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    गुरु पूर्णिमा एक आध्यात्मिक अनुष्ठान है– डॉ.सोहनी पी.एम. कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस मंदसौर में गुरु पूर्णिमा महोत्सव का हुआ आयोजन

    महावीर अग्रवाल

    मंदसौर १० जुलाई ;अभी तक ;   प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस, राजीव गांधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ,मंदसौर में भारतीय ज्ञान परम्परा प्रकोष्ठ एवं राष्ट्रीय सेवा योजना के  संयुक्त तत्त्वावधान में गुरु पूर्णिमा  उत्सव का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में प्रसिद्ध शिक्षाविद् रमेश चन्द्र  चन्द्रे , मुख्य वक्ता शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ.रवीन्द्र कुमार सोहोनी रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता  महाविद्यालय के प्राचार्य  प्रो. जे. एस. दुबे ने की।
    कार्यक्रम का प्रारंभ सरस्वती मां के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप -दीपन के द्वारा किया गया। अतिथियों का स्वागत पुष्प – हार पहनाकर एवं श्रीफल भेंट कर किया गया। शब्द सुमनों से स्वागत भारतीय ज्ञान परम्परा की संयोजक डॉ. प्रीति श्रीवास्तव ने किया।
    सर्वप्रथम कार्यक्रम के मुख्य अतिथि  रमेश चन्द्र चन्द्रे जी ने गुरु पूर्णिमा की शुभकामना देते हुए कहा  कि विनम्रता व अनुशासन विद्यार्थी का  सर्व प्रमुख गुण है। जो विद्यार्थी जीवनपर्यंत माता- पिता और गुरु के नियंत्रण में रहता है उसे  जीवन भर किसी और के नियंत्रण में रहने की आवश्यकता नहीं होती।
    कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. रवीन्द्र कुमार सोहोनी ने अपने वक्तव्य में बताया कि गुरु की महत्ता सर्वविदित है। भगवान को, देवताओं को और असुरों को भी गुरु की आवश्यकता है। गुरु हमें क्षमा करना सिखाता है, उदार और विनम्र बनाता है। गुरु पूर्णिमा एक आध्यात्मिक अनुष्ठान है, जिसमें एक आत्मा से दूसरी आत्मा का एकाकार होता है। गुरु शिष्य को विशिष्ट बनाता है। यथार्थ के धरातल पर खड़ा रहना सिखाता है। आपने बताया कि आज का दिन शिष्य के द्वारा गुरु के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने का है।
    महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. जे. एस. दुबे ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में बताया कि आज महर्षि वेदव्यास की जयन्ती है इसीलिये गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि आज ही के दिन भगवान शिव ने सप्त ऋषियों को ज्ञान दिया था। आपने बताया कि गुरु हमारे चारों ओर है ।वह  प्रकाश स्वरूप है जो शिष्य को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर करता है।  गुरु का चरण स्पर्श करने से अहंकार का विसर्जन होता है।जिस प्रकार शिष्य गुरु की खोज करता है उसी प्रकार गुरु भी योग्य शिष्य की खोज करता है। गुरु का महत्व अनिर्वचनीय है।

    कार्यक्रम का सफल संचालन हिंदी विभाग की प्राध्यापक डॉ. सीमा जैन ने किया तथा आभार संस्कृत के प्राध्यापक एवं एन.एस.एस. के कार्यक्रम अधिकारी डॉ. अनिल कुमार आर्य ने माना। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राध्यापक गण तथा विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे

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