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नर्मदा घाटी के ओंकारेश्वर बांध के डूब प्रभावित किसानों के व्यस्क पुत्रों को पात्र बताकर मुआवजा देने के मुद्दे पर विचार करने के लिये मप्र सरकार को दिया 2 माह का समय

मयंक शर्मा

खंडवा ३ दिसंबर ;अभी तक ;  मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने नर्मदा घाटी के जिले के ओंकारेश्वर बांध के डूब प्रभावित किसानों के व्यस्क पुत्रों को भी   मुआवजे के लिये पात्र मानकर मुआवजा देने पर विचार करने के निर्देश राज्य सरकार को दिए हैं। सोमवार को जस्टिस विशाल मिश्रा और जस्टिस अवनिंद्र कुमार सिंह की युगलपीठ ने मामले में मध्यप्रदेश सरकार को  विचार करने के लिए  दो माह का समय दिया है।

नर्मदा बचाओ आंदोलन के आलोक अग्रवाल ने बताया कि आंदोलन की ओर से जून 2013 में दायर याचिका पर सकारात्मक सुनवाई करते हुये हाईकोर्ट ने मप्र सरकार को डूब प्रभावितों के लिए विशेष पैकेज प्रदान करने का आदेश दिया था। प्रभावितों की ओर से कहा गया कि यह कार्रवाई न केवल अवैधानिक है, बल्कि न्यायालय के आदेश का उल्लंघन भी है।

, याचिकाकर्ताओं ने पुर्नविचार आवेदन प्रस्तुत करते हुए कहा कि सरकार ने विस्थापितों को पैकेज पर 15फीसदी  का लाभ तो दिया, लेकिन इसे सभी पात्र व्यक्तियों तक नहीं पहुंचाया गया। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि प्रभावित किसानों के बालिग बेटों को विशेष पैकेज का लाभ नहीं दिया गया, जबकि वे इसके पात्र थे।

युगलपीठ ने सुनवाई के बाद पाया कि प्रभावित किसानों के बालिग बेटों को मुआवजा देने में सरकार ने लापरवाही बरती है। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह इन बालिग बेटों को भी विशेष पैकेज का लाभ प्रदान करने पर विचार करे। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता मनोज शर्मा ने पैरवी की। श्री अग्रवाल ने कहा कि कोर्ट ने इस ताजे मामले में न्यायालयीन प्रक्रिया को शीघ्र पूरा करने के लिए सरकार को दो माह की मोहलत दी है।

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