प्रदेश

अभी तक नेता होते रहे मालामाल लेकिन पहली बार लाडली बहना के चमत्कार से नेता भी नही कर सकते इनकार

 ( महावीर अग्रवाल )
मन्दसौर २४ नवंबर ;अभी तक ;   महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा के 23 नवंबर 2024 को है चुनाव परिणाम ठीक एक दूसरे के विपरीत है दोनों विधानसभा में चुनाव प्रचार के मुद्दे मुख्य रूप से एक थे लेकिन महाराष्ट्र में अमृत रूपी लड़की बहन ने नया पर लगाने में महत्वपूर्ण रही कहा जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होगा जिस महाराष्ट्र में शिवसेना वह भाजपा का दबदबा रहा उसमें शिवसेना का जमीर को देना उसे दिन स्पष्ट हो गया था जब संजय रावत जैसे नेता के आए दिन विचार सामने आए और उद्धव ठाकरे जी की राजनीति में महत्वाकांक्षा उजागर हुई और उन्होंने उसे कांग्रेस से हाथ मिलाया जिसके बाला साहब ठाकरे घोर विरोधी रहे शिवसेना का हिंदुत्व उसी दिन धूमिल हो गया और उद्धव ठाकरे जी कांग्रेस के संग्रह मुख्यमंत्री जी की कुर्सी पर बैठ गए हिंदुत्व के लिए तभी से शिवसेना सफाई देती रही लेकिन उन्हें यह नहीं मालूम था कि वह हिंदुत्व के छोले से बाहर निकल गए हैं चाहे कितनी सफाई में देते रह।
                                            मार्च और झारखंड के विधानसभा चुनाव में नतीजे तो दोनों के ठीक एक दूसरे के विपरीत आए लेकिन भाजपा दूसरे दलों पर परिवारवाद भ्रष्टाचार आदि मुद्दों को लेकर उंगली उठती रहती है उसके लिए झारखंड में वह टिकट वितरण में क्यों बेहोश हो गई भ्रष्टाचार की गंगा कहां नहीं बढ़ रही है यदि ऐसा है तो उसे नेता और विभाग का संसद में सम्मान किया जाना चाहिए खैर यह उनका अपना जांच कर कदम उठाने का मुद्दा हो सकता है लेकिन खासकर झारखंड में उसके नेता वहां की जनता में जागृति लाने में असफल रहे हैं एक हेतु सेफ है और बाटेंगे तो काटेंगे वाला मुद्दा वहां भी रहा देश में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के पति जनता का विश्वास के प्रति वहां के नेता इसे भी ठीक से धरातल पर नहीं उतर पाए वहां हर की समीक्षा यदि भाजपा हाई कमान को करनी है तो पहले वहां के भाजपा के नेताओं की कार्य पद्धति व संगठन के हालात पर भी जाना चाहिए और जो वास्तविकता निकाल कर आए उसे पर सही में अमल करना चाहिए।
                                           जी हां महाराष्ट्र के चुनाव परिणामों को लेकर न केवल महाराष्ट्र बल्कि देश में भी खुशी होना स्वभावी के महाराष्ट्र देश का वह धनाढ्य ए राज्य है जिस पर सभी नाज करते हैं महाराष्ट्र में चुनाव से पहले वहां की राज्य सरकार ने लड़की बहन योजना चालू की इस समय यह मान लिया जाना चाहिए था कि एक है तो सेफ है बाटेंगे तो काटेंगे और श्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता बरकरार है मध्य प्रदेश विधानसभा के 2024 में हुए चुनाव के पहले केंद्रीय मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में लाडली बहन योजना चालू की केवल यह योजना ही चालू नहीं की बल्कि मंदसौर जिले के सीतामऊ में हुए एक कार्यक्रम में अपनी मां की गाथा का वर्णन करते हुए कहा था कि वह एक रात तो रात भर सो नहीं पाए यह सोचकर कि अपने प्रदेश की बहनों को क्या दूं और जब उन्हें लाडली बहन योजना के लिए तरीका पता चला तो वह खुश हुए और बस लाडली वनों के लिए योजना चालू कर दी।
                                    एक अवसर पर चर्चा में जब एक बहुत ही सटीक उत्तर सामने आया तो सभी बड़े खुश हुए बात लाडली बहन योजना की थी चर्चा थी थी कि अभी तक तो नेता मतदान करने की अपील करते रहते थे और चुनाव जीतने के बाद वह मालामाल हो जाते जो नेता गरीबों के लिए लड़ाई लड़ते रहते हैं वह कब अमीर बन जाते हैं लेकिन पहली बार महिलाओं को ही सही थोड़ा बहुत प्रथम पुष्पम तो मिलता जा रहा है करते हैं रामबाण अचूक होता है और यही अचूक बाण महाराष्ट्र में भी असर दिख गया अब अभी तो यह शुरू हुआ है जनता को भी समझ में आ गया है कि रामबाण अचूक होता है और यही अचूक बाण महाराष्ट्र में भी असर दिख गया अब अभी तो यह शुरू हुआ है जनता को भी समझ में आ गया है और नेताओं को भी लेकिन आगे यह क्या रंग दिखाएगी कौन जाने।
                                             महाराष्ट्र चुनाव में जो शिवसेना अपना हिंदुत्व का परचम लहराती रहती थी उसने अपना यह कठोर परिश्रम से पाया विश्वास सट्टा की कुर्सी के लिए पलक झपकते ही खो दिया अब क्या शिवसेना उद्धव ठाकरे अपने कोई इस परिश्रम का फिर से प्राप्त करने का प्रयास करेगी या वह भी अब नए राजनीतिक दल की तरह अपना दल भी चलाएगी यह आगे उसके कार्य पद्धति से पता चल सकेगा भाजपा ने अपनी पहचान बनाई रखी और उधर एकनाथ शिंदे ने शिवसेना की इस रूप में पहचान को आगे बढ़ाने में अभी तक सफल रहे लेकिन आगे उनकी भूमिका पर भी सबकी निगाहें रहेंगी लेकिन वह शिवसेना बनाते तो अब अतीत में चली गई तो कौन जाने।
                                          महाराष्ट्र में 288 में से महायुती को 234व महा अघाड़ी को मस्टर 48 सीटो पर ही संतोष करना पड़ा। यहां कांग्रेस वह शरद पवार कांग्रेस को भारी धक्का लगा वाकई में इनको सच्चे दिल से समीक्षा कर जनता के दिल की आवाज को पहचानना चाहिए इसी तरह झारखंड में इंडिया गठबंधन को 56 व एनडीए को 24 सिम ही मिली इतने कठोर प्रयास के बाद भी भाजपा बढ़ गई जो भाजपा कहती है वह इस राज्य में क्यों नहीं हुआ उसे भी सच्चे दिल से वह काम करना चाहिए जो वह कहती है वरना तो जनता को तो चुनाव में ही मौका मिलता है और नेता को जब कुर्सी नहीं मिलती तब उसे अपनी गलतियों का एहसास होता है या नहीं वह ही जान।
                                               देश के 13 राज्यों की 46 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में एनडीए को 26 और कांग्रेस को 7 सिम ही मिली लोकसभा उपचुनाव में वानर से कांग्रेस की उम्मीदवार प्रियंका वाड्रा और महाराष्ट्र के नांदेड़ से कांग्रेस को विजय श्री मिली है अब आगे राजनीति में क्या नया होता है निगाहें सबकी उसे और है।

 


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