल भारत में  हिन्दुओं को जगाने की जरुरत क्यों साधु संतो और राष्ट्र के प्रति समर्पित लोगों को लगने लगी | इसके पीछे अतीत की सरकारों के वे कारनामे हैं जिन्होंने अपनी सत्ता कायम रखने के लिए हिन्दुओं को तोड़ा और मुस्लिमो को जोड़ा |     

संविधान में 1976 में 42वां संशोधन किया गया।   इसकी प्रस्तावना में  धर्मनिरपेक्ष  शब्द जोड़ा गया | जबकि संविधान की प्रस्तावना के साथ छेड़ छाड़ का अधिकार किसी को नहीं था |  2013 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने एक  कानून  बनाया था,कि कोई   मुसलमान खड़ा होकर कह दे कि यह जमीन हमारी है ,तो कोई इस पर कुछ नहीं कर सकता ,अंबानी के घर को कह दिया कि यह वक्त बोर्ड की जमीन पर बना है कोर्ट में अपील भी नहीं कर सकता ऐसा कानून किस तरह  संविधान सम्मत हो सकता है ? वक्फ बोर्ड बनाकर कांग्रेस के यह  सारे कृत्य इस देश में सिर्फ इस लिए हुए ताकि एक पंथ विशेष के लोगों को प्रसन्न किया जा सके और उन के वोट के सहारे अपनी कुर्सी यथावत कायम रखी जा सके | इतना ही नहीं बाद में  कोंग्रेसी सरकारों ने ऐसे ऐसे कानून बनाये कि  सनातन धर्म के मानने वालों को लगने लगा कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो हमें या तो धर्म बदलना पडेगा अथवा देश छोड़ने को मजबूर होना पडेगा | ऐसे में जब योगी ने नारा दिया बाटोगे तो काटोगे तो लोगों ने इसे सही समय पर सही नारा माना और  देश के आये चुनाव परिणाम ने इसकी पुष्टि कर दी | 

यही कारण है कि बुंदेलखंड के बागेश्वर धाम के संत धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जब कहते हैं  भारत हिंदू राष्ट्र थाहै और रहेगा | हिन्दुओं की यात्रा में देश के बड़े बड़े साधू संत , नेता ,अभिनेता और देश की मूर्धन्य हस्तियां चार दिन की यात्रा में सम्मलित हो चुकी हैं | ऐसे में  कई धर्मो के मठाधीशों , राजनैतिक दलों के नेताओं  के पेट में दर्द होने लगता है | ऐसे दौर में उनकी यह यात्रा कितने हिन्दुओं को जाग्रत कर पाएगी यह तो वक्त बातयेगा | 

उनकी यह यात्रा हिन्दुओं  की चेतना यात्रा के साथ सामाजिक समरसता की भी एक बड़ी यात्रा बन रही है | अबतक की जो स्थतियाँ सामने आई हैं वह इसी ओर इशारा कर रही हैं | मामला चाहे बाबा साहब आंबेडकर की मूर्ति पर माला चढ़ाने का हो अथवा राह में मिले छतरपुर नगर का हो | लोगों ने उनके अभियान का  समर्थन किया ,और इसे आज के समय में आवश्यक भी बताया |   

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