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माध्यमिक शाला चिकलहाइ को हाई स्कूल में उन्ययन कराये जाने की मांग

दीपक शर्मा

पन्ना २६ नवंबर ;अभी तक ;  केन्द्र व प्रदेश सरकार शिक्षा के लिए करोडों रूपए हर वर्ष खर्च करती है। बच्चे स्कूल जायें इसके लिए स्कूल चलें हम अभियान चलाती है। आरटीई के तहत गरीब बच्चों को निःशुल्क किताबें, यूनिफार्म आदि मुहैया कराती है लेकिन एक विद्यालय ऐसा भी है जो ४५ वर्ष के बाद भी हाईस्कूल के रूप में उन्नयन नहीं हो पाया है। जिसके कारण गांव के कई बच्चे आगे की पढाई से वंचित हो रहे हैं। हम जानकारी दे रहे गुनौर विकासखण्ड अंतर्गत आने वाले ग्राम चिकलहाई की। जहां पर वर्ष १९५३ में प्राथमिक व १९८१ में माध्यमिक स्कूल खोला गया लेकिन ४५ वर्ष व्यतीत हो जाने के बाद भी चिकलहाई का मिडिल स्कूल हाई स्कूल नहीं बन सका।

केन्द्र सरकार ने शिक्षा के अधिकार का कानून बनाया लेकिन यहां के कई बच्चे ऐसे हैं जो ८वीं के बाद आगे शिक्षा से वंचित हो गये हैं लेकिन इस दिशा में ग्राम पंचायत से लेकर विधायक व सांसद ने कोई ऐसे गंभीर प्रयास नहीं किये कि चिकलहाई में हाईस्कूल बन जायें तो गांव के बच्चे पढ-लिख सकें। गांव के कुछ लोगों ने इस मांग को तो उठाया है लेकिन वह कारगर नहीं हो सकी। शिक्षा विभाग की भी कहीं न कहीं लापरवाही इसमें दिखलाई दे रही है नहीं तो हर वर्ष विभागीय स्तर पर भी आवश्यकतानुसार शासन स्तर पर प्रस्ताव भेजे जाते हैं। जिसमें गंभीरता नहीं दिखलाई दी। महेवा और अमानगंज तक पढने जाते हैं गांव के बच्चे ८वीं तक पढाई कर लेने के बाद आगे की शिक्षा ग्रहण करने के लिए चिकलहाई के छात्र-छात्राओं को मजबूरन महेवा और अमानगंज तक पैदल या साइकिल से जाना पडता है। सबसे ज्यादा दिक्कत बरसात के दिनों में होती है चिकलहाई से महेवा की दूरी ०६ किमी व अमानगंज की दूरी लगभग ८ से १० किमी है। खेत-खलिहान से सूनसान वाले मार्ग से गांव की लडकियों का जाना उनके अभिभावकों के लिए चिंताजनक है।

जनप्रतिनिधियों व प्रशासन को छात्राओं की सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए गांव में ही लडकियां पढ सकें इसके लिए तत्काल कदम उठाये जाने की आवश्यकता है। प्राथमिक व माध्यमिक एक-एक शिक्षक की कमीं चिकलहाई की प्राथमिक शाला व माध्यमिक शाला को मिलाकर कुल १०६ छात्र-छात्राओं के नाम दर्ज हैं। प्रधानाध्यापक प्रवीण पाठक ने बतलाया कि शासन के निर्देशानुसार प्राथमिक खण्ड में दो व माध्यमिक खण्ड में तीन शिक्षक पदस्थ होने चाहिए। उसके हिसाब से दोनों खण्डों में एक-एक शिक्षक के पद रिक्त हैं। ऐसी स्थिति में अध्यापन कार्य प्रभावित हो रहा है। गांव से हाईस्कूल की दूरी अधिक होने के कारण मेरी दो बहिनें उच्च शिक्षा से वंचित हो गईं हैं जिनको आठवीं के बाद उच्च शिक्षा के लिए महेवा गांव नहीं भेजा गया है। इसका मुझे खेद है, गांव में हाईस्कूल खुल जायेगा तो गरीब परिवार की बेटियां शिक्षित होकर आत्मनिर्भर बनेगीं।

इनका कहना हैः-

इसमें छात्र संख्या व मापदण्ड को देखा जाता है इसमें गांव की दूरी हाईस्कूल से कितनी है इसको शामिल किया जाता है। परीक्षण कराकर शासन स्तर पर प्रस्ताव भेजा जायेगा।
रवि प्रकाश खरे, जिला शिक्षा अधिकारी पन्ना

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