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अ.भा. साहित्य परिषद ने आयोजित की भजन संध्या

महावीर अग्रवाल 

मन्दसौर २ मई ;अभी तक;  अखिल भारतीय साहित्य परिषद मंदसौर ने वैशाख माह में पुण्य अर्जन हेतु भजन संध्या का आयोजन डॉ. उर्मिला तोमर, गोपाल बैरागी, नरेन्द्रपालसिंह राणावत,  हस्ती सांखला, श्रीमती चंदा अजय डांगी, लोकेन्द्र पाण्डे, नरेंद्र त्रिवेदी, नरेंद्र भावसार, चेतन व्यास एवं स्वाती रिछावरा के सानिध्य में किया।
इस अवसर पर नन्दकिशोर राठौर ने कहा कि वैशाख माह विष्णुजी, परशुरामजी जैसे देव अवतारों का माह है। विशाखा नक्षत्र से नाता होने से इसे वैशाख माह कहा जाता है जो ‘‘पुण्य अर्जन का पवित्र माह है वैशाख’’ इसे माधव मास भी कहा जाता है।
कार्यक्रम की शुरुआत चेतन व्यास के गीत ‘‘मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है’’ से हुई। नरेन्द्रपाल सिंह राणावत ने ‘‘मैं तो हारी रे गिरधार, कैसे आऊं हे मुरारी, बड़ी दूर नगरी’’ भजन सुनाया। लोकेन्द्र पाण्डे ने भजन ‘‘राम नाम के साबून से जो मन का मैल भगाएगा, निर्मल मन के दर्पण में राम में दर्शन वाएगा’’ सुनाया। ललित बटवाल ने ‘‘नाम जपन क्यों छोड़ दिया’’ क्रोध न छोड़ा, झूठना छोड़ा, सत्य वचन क्यों छोड़ दिया’’ भजन सुनाया।
गोपाल बैरागी ने ‘‘मन की तरंग मार लो तो हो गया भजन, आदत बुरी सुधार लो तो हो गया भजन’’ सुनाया। स्वाति रिछावरा ने ‘‘ज्योति कलश झलके, हरे गुलाबी रंग दल बादल के’’ लताजी द्वारा गाया ‘‘भाभी की चूड़ियां का गीत’’ सुनाया।
नरेन्द्र त्रिवेदी ने ‘‘माँ लिखती थी खत मेरे लाड़ले, जब से तू गया रोती हूँ, सोती नहीं’’ सुरीला भजन गाया। श्रीमती चंदा डांगी ने ‘‘नवकार मंत्र है, महामंत्र, इस मंत्र की महिमा न्यारी है। हस्ती सांखला ने नेताओं पर व्यंग ‘‘तबाही के मडराते थे सफेद कबूतर, रंगीन महफीलों में उड़ाते मजाक हमारी’’ सुनाया। अजय डांगी ने ‘‘हर बच्चा माँ को अपनी सुरक्षा ढाल समझता, ऐसे ही हम बच्चा बन प्रभु को समझे तो कष्ट कहाँ’’।
नरेंद्र भावसार अपनी  पत्नी स्वर्गीय अंजू भावसार का स्मरण करते हुए कविता ‘‘मैं चीजें भूलने लगा हूँ, भूल जाता हूँ कि अब तुम नहीं हो, बैठा रहता हूँ बिस्तर पर बिना चाय के’’ सुनाई।
भजन संध्या का संचालन  राठौर ने किया एवं आभार नरेन्द्र भावसार ने माना।

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