हवा में फैलता जहर, अनियंत्रित वायु प्रदूषण
आनंद ताम्रकार
बालाघाट २९ नवंबर ;अभी तक ; जिले के वारासिवनी अनुविभाग में शहर से लगे समीपी ग्रामों में स्थापित औद्योगिक संयंत्रों से रात दिन निकल रहे धुएं के कारण शहर का वातावरण प्रदूषित हो गया है जिन गांव में ये उद्योग स्थापित हुये है वहां की स्थिति और भी ज्यादा बत्तर बनी हुई है। जहरीले धुएँ के कारण सांस लेना मुश्किल हो गया वहीं लोग बीमारी के शिकार हो रहे है।
वारासिवनी के समीप सरण्डी,मेंहदीवाडा,सिकद्रा,खापा और नेवरगांव में एथेनॉल प्लांट,उष्णा मिले,राइस मिल तथा मैगनीज प्लांट लगाये गये है जिनसे रात दिन 24 घण्टे गहरा काला धुआ निकलते रहता है और वह आसमान में दिखाई देता है।
धुएं के अलावा इन प्लांटों से निकलने वाली धूल और अपशिष्ट के कण,काली राख भी हवा में उड़कर घरों में पेड़ों पर गिर रही है और हवा में फैल रही है जिसके कारण सांस लेने में कठिनाई होने की शिकायतें मिली है। सुबह सुबह प्रातः कालीन भ्रमण करने वाले से भी ऐसी शिकायत मिली है जिसमें उन्होने हवा जहरीले धुएँ और धूल के कणों की धुंध के चलते खुली हवा में सांस लेना मुश्किल हो गया है।
इन विसंगतियों चलते ये शहर भी खराब वायु गुणवत्ता की कतार में शामिल हो गया है।धुयें और काली राख से प्रभावित हो रही वायु की गुणवत्ता और वायु प्रदूषण से फैलती बीमारी से किसी महामारी की आशंका बनी हुई है।
प्रशासन इन औद्योगिक संयंत्रों से निकल रहे धुएं और राख के उत्सर्जन के प्रति अनदेखी किये हुये है जिसके कारण संयंत्रों के संचालकों को कोई भय नहीं है। वायु प्रदूषण से मानव स्वास्थ्य के साथ किये जा रहे खिलवाड़ के संबंध में लिखित शिकायत प्रस्तुत किये जाने पर अनुविभागीय अधिकारी वारासिवनी श्री राजीव रंजन पांडे ने अवगत कराया की फैलते वायु प्रदूषण की जांच के लिए प्रदूषण बोर्ड को लिखा जायेगा और शहर और आसपास के इलाके की वायु गुणवत्ता की जांच कराई जायेगी।
वहीं शासकीय चिकित्सालय वारासिवनी शिशु रोग विशेषज्ञ श्री डाक्टर विजेन्द्र चौधरी ने बताया की धुये और प्रदूषित वायु के कारण खांसी,श्वास,दमा की बीमारी बूढ़े और बच्चों में होती है इसके अलावा आखों पर विपरीत प्रभाव चर्म रोग एलर्जी का भी प्रकोप पड़ता है। उन्होंने स्वीकार किया है की चिकित्सालय में आने वाले बाह्य रोगियों में इन रोग से ग्रसित लोगों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है।