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    भौतिक सुख की लालसा में लोग हंसना भूल गए है, आध्यात्मिक संवाद में वक्ताओं के विचार

    महावीर अग्रवाल 
    मन्दसौर १२ मई ;अभी तक ;   आध्यात्मिक चेतना अभियान द्वारा आध्यात्मिक संवाद का आयोजन किया गया। वरिष्ठ साहित्यकार श्री गोपाल बैरागी ने कहा कि भौतिक सुख की लालसा में लोग हंसना भूल गए है। तनाव और अशांति में जी रहे लोग यदि इच्छाओं पर नियंत्रण कर ले और प्रकृति के साथ जीवन जीना सीख ले तो सुख प्राप्त कर सकते है। धनी और सुविधा सम्पन्न लोग सुखी हो यह जरूरी नहीं है किन्तु अभावग्रस्त किन्तु सहज सरल जीवन जीने वाले लोग जरूर सुखी है।
                                           प्रमुख वक्ता श्री प्रकाश रातड़िया ने कहा कि महात्मा बुद्ध ने वृद्ध, बीमार और शवयात्रा देकर मनुष्यों को दुखों का बोध किया और इनसे मुक्ति का मार्ग खोजने के लिये सन्यास ग्रहण कर लिया। कठोर तपस्या उपरांत उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ। उन्होंने बताया कि इच्छा और तृष्णा दुख का मूल कारण है। सम्यक् दृष्टि, संकल्प, प्रयास और परिश्रम, ईमानदारी और समाधि सुख का मार्ग है। किसी अन्य के क्रियाकलापों से दुखी होना उचित नहीं है। मौन साधना से सब प्रश्नों का समाधान मिल जाता है। अपना दीपक स्वयं बनने की आवश्यकता है। आपने कहा कि जिन लोगों की दिनचर्या विवेकपूर्ण है वे सद्गुणी और संतुष्ट है। श्री प्रकाश दीक्षित, अभय कुमार जैन, सुरेश जैन, शांतिलाल सोनी, राजकुमार जसवंत, सुधीर पण्ड्या ने अपने विचार, गीत, भजन प्रस्तुत किये। श्री राजेन्द्र, महेश कानूनगो, गोपालकृष्ण सोमानी, ओमप्रकाश जायसवाल, निरंजन भारद्वाज, यशवंत प्रजापति, नरेन्द्र छाजेड़ ने आयोजन में सहभागिता की। आध्यात्मिक चेना अभियान के संयोजक श्री विनोद शर्मा ने गतिविधियों की जानकारी दी। आध्यात्मिक संवाद के संयोजक श्री रमेश ब्रिजवानी ने संचालन किया। आभार प्रदर्शन समन्वयक श्री  प्रकाश कल्याणी ने किया। समाजसेवी श्री बाबूलाल जैन नगरीवाला के महाप्रयाण पर उनकी सेवाओं का उल्लेख किया गया व मौन श्रद्धांजलि दी गई।

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