अड़सठ करोड़ की सड़क निर्माण में भारी भ्रष्टाचार ठेकेदार तथा विभाग के अधिकारीयों नें की भारी बंदर बाट
दीपक शर्मा
पन्ना २८ नवंबर ;अभी तक ; पन्ना जिले की गुनौर तहसील अन्तर्गत सकरिया से डिघौरा तक लगभग 50 किलोमीटर की सड़क का निर्माण लोक निर्माण विभाग के द्वारा कराया गया। जिसमें घटिया निर्माण कार्य कराकर व्याप्क स्तर पर फर्जीवाड़ा तथा भ्रष्टाचार किया गया है।
ज्ञात हो कि लोक निर्माण विभाग के अन्तर्गत करीब 68 करोड़ की लागत से बनाई जा रही इस सड़क में का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। इसी बीच सड़क निर्माण में व्यापक स्तर पर अनियमितताएं एवं मनमानी की की गई है।
बताया जाता है कि सीआरआईएफ की मद से बनाई जा रही सड़क का ठेका मेसर्स रविशंकर जैसवाल को दिया गया था। उक्त फर्म के ठेकेदार द्वारा मनमाने ढंग से कार्य किया जा रहा है। जिसके चलते सड़क के भविष्य पर अभी से सवाल उठने लगे हैं। बताया जाता है कि ठेकेदार द्वारा इन दिनों सकरिया-ककरहटी के बीच सड़क के शोल्डर बनाने का काम किया जा रहा है। यहां अलग से शोल्डर हेतु मटेरियल लाने की बजाए, सड़क किनारे से ही डब्लूएमएम एवं जीएसबी के शोल्डर को तोड़ाकर हार्ड सोल्डर बनाए जा रहे हैं, जो पूरी तरह नियम विरुद्ध है।
जानकारों की मानें तो सड़क पर डब्लूएमए और जीएसबी का भुगतान पहले ही फर्म को हो चुका है, ऐसे में उसे तोड़कर शोल्डर बनाना उचित नहीं है। लेकिन ठेकेदार की मनमानी लगातार जारी है, उक्त ठेकेदार द्वारा पन्ना जिले मे लगभग तीन सौ करोड़ के कार्य कराये जा रहें है। लेकिन अधिकांश कार्य घटिया तथा गुणवत्तापूर्ण तरीके से कराये गये। उदाहरण के तौर पर इसी प्रकार पन्ना पहाड़ी खेड़ा मार्ग जो 80 करोड़ रूपये की लागत से बनाया गया वह भी घटिया एवं गुणवत्ताहीन बनाया गया है तथा पवई नगर का बाईपास इसी फर्म के द्वारा मनमाने ढंग से बनाया जा रहा है। लेकिन स्थानीय जन प्रतिनिधियों तथा अधिकारीयों का संरक्षण होने के चलते ठेकेदार के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। इसी लिए फर्म द्वारा घटिया निर्माण कार्य कराये जा रहें है।
उक्त सड़क में यह भी सामने आया है कि सड़क का साइड स्लोप समाप्त हो जाएगा, जो सड़क के लिए अहम है। बावजूद इसके रोड़ शोल्डर बनाने के लिए ठेकेदार द्वारा इसी तरीके का उपयोग किया जा रहा है। इस संबंध में लोक निर्माण विभाग के तकनीकी अधिकारी भी खामोश हैं, या यह कहे की ठेकेदार को विभाग अधिकारीयों का संरक्षण मिला हुआ है। इसी कारण ठेकेदार द्वारा बेरोक-टोक मनमाने ढंग से सड़क शोल्डर का निर्माण किया जा रहा है। इतना ही नहीं तकनीकी जानकारों की मानें तो एनएच-39 को एनएच-943 से जोड़ने वाली इस महत्वपूर्ण सड़क के डामरीकरण में कैम्बर एवं सुपर एलीवेशन नहीं बनाए गए। कैम्बर उस स्लोप को कहते हैं, तो सड़क के बीच बनाया जाता है, ताकि सड़क दोनों छोरो से जुड़ी रहें। ताकि बारिश का पानी सड़क पर जमा न हो। कैम्बर के आभाव में सड़क कुछ दिनों में ही नष्ट हो जाएगी। इस महत्वपूर्ण मामले में भी ठेकेदार ने गंभीरता नहीं दिखाई है। सड़क के कुछ हिस्सों को छोड़ दे तो पूरी सड़क में कैम्पर नजर नहीं आता। ऐसे में सड़क के भविष्य पर सवाल उठना तय है।
गौरतलब है कि 6838.20 लाख रूपये की राशि से स्वीकृत सड़क निर्माण में इतनी लापरवाही क्यों की जा रही है। ठेकेदार फर्म को अभी तक 2606.32 लाख रूपये का भुगतान भी किया जा चुका है। ऐसे में स्पस्ट है कि पूरे मामले में लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध है। स्थानीय लोगों ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग कि है, ताकि इस महत्वपूर्ण सड़क को दुर्गति से बचाया जा सके। करोड़ों की लागत से हो रहे निर्माण कार्य में ठेकेदार की मनमानी इस कदर है कि निर्माण कार्य में गुणवत्ता का कोई ध्यान नहीं रखा गया है। सड़क निर्माण में शुरू से ही पुलियों में घटिया सामग्री के उपयोग की बात सामने आती रही है।
बताया जाता है कि कुछ पुलियों को दुरुस्त भी किया गया। लेकिन अभी भी कई पुलियां के हियूम पाइप पुराने एवं फटे लगाए गए हैं। चौपरा नर्सरी के पास बनाई गई पुलिया अभी से ध्वस्त हो चुकी है। जानकार बताते हैं कि ठेकेदार द्वारा नाली और पुलिया निर्माण में रेत की जगह डस्ट का अत्याधिक उपयोग किया जा रहा है, जिसके चलते ऐसी स्थिति निर्मित हो रही है। हालाकि पुलिया के पाइप घटिया फालिटी के होने के कारण भी अभी से फूट गये है।
इनका कहना हैः-
संबंधित मामले की जांच कराई जायेगी।
जेपी सोनकर कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण विभाग पन्ना