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पंचतत्व में विलीन हुए सियाराम बाबा

आशुतोष पुरोहित
खरगोन 11 दिसम्बर ;अभी तक ;   देश के ख्याति प्राप्त संत सियाराम बाबा आज दोपहर 4 बजे पंचतत्व में विलिन हो गये। मध्यप्रदेश के खरगोन जिले में नर्मदा तट स्थित भट्यान आश्रम में बाबा के अंतिम दर्शन के लिये श्रदालुओ का सैलाब उमडा। लोगो श्रदालुओ ने बाबा के अंतिम दर्शन किये। संत श्री सियाराम बाबा आज दोपहर 4 बजे पंचतत्व में विलीन हुए। मुख्यमंत्री डाॅ मोहन यादव सहित अन्य नेताओं सहित करीब 4 लाख लोगो ने अंतिम दर्शन कर श्रद्धांजलि दी।
नर्मदा किनारे के स्थित तेली भट्यान आश्रम के प्रसिद्ध संत सियाराम बाबा ने बुधवार को सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर  अपनी अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर लगते ही निमाड़ मालवा सहित प्रदेश के अन्य स्थान से हजारों श्रद्धालु भट्यान आश्रम पर पहुंचने लगे थे। उनके दाह संस्कार के पूर्व प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने भी अन्य जनप्रतिनिधियों के साथ बाबा को श्रद्धांजलि अर्पित की। अपने संबोधन में यादव ने कहा कि सियाराम बाबा का नहीं होना निमाड़ मालवा के साथ पूरे प्रदेश के लिए एक अपूर्णीय क्षति है। सियाराम बाबा ने हनुमान जी और मां नर्मदा के परम भक्त होने के साथ अपनी सादगी के नाम से संत के रूप में अपनी पहचान बनाई थी।
 जीवन में कभी भी किसी लोभ लालच और मोह माया को अपने पास आने नहीं दिया। सियाराम बाबा को लेकर हम चिंतित थे। और लगातार उनके बेहतर स्वास्थ्य को लेकर प्रयास कर रहे थे। लेकिन परमात्मा की लीला के आगे सब बाते मिथ्या है। और आज सियाराम बाबा हमारे बीच में नहीं रहे। सियाराम बाबा को 4 बजे चंदन की लकड़ी में पंचतत्व में विलीन किया गया।
इस दौरान नर्मदा किनारे क्षेत्र के साधु संत महात्मा मंडलेश्वर एवं महामंडलेश्वर सहित हजारों श्रद्धालु तेली भट्यान सहित आश्रम पहुंचे थे। जहां जय जय सियाराम के नारों के साथ सियाराम बाबा को पंचतत्व में विलीन किया गया। इस दौरान जहां जय जय सियाराम के जयघोष से नर्मदा किनारे का क्षेत्र गूंज रहा था। वहीं सियाराम बाबा की कमी उनके भक्तों के चेहरे पर अलग नजर आ रही थी। इस दौरान खरगोन खंडवा जिले के सांसद विधायक सहित अन्य जनप्रतिनिधि मौजूद थे। पुलिस द्वारा मुख्यमंत्री मोहन यादव के आने एवं हजारों श्रद्धालुओ की भीड़ को देखते हुए भट्यान फाटे नर्मदा घाट एवं बाबा के आश्रम पर कडे सुरक्षा इंतजाम थे।
क्षेत्र को धार्मिक पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाएगा: मुख्यमंत्री यादव
 मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने निमाड़ के प्रसिद्ध संत सियाराम बाबा को श्रद्धांजलि देते हुए कहा है कि क्षेत्र को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि टेली भट्टयांन ग्राम का नाम ग्रामीणों की सहमति से सियाराम बाबा के नाम पर किया जाएगा तथा यहां एक समाधि भी बनाई जाएगी।
आज खरगोन जिले के कसरावद तहसील के नर्मदा तट पर बसे ग्राम टेली भट्टयाँन पहुंचे डॉ मोहन यादव ने संत सियाराम बाबा को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने मौके पर उपस्थित अपार भीड़ को संबोधित करते हुए कहा कि यह क्षेत्र धार्मिक पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके अलावा ग्रामीणों की सहमति से टेली भट्टयांन ग्राम का नाम सियाराम बाबा के नाम पर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आश्रम में सियाराम बाबा की समाधि भी स्थापित की जाएगी।
आज सियाराम बाबा के निधन के उपरांत डॉक्टर यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट शेयर करते हुए कहा था “प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त, निमाड़ के दिव्य संत पूज्य श्री सियाराम बाबा जी के प्रभुमिलन का समाचार संत समाज सहित सम्पूर्ण मध्यप्रदेश के लिए अपूरणीय क्षति है।
धर्म साधना एवं मां नर्मदा की सेवा में समर्पित पूज्य बाबा जी ने असंख्य श्रद्धालुओं के जीवन को दिशा दी।
बाबा महाकाल से पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान प्रदान करने तथा उनके असंख्य अनुयायियों को इस दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करने की कामना करता हूँ।”
सियाराम बाबा को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय समेत कई नेताओं व संगठनों श्रद्धांजलि दी है। उनके निधन से निमाड़ सहित देश प्रदेश के उन्हें उनके अनुयायियों में शोक की लहर दौड़ गई।
94 वर्षीय सियाराम बाबा को कुछ दिन निमोनिया की शिकायत के चलते 10 दिन पूर्व सनावद स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया था। स्वास्थ्य में सुधार होने पर बाबा ने टेली भट्टयाँन स्थित अपने आश्रम में जाने की इच्छा प्रकट की थी।
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को जानकारी मिलने पर उन्होंने मेडिकल कॉलेज इंदौर की टीम भेज कर उनके आश्रम में ही टर्शियरी लेवल इलाज की  व्यवस्था प्रदान करने के निर्देश दिये थे। चिकित्सकों की टीम के द्वारा उनके स्वास्थ्य की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही थी। आज सुबह 6:10 पर उनका निधन हो गया था।
मुख्यमंत्री के जाने के उपरांत आज सायं नर्मदा तट स्थित उनके आश्रम में ही उनकी अंत्येष्टि कर दी गई। बाबा के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में लोगों का हुजूम आया और करीब 3 किलोमीटर लंबी लाइन लग गई।
सेवादारों के मुताबिक हनुमान भक्त बाबा दान स्वरूप ज्यादातर ₹10 ही लेते थे और धन राशि को नर्मदा घाटों की मरम्मत व विभिन्न धार्मिक संस्थाओं के उन्नयन में प्रदान कर देते थे। ज्यादा शिक्षित नहीं होने के बावजूद वह लगातार रामचरितमानस का पाठ करते रहते थे। आने वाले भक्तों को वे आध्यात्मिक मार्गदर्शन देकर सकारात्मक ऊर्जा से ओत प्रोत कर देते थे।
उनके बारे में बताया जाता है कि वह इस क्षेत्र में 1955 में करीब 25 वर्ष की आयु में आए थे । इसके बाद 12 वर्ष तक एक पैर पर खड़े रहकर उन्होंने मौन तपस्या की थी। जब उन्होंने मौन तोड़ा तो सबसे पहला शब्द ‘सियाराम’ उच्चारित किया इसके चलते उनका नाम सियाराम बाबा पड़ गया। सभी मौसमों में लंगोट ही धारण करने वाले सियाराम बाबा अपना सभी काम खुद ही करते थे और भोजन भी स्वयं पकाते थे।
बाबा के उत्तराधिकारी के बारे में फिलहाल कुछ तय नहीं हुआ है।

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